मुझे कुछ करना है मुझे कुछ करना है

आये बाधाएं राह में हजार,
रास्ता रोके चाहे आंधी-तूफान,
नहीं अब किसी से डरना है,
मुझे कुछ करना है
मुझे कुछ करना है।
सामने खुला गगन है,
उडान भरने को बेताब मन है,
नहीं अब इरादा बदलना है,
मुझे कुछ करना है
मुझे कुछ करना है।
मुश्किलें राह में कांटे बिछाये,
असफलताएं चाहे हजार आए,
नहीं एक पल भी अब रुकना है,
मुझे कुछ करना है
मुझे कुछ करना है।।

कुछ अलग करो-1

दोस्तों!  स्वागत है आपका, आपके अपने motivational Blog  'मुझे  कुछ करना है' मे। आज मैं आपके लिए लेकर आया हूँ एक ऐसा आर्टिकल जो आपकी जिन्दगी को खुशियों से भर देगा और आपको एक नये तरीके से जीना सिखायेगा।लेकिन इस आर्टिकल को पढने से पहले मेरी सलाह है कि अगर आप अपने जीवन को बदलने के लिए लोगों की परवाह किए बगैर कुछ अलग कर सकते हैं, तो ही आगे बढे, अन्यथा इसे यहीं छोड दें।
आज का युग मशीनों का युग हैं, जहां सारे काम मशीनो से होते हैं।ऐसे मशीनी युग में हमारी जिन्दगी का मशीनी हो जाना कोई आश्चर्य का विषय नहीं है।
ऐसे समय में जबकि प्राकृतिक संसाधन कम होते जा रहे हैं और हमारी जरूरते बढती जा रही है, हमें जिन्दा रहने और अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए अधिक संघर्ष करना पड रहा है।इस संघर्ष ने हमें न केवल मशीन बनाकर रख दिया है, बल्कि हमसे हमारी खुशी, हमारी भावनाएं और हमारे अहसास तक छीन लिये हैं।यही वजह है कि आज हमारा जीवन उबाऊ, नीरस और बेजान हो गया है।
आज हमारा एकमात्र ध्येय पैसा रह गया है और हम इस भ्रम में जी रहे हैं कि 'जितना ज्यादा पैसा, उतनी ज्यादा खुशी।' जबकि यह सच नहीं है।
सच तो यह है कि पैसे की जरूरत ने हमें मशीन बनने को मजबूर किया और पैसे की पूर्ति हमारी इस मजबूरी को खुशी का नाम दे रही है।
पैसे से भौतिक जरुरते जरुर पूरी होती हैं, पर असली खुशी पैसों से नहीं मिलती।
यहां मैं आपसे यह नहीं कह रहा हूँ कि आप संघर्ष करना छोड दें, ना ही यह कि आप पैसे कमाना छोड दें।जिंदा रहने के लिए आपको संघर्ष करना ही होगा, जरुरते पूरी करने के लिए आपको पैसा कमाना ही होगा।
मैं तो इन दो के साथ आपको एक और छोटा सा नया काम करने को कह रहा हूँ। ऐसा काम जो आपकी जिंदगी को खुशियों से भर देगा, आपके जीवन में एक ऐसा मोड लेकर आयेगा जिसके बारे में आपने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा।आप संघर्ष भी करेंगे, आप पैसा भी कमाएंगे; पर मशीन बनकर नहीं, एक खुशनुमा इंसान बनकर।
'वह छोटा सा काम क्या है?'-यह बताने से पहले मैं आपको यह बताना चाहूँगा कि एक मशीन और एक इन्सान में फर्क क्या होता है।
मशीन की एक फिक्स टाइमिंग होती है, वह हमेशा एक ही तरीके से काम करती है और सबसे बडी बात, वह सोच नहीं सकती।आज के समय में इन्सान मशीन क्यों कहा जाता है? सिर्फ इसलिए क्योंकि हमारा जीवन भी आज मशीन जैसा ही हो गया है।हमें हर काम निश्चित समय पर करना होता है, हमारे काम करने के तरीकों में कोई बदलाव नहीं होता और भले ही हम सोच सकते हैं, पर अपनी ही सोच के संकुचित दायरे से हम कभी बाहर नहीं निकल पाते। इन्हीं मशीनी गुणों ने आज हमें इंसान से मशीन बनाकर रख दिया है।
जबकि हकीकत यह है कि हमेशा कुछ अलग और नया करते रहना मानवीय स्वभाव है।अगर ऐसा नहीं होता तो आज हम इतने सभ्य नहीं होते।दुनिया के सारे आविष्कार इसी मानवीय स्वभाव की देन है।और यही वो छोटा सा नया काम है जो आपको करना है।ऐसा काम जो आपको मशीन से इंसान बनाएगा,जीवन को खुलकर जीने का जज्बा जगाएगा और आपको एक ऐसी दुनिया में ले जाएगा, जो स्वर्ग से भी ज्यादा खुशनुमा होगी।
आपको कुछ अलग करना होगा, कुछ ऐसा जो आपने आज से पहले कभी नहीं किया।यह मुश्किल लग सकता है, पर है बिल्कुल आसान।आपको आकाश से चांद तारे तोडकर नहीं लाने है।बस कुछ ऐसा करना है, जो अलग और नया हो; दुनिया के लिए नहीं, सिर्फ आपके लिए।
किसी भी काम को करते समय लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए।यहां आपको याद रखना होगा कि आपको कोई बहुत बडा काम नहीं करना है, सिर्फ अपनी उबाऊ जिन्दगी को रुचिकर बनाने के लिए छोटे छोटे नये काम करने है।
जिन छोटे छोटे कामो को करके आप अपनी जिंदगी खुशियों से भर सकते हैं, उनके बारे में आपको मैं इस आर्टिकल के दूसरे भाग में बताऊंगा।
आपको यह आर्टिकल कैसा लगा? इस पर अपनी राय Comment box में अवश्य दें।

करु कुछ मैं भी, बनूँ कुछ मैं भी

सपना है मेरा छोटा-सा,
करु कुछ मैं भी,
बनूँ कुछ मैं भी।
इसी उम्मीद में बस,
चलता हूँ,
आगे बढता हूँ।
आती हैं बाधायें राह में,
थकता हूँ,
गिरता हूँ
और उठकर फिर से,
चलता हूँ,
आगे बढता हूँ।
कभी विश्वास डगमगाता है,
कभी मन घबराता है,
फिर भी,
थामे दामन हिम्मत का,
चलता हूँ,
आगे बढता हूँ।
सपना है मेरा छोटा-सा,
करु कुछ मैं भी,
बनूँ कुछ मैं भी।

रुको नहीं चलते रहो

आते हैं कांटे राह में,
आने दो,
चुभते हैं शूल पैरों में,
चुभने दो
सहकर भी कष्ट सारे तुम,
रुको नहीं, चलते रहो।
छिपता है सूरज,
छिपने दो
ढलता है दिन,
ढलने दो
ग्यान का दिप जलाकर,
मन में तुम
रुको नहीं, चलते रहो।
थकता है मन,
थकने मत दो
टूटता है भरोसा,
टूटने मत दो
लेकर आशा की किरण,
मन में तुम
रुको नहीं, चलते रहो।