मन में उठने वाले भावों को लिपिबद्ध करने का एक लघु प्रयास

सोमवार, 1 जनवरी 2018

अपनी ही धुन में


चला जा रहा है वो,
अपनी ही धुन में।
न लोगों की खबर,
 न दुनिया की परवाह।
जाना है उसे आगे,
 बहुत आगे।

कहते हैं लोग- 'यह तो बडा निर्मोही है,
 किसी से कहता नहीं,
 किसी की सुनता नहीं,
 दुनिया से कटकर रहता है।'

पर नहीं है वक्त उसके पास,
 सुनने को ये सब बातें।
करना है उसे बहुत कुछ,
 पाना है उसे सब कुछ,
 जो मिलेगा,
 सिर्फ और सिर्फ सच्ची लगन से,
 लक्ष्य तक पहुंचने की तीव्र इच्छा से।

सब कुछ सुनता है,
 सब कुछ सहता है,
 पर, उलझता नहीं किसी से।
जानता है कि,
 उलझा लोगों से, तो,
 रह जायेगा हमेशा उलझा ही।
इसीलिए चला जा रहा है वो,
 अपनी ही धुन में।

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