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मंगलवार, 2 जनवरी 2018

अपनी ही धुन में-2


रह गया सब कुछ पीछे,
और चले जा रहे हैं हम आगे।
चाहते थे हम तो निकलना आगे,
और निकल भी गये।

रहने दो सबको पीछे,
कहते थे जो पराजित हमें,
बन्द हो गये उनके मुँह,
और चाहते थे जो हमारी हार देखना,
आज खुद हार का मुंह देख रहे हैं।

और हम,
हम तो बस चले जा रहे हैं,
अपनी ही धुन में।

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