शनिवार, 9 नवंबर 2024

रहस्यमयी प्रतिमा Ch - 11 - स्नेहा ने बचाई विधायक की जान


 “ अरे, तुम तो बहुत डर गई लगती हो। “ - मुस्कुराते हुए दक्ष बोला।

“ तुम बात ही ऐसी कर रहे हो! “ - गुस्से में बोल रही थी स्नेहा - “ अब अगर एक और बार तुमने विधायक जी को शूट करने वाली बात बोली तो मैं सीधे सौ नम्बर डायल करूँगी। “ - अपने शोल्डर पर लटके पर्स में से मोबाइल निकालते हुए स्नेहा बोली।

“ शूट तो मैं करूँगा विधायक जी को। “ - दक्ष बोला - “ क्योंकि अकेले में उनका इंटरव्यू लेने का यही एकमात्र उपाय है। “

“ कैसी मूर्खों जैसी बातें कर रहे हो! “ - स्नेहा आवेशपूर्ण स्वर में बोली - “ उनको शूट करके कैसे तुम उनका इंटरव्यू लोगे ? “

“ इंटरव्यू तो तुम लोगी। मैं तो बस शूट करूँगा। “

स्नेहा ने सवालिया नजरों से दक्ष की ओर देखा। 

“ नहीं समझी ? “

स्नेहा ने नकारात्मक भाव से सिर हिलाया। 

दक्ष ने अपनी योजना स्नेहा को समझाई। 

“ क्या! “ - पूरी बात सुनकर स्नेहा बोली - “ सोच लो दक्ष! ये सब करके कहीं हम किसी बड़ी मुसीबत में ना फंस जाये। “

“ कुछ नहीं होगा। भरोसा रखो मुझ पर। “ आश्वासनपूर्ण भाव से दक्ष बोला - “ और अगर कुछ हुआ भी तो मुझे होगा, क्योंकि शूट मुझे करना है। तुम्हें कुछ नही होने वाला। “

“ ठीक है। “ - कहते हुए स्नेहा अकेली ही म्युजियम की ओर बढ़ गई। 

दक्ष अपनी रिवॉल्वर के साथ एक पेड़ के पीछे छिप गया। धीमी गति से चलते हुए स्नेहा म्युजियम के पास पहुँची। लेकिन वहाँ लोगों की भीड़ में शामिल होने की जगह वह म्युजियम से थोड़ा दूर उस जगह रुक गई, जहाँ विधायक जी और उनके समर्थकों के वाहन खड़े थे। 

करीब दस मिनट बाद उद्घाटन की सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद विधायक जगमोहन बंसल ने वहाँ उपस्थित लोगों से विदा ली। 

इसके बाद वे समर्थको से घिरे अपनी कार की ओर बढ़े। 

अब दक्ष के एक्शन लेने का समय आ चुका था। उसने अपने एक हाथ में रिवॉल्वर संभाल रखी थी। दूसरे हाथ से उसने जींस की पॉकेट से अपना रुमाल निकाला और उससे रिवॉल्वर को ढँक दिया, जिससे कि कोई गलती से भी उसकी तरफ देख ले, तो उसे दक्ष के हाथ में केवल रुमाल ही दिखाई दे, न कि उसके नीचे छिपी रिवॉल्वर। 

दक्ष ने रिवॉल्वर को अपने दोनों हाथों में थाम रखा था। 

रुमाल से ढँकी रिवॉल्वर का रुख उसने विधायक की ओर किया। उसकी अंगुली ने ट्रिगर पर हल्का सा दबाव लगाया और ट्रिगर दबा दिया। 

अपने समर्थकों के साथ आगे बढ़ते हुए विधायक जी जैसे ही अपनी कार के नजदीक पहुँचे, मुस्तैदी से आगे बढ़कर ड्राईवर ने कार की पिछली सीट का दरवाजा खोला। 

कार में बैठने से ठीक पहले विधायक जी के समर्थक वहाँ से हट गए। उनके आस पास अब कोई भीड़ नहीं थी।

यही सही समय था। म्युजियम के सामने, पेड़ों के झुरमुट के पीछे से दक्ष ने रुमाल से ढँकी रिवॉल्वर को अपने हाथों में मजबूती से पकडा, विधायक को निशाना बनाया, अंगुली से ट्रिगर पर दबाव लगाया और कार में बैठने के लिए विधायक जैसे ही थोड़ा झुका, दक्ष ने ट्रिगर दबा दिया। 

रिवॉल्वर में साइलेंसर लगा होने से उसके चलने की आवाज तो नहीं आई। लेकिन गोली लगने से कहीं शीशे के चरमराकर टूटने की आवाज जरूर आई थी। 

असल में, हुआ यह था कि दक्ष के फायर करते समय विधायक जी थोड़ा झुककर कार में बैठने की कोशिश कर ही रहे थे कि पीछे से दौड़कर आते हुए स्नेहा ने उनको तेजी से बाहर की ओर खींचा और उनके साथ ही जमीन पर गिर पड़ी। गोली कार के खुले दरवाजे से अंदर गई और उसके दूसरे बंद दरवाजे के शीशे में सुराख बनाते हुए बाहर निकल गई। 

विधायक जी को तो कुछ समझ ही नहीं आया। लेकिन उनकी कार का ड्राईवर, जो अभी तक कार के बाहर ही खड़ा था और उनकी कार के आगे पीछे की कारों में जो उनकी पार्टी के लोग थे, वे विधायक जी को जमीन पर गिरते हुए देखकर उनकी ओर दौड़े। 

ड्राईवर ने पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओ के साथ मिलकर सबसे पहले विधायक जी को उठने में मदद की। 

“ आप ठीक तो है सर! “ ड्राईवर के साथ ही कार्यकर्ता भी बोले। 

“ मैं ठीक हूँ। “ - मिट्टी में सन चुके अपने सफेद कुर्ते से धूल झाड़ते हुए विधायक बंसल बोले - “ उस लड़की की उठने में मदद करो, जिसने मेरी जान बचाई है। “

विधायक जी के कहने भर की देर थी कि सारे के सारे कार्यकर्ता स्नेहा की मदद करने को दौड़े। लेकिन उनके कुछ करने से पहले ही स्नेहा अपने आप उठ खड़ी हुई। 

“ तुम ठीक तो हो ? “ - स्नेहा की तरफ बढ़ते हुए विधायक जी ने पूछा। 

“ मैं ठीक हूँ सर! “ - स्नेहा बोली - “ माफी चाहूँगी, मजबूरी में मुझे आपके साथ ऐसा व्यवहार करना पड़ा। “

“ अरे! तुम माफी क्यों मांग रही हो! “ - चकित स्वर में विधायक बंसल बोले - “ मुझे तो तुम्हारा शुक्रिया अदा करना चाहिए। आखिर तुमने अपनी सतर्कता से जान पर खेलकर मेरा जीवन बचाया है। “

“ यह तो मेरा फर्ज था सर! आखिर आप हमारे शहर के विधायक है। “

“ वैसे तुम्हें कैसे पता चला कि मुझ पर हमला होने वाला है ? “

“ मुझे वहाँ “ - स्नेहा ने सामने पेड़ों के झुरमुट की ओर संकेत करते हुए कहा - “ उस तरफ एक रिवॉल्वर दिखाई दी थी, जिसे किसी ने अपने हाथों से पकड़ रखा था और उसका रुख आपकी तरफ ही था। “

स्नेहा की बात सुनते ही वहाँ उपस्थित सारे तेजी से

पेड़ों के झुरमुट की तरफ दौड़े। कुछ देर तक वे वहाँ पर उस शख्स को ढूँढने की कोशिश करते रहे, जिसने विधायक जी को शूट करने की कोशिश की थी। लेकिन वहाँ पर कोई था ही कहाँ जो मिलता! अपना काम खत्म करने के बाद उसने वहाँ न रुकना था, न वो रुका। 

अंततः थक हार कर सब वापिस विधायक जी के पास आये। 

“ वहाँ पर तो कोई भी नहीं है। “ - आते ही एक कार्यकर्ता बोला। 

“ फायर करने के बाद ही गायब हो गया होगा वो। “ - स्नेहा बोली। 

इसके बाद सारे कार्यकर्ता कार में बैठे। विधायक जी भी अपनी कार की ओर बढे। 

“ ये कैसा एहसान फरामोश इंसान है! “ - स्नेहा मन ही मन खुद से बोली - “ अपनी जान बचाने की एवज में महज शुक्रिया अदा करके ही पतली गली से निकल रहा है ये तो! इसका इंटरव्यू नहीं ले पायी तो सारी मेहनत बेकार चली जायेगी।… रोक स्नेहा! विधायक जी को ऐसे मत जाने दे। तुझे इंटरव्यू लेना है इनका। “

स्नेहा आवाज लगाते हुए विधायक बंसल के पीछे दौड़ी - “ एक मिनट सर! “

आवाज सुनकर कार की ओर बढ़ते विधायक जी के कदम ठिठके। उन्होंने मुड़कर स्नेहा की ओर देखा। 

अब तक स्नेहा दौड़कर उनके पास आ चुकी थी। 

“ सर! आप शहर के विधायक है। एक तरह से वी आई पी पर्सन है। “ - बड़ी ही चालाकी से भूमिका बनाते हुए बोल रही थी स्नेहा - “ तभी तो आप यहाँ इस म्युजियम के उद्घाटन के लिए आये। “

“ तो ? “ - सवालिया नजरों से स्नेहा की तरफ देखते हुए विधायक बोले। 

“ मैं एक मीडिया पर्सन हूँ। डेली न्यूज़ एजेंसी में रिपोर्टर हूँ। “ - स्नेहा अब धीरे धीरे मतलब की बात पर आ रही थी - “ यहाँ म्युजियम के उद्घाटन की न्यूज़ को कवर करने के लिए आई थी। “ 

“ गुड। अच्छी बात है। तो तुम रिपोर्टर हो! तुम्हारी इतनी ज्यादा सतर्कता और चुस्ती फुर्ती देखकर मुझे तो लगा था कि शायद तुम पुलिस में हो। “

“ एक ही बात है सर! हम पत्रकारों को भी पुलिस वालों की ही तरह दिन रात भागदौड़ करनी पड़ती है। “

“ मेरा समय कीमती है, इसीलिए अब मतलब की बात पर आओ। “ 

विधायक जी की बात सुनकर स्नेहा हैरत में पड़ गई। अभी थोड़ी देर पहले जिस इंसान को उसने मरने से बचाया था, उसके इस तरह से बात करने पर उसे आश्चर्य होना स्वाभाविक ही था, फिर भले ही वो शख्स शहर का विधायक क्या देश का राष्टृपति ही क्यों न हो। 

“ सर! न्यूज़ तो मैंने कवर कर ली। “ - अपनी आवाज में शहद सी मिठास घोलते हुए स्नेहा बोली - “ अब लगे हाथ अगर आप अपना इंटरव्यू भी दे दें, तो हमारे अखबार को चार चाँद लग जायेंगे। “

पता नहीं यह स्नेहा की शहद सी मीठी बोली का जादू था या उसके मुँह से सुनी अपनी प्रशंसा का कमाल कि वह इंटरव्यू देने के लिए राजी हो गया। 

“ ठीक है। “ - विधायक बंसल बोले - “ लेकिन जल्दी ही मुझे कहीं पहुंचना है। मेरे साथ कार में चलो , रास्ते में ही ले लेना इंटरव्यू। “ 

“ थैंक यू सर! “ - बोलते हुए स्नेहा सोच रही थी - “ अच्छा हुआ, जो कल ही मैंने इंटरव्यू में विधायक जी से पूछे जाने वाले प्रश्नों का रट्टा मार लिया था। क्योंकि इनकी नजरों में तो इंटरव्यू बिना तैयारी के अचानक ही हो रहा है। ऐसे में इनके सामने उस पर्चे को तो निकाल भी नहीं सकती थी। “

विधायक बंसल और स्नेहा के कार में बैठने के बाद ड्राईवर ने कार स्टार्ट कर दी। 



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