सोमवार, 4 नवंबर 2024

रहस्यमयी प्रतिमा ( भाग - 6 ) - दक्ष और स्नेहा लेंगे विधायक का इंटरव्यू



 आहूजा ने कहर भरी नजरों से दक्ष की ओर देखा - “ तो, मानते हो ना कि तुम्हें आज, अभी और इसी वक्त जॉब से निकाल दिया जाना चाहिए! “

“ हाँ। “ - दक्ष बोला - “ बिल्कुल निकाल देना चाहिए। “

स्नेहा बुरी तरह घबरा उठी। 

स्मिता खन्ना भी बॉस के निर्देशानुसार टाइप किये हुए लेटर की हार्ड कॉपी लेकर उसकी ओर बढ़ रही थी। 

उसने लेटर आहूजा के हाथों में थमाया। 

यह दृश्य देखकर एक पल को दक्ष भी सिहर उठा। लेकिन जल्द ही खुद को संभालते हुए बोला - “ किसी एम्प्लॉयी के कार्यस्थल पर देरी से पहुँचने और ऑफिस के वर्किंग आवर्स में कहीं गायब हो जाने की वजह जाने बिना ही यदि उसे जॉब से डिसमिस कर देने से आपकी रूह को सुकून मिलता है तो बेशक आपको ऐसा कर ही लेना चाहिए, फिर भले ही इससे आपको या आपके अखबार को भारी नुकसान ही क्यों न उठाना पड़े। “ 

अपनी बात पूरी होने के साथ ही दक्ष चेयर से उठा और बाहर जाने के लिए पलटा। 

“ भारी नुकसान से तुम्हारा क्या मतलब है लड़के! “ - आहूजा तेज आवाज और चकित स्वर में बोला। 

बाहर की ओर बढ़ते दक्ष के कदम रुके। घूमकर उसने आहूजा की ओर देखा और रहस्यमयी तरीके से मुस्कुराते हुए बोला - “ जिस धमाकेदार न्यूज़ के पीछे भागते हुए आज मुझे ऑफिस आने में थोड़ी देर हो गई और जिसके बारे में अकेले में डिसकस करने के लिए मुझे स्नेहा को यहाँ से बाहर ले जाना पड़ा, वह न्यूज़ ‘ डेली न्यूज़ ‘ में न छपकर किसी और अखबार में छपती है तो आपका और आपके अखबार का भारी नुकसान होना तो तय है। “

“ ऐसी कौनसी न्यूज़ है जिसको न छापने से मेरा भारी नुकसान हो जायेगा ? “ - तीखी नजरों से देखते हुए आहूजा बोला। 

“ वो जब आपके किसी प्रतिद्वंदी अखबार में छपेगी, तो आपको खुद ही पता चल जायेगा। “ - दक्ष ने आगे जोड़ा - “ किसी ऐसे अखबार में , जो इतना तो समझता ही हो कि एक रिपोर्टर का कार्यक्षेत्र सिर्फ चारदिवारी नहीं होती। “

“ तुम तो नाराज हो गए दक्ष! “ - अचानक ही तेवर बदलकर खुशामदी करते हुए बोला आहूजा - “ और तुम खड़े क्यों हो, आराम से बैठ जाओ। मुझे अगर पता होता कि तुम किसी बड़ी न्यूज़ के पीछे लगे हो तो क्यों मैं तुमसे देरी से आने और ऑफिस के बीच में बाहर जाने के बारे में सवाल पूछता! मैंने तो बस केजुअली पूछ लिया था और बात की बात में यह बात इतनी खिंची कि बस खिंचती ही चली गई। “

“ केजुअली पूछा था! “ - संदेह भरी नजरों से सीधे आहूजा की आँखों में देखते हुए दक्ष बोला। 

“ और नहीं तो क्या! “ 

“ तब आपने हमारा सस्पेंशन लेटर भी केजुअली ही तैयार करवाया होगा! “ - काफी देर से अपनी नीचे की साँस नीचे और ऊपर की साँस ऊपर को रोके बैठी स्नेहा व्यंग्यपूर्ण स्वर में बोली। 

“ सस्पेंशन लेटर! “ विस्मित होते हुए आहूजा बोला - “ कब ? “

“ अभी, हमारे सामने। “ - स्मिता बोली - “ मिस स्मिता ने आपको टाइप करके दिया ना! “

“ ये कोई सस्पेंशन लेटर नहीं है। “ - अपने हाथ में थमे लेटर को स्नेहा की ओर बढ़ाते हुए आहूजा बोला - “ मुझे पता चला है कि आज तुम लोगों का मन ऑफिस में लग नहीं रहा है, इसीलिए तुम लोगों को शहर के विधायक जगमोहन बंसल का इंटरव्यू लेने के लिए फील्ड वर्क पर भेजने की योजना बनाई है मैंने। इसमें वही सवाल है, जो तुम लोगों को विधायक महोदय से इंटरव्यू के दौरान करने है। “

आहूजा की पूरी बात सुनकर स्नेहा ने वह लेटर लेने के लिए हाथ आगे बढ़ाया ही था कि बीच में ही दक्ष ने आहूजा के हाथ से लेटर झपट लिया और जल्दी जल्दी पढ़ने लगा। स्नेहा की नजरें भी दक्ष के हाथ में थमे लेटर पर छपी तहरीर को पढ़ने में व्यस्त हो गई। 

लेटर में इंटरव्यू के दौरान विधायक से पूछे जाने वाले प्रश्न ही लिखे हुए थे। 

दोनों ने राहत की लम्बी साँस ली। 

“ तो, तुम लोगों को लग रहा था कि तुम्हें यहाँ सस्पेंशन लेटर देने के लिए बुलाया गया है! “ 

“ अब है तो कुछ ऐसा ही। “ - दक्ष और स्नेहा समवेत स्वर में बोले। 

“ और ऐसा लगने की वजह ? “

“ जगन का किसी एम्प्लॉयी को ये बोलना कि बॉस ने बुलाया है, हमेशा खतरे की घंटी ही माना जाता है। “ - दक्ष ने जवाब दिया। 

“ तो, मेरी भरपूर दहशत कायम है ऑफिस में !“ - सोचते हुए आहूजा मुस्कुराया और बोला - “ अच्छा! हाँ वैसे अक्सर मैं ऐसा ही किया करता हूँ। जब कभी किसी एम्प्लॉयी पर मेरी गाज गिरनी होती है तो मैं जगन की मार्फत ही उसे यहाँ अपने केबिन में बुलाता हूँ।… सामान्य कार्यो के लिए स्मिता ही इंटरकॉम से काव्या को किसी एम्प्लॉयी को यहाँ भेजने के लिए कहती है और आगे काव्या बाजरिया इंटरकॉम ही एम्प्लॉयी को यहाँ आने के लिए कहती है। लेकिन, अगर जगन किसी एम्प्लॉयी को मेरे पास आने के लिए कहता है तो इसका मतलब हमेशा खतरे की घंटी नहीं होता है। कभी कभी मैं महत्वपूर्ण जिम्मेदारी वाले काम सौंपने के लिए भी जगन की मार्फत अपने एम्प्लॉयी को यहाँ बुलाता हूँ और आज ऐसा ही दुर्लभ संयोग हुआ है, जिसका कि तुम लोगों ने कुछ और ही मतलब निकाल लिया। “

“ थैंक्स सर! “ - स्नेहा बोली - “ हमें इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपने के लिए। “

“ उम्मीद करता हूँ कि तुम लोग इस काम को किसी और एम्प्लॉयी की तुलना में बेहतर तरीके से अंजाम दोगे। “ - प्रकाश आहूजा बोला। 

“ आपको निराश नहीं होना पड़ेगा सर! “ - स्नेहा बोली। 

“ तुम कुछ बोल नहीं रहे हो लड़के! “ - दक्ष को चुप देखकर आहूजा बोला - “ कोई समस्या है ?... ले पाओगे ना ये इंटरव्यू ? “

“ हाँ। “ - कुछ सोचते हुए दक्ष बोला - “ लेकिन हम तो क्राईम रिपोर्टर है ना! हमें विधायक का इंटरव्यू क्यों लेना है ? “ 

“ बच्चों जैसी बातें मत करो दक्ष! “ - मुस्कुराते हुए आहूजा बोला - “ आज के समय में इन सफेदपोश खद्दर नेताओं से बड़ा क्रिमिनल भला और कौन होगा! और ये जगमोहन बंसल तो 6 बार जेल भी जा चुका है। “

“ ओह! तब ठीक है। “ - दक्ष बोला - “ लेकिन एक समस्या और है। “

“ अब क्या ? “ - थोड़ा क्रोधित होते हुए बोला आहूजा। 

“ विधायक के बंगले में एंट्री आसान तो होगी नहीं और हम पत्रकारों से तो वैसे भी अपराधी कतराते है। “

“ ये तुमसे किसने कहा कि विधायक का इंटरव्यू उसके बंगले पर जाकर लेना है ? “

“ फिर ? “

“ शहर के शास्त्री रोड़ पर कल ही एक नया म्युजियम खुल रहा है, जिसका उद्घाटन विधायक बंसल ही करने वाले है। बहुत बड़ा समारोह आयोजित होगा। उसी दौरान तुम्हें उनका इंटरव्यू लेना है। “


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