मन में उठने वाले भावों को लिपिबद्ध करने का एक लघु प्रयास
आ गया फिर से हिन्दी दिवस उपेक्षित! अनादृत! हिन्दी भाषा को गौरव दिलाने का दिन! वही दिन जब बहुतेरे आंग्ल भाषी भारतीय सप्रयास बोलेंगे हिन्दी...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें