तभी कहीं से उसे नल से पानी गिरने की आवाज सुनाई दी।
ध्यान देने पर उसे समझ आया कि आवाज बाथरूम से आ रही है।
“ ओह! तो वह उधर है। “ - खुद से ही बोलते हुए वह सोफा चेयर पर आराम से बैठ गया।
कुछ ही समय बाद स्नेहा वहाँ आई। उसके हाथों में एक नैपकीन था, जिससे वह अपना मुँह व हाथ पोंछ रही थी।
“ नहा ही लेती। “ - दक्ष उसकी ओर देखते हुए बोला।
“ क्या ? “
“ हालत तो तुम्हारी नहाने जैसी ही हो रही है। “
“ हो तो रही है। पर, अभी इतना टाइम नहीं है। मैं तो बॉस को इस इंटरव्यू के बारे में बताने के लिए बहुत उत्सुक हूँ। “
उसने नैपकीन को सूखने के लिए कपड़ा स्टैंड पर डाला और वहीं रखी एक दूसरी सोफा चेयर पर बैठकर उसने रिलेक्स भरी लंबी साँस ली।
“ मजा आ गया आज तो। “ - खुशी से चहकते हुए स्नेहा बोली - “ जिस एडवेंचर के लिए मैंने रिपोर्टिंग के फील्ड को करियर के रूप में चुना था, उसका असली अनुभव तो आज हुआ मुझे। “
“ ये तो कुछ भी नहीं था। क्राइम रिपोर्टिंग में इससे भी कई गुना ज्यादा एडवेंचर है। “ - कॉफी का कप स्नेहा की ओर बढ़ाते हुए दक्ष बोला - “ बस जज्बा होना चाहिए कुछ बड़ा करने का। “
“ सही कहा। “
“ वैसे कोई परेशानी तो नहीं हुई इंटरव्यू लेने में ? “ - मेज पर से कॉफी का दूसरा कप उठाकर सिप करते हुए दक्ष ने पूछा।
“ ज्यादा तो कोई परेशानी नहीं आई। बस कुछ सवालों के जवाब टालने की कोशिश कर रहे थे विधायकजी। “ स्नेहा बोली - “ लेकिन मैंने उन्हें उनकी जान बचाने की दुहाई देकर जवाब देने के लिए मना लिया। “
“ बढ़िया। “ - खुश होते हुए दक्ष बोला - “ मतलब, हम कह सकते है कि विधायक जी का इंटरव्यू लेने का जो टास्क हमें मिला था, उसको हमने सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। “
“ हाँ। बिल्कुल। “ - स्नेहा बोली - “ लेकिन एक बात मुझे समझ नहीं आ रही। “
“ क्या ? “
“ म्युजियम में अगर हम विधायक जी का इंटरव्यू नहीं ले पाते तो उनके घर जाकर या और किसी जगह उनसे मिलकर भी ले सकते थे ना ? “
“ बिल्कुल ले सकते थे। “
“ फिर तुमने इतना बड़ा रिस्क क्यों लिया ? अगर पकड़े जाते तो… “
“ पकड़े गए क्या ? “
“ नहीं। लेकिन अगर पकड़े जाते तो… “
“ तो जो होता, देखा जाता। “ - दक्ष लापरवाही से बोला - “ वैसे भी, ये विधायक कोई बहुत अच्छा आदमी है नहीं। इसीलिए मुझे तो बिल्कुल भी नहीं लगता कि यह आसानी से अपना इंटरव्यू देता। “
“ हाँ। ये बात तो मैंने भी नोट की। “ - कुछ सोचते हुए स्नेहा बोली।
इसके बाद विधायक जी के इंटरव्यू पर विस्तार से चर्चा करने के बाद वे दोनों डेली न्यूज़ एजेंसी के ऑफिस की ओर रवाना हुए।
•••••
“ क्या! “ - चकित स्वर में बोला प्रकाश आहूजा - “ वो इंटरव्यू देने के लिए तैयार हो गया! “
दक्ष और स्नेहा डेली न्यूज एजेंसी में बॉस के पर्सनल केबिन में उसके सामने विजिटर्स चेयर पर बैठे थे।
“ आपको खुशी नहीं हुई सर ? “ - स्नेहा बोली।
“ अरे, नहीं नहीं। ऐसी कोई बात नहीं। मैं तो बहुत खुश हूँ। “ - अपने चेहरे पर से आश्चर्य के भाव छिपाते हुए बोला आहूजा - “ मैं तो बस यही सोच रहा था कि वहाँ इतनी भीड़ में और भी कई रिपोर्टर रहे होंगे। फिर भी उन्होंने हमें इंटरव्यू देने के लिए अपना कीमती समय दिया! “
“ किस्मत अच्छी थी सर हमारी। “ - दक्ष बोला।
“ हो सकता है। “ - एकाएक ही आहूजा के चेहरे पर कठोरता पूर्ण भाव आए - “ लेकिन तुम लोगों ने कोई बहुत बड़ा तीर भी नहीं मार लिया। “
दक्ष और स्नेहा दोनों चुप रहे।
“ तुम लोगों को म्युजियम के उद्घाटन की न्यूज़ भी कवर करनी चाहिए थी। “ - आहूजा नाराजगी भरे स्वर में बोला।
“ हमने की सर! “ - स्नेहा बोली।
“ सच में! “ - आहूजा बोला - “ रिपोर्ट दिखाओ मुझे। “
स्नेहा ने रिपोर्ट दिखाई।
आहूजा के चेहरे पर पराजय के भाव प्रकट हुए।
“ तुम लोगों ने पत्थर के आदमी की न्यूज़ कवर की ? “ - आहूजा ने पूछा।
“ पत्थर का आदमी ? “ - दोनों के ही मुँह से निकला।
“ मतलब नहीं की! “ - आहूजा तनिक अप्रसन्न भाव से बोला - “ करनी चाहिए थी। “
“ सर! आप क्या बोल रहे है ? मेरी समझ में तो कुछ भी नहीं आ रहा है। “ - स्नेहा बोली।
“ समझ में आता। अगर तुममें से एक ही विधायक बंसल का इंटरव्यू लेता और दूसरा म्युजियम में उपस्थित रहता। “
दक्ष और स्नेहा ने सवालिया नजरों से आहूजा की तरफ देखा।
“ अब ऐसे मूर्खों की तरह मेरी तरफ देखना बंद करो और जाकर म्युजियम में जो घटना हुई, उसकी डिटेल निकालो। “ - आहूजा कठोर स्वर में बोला - “ विधायक के इंटरव्यू से ज्यादा महत्व उस घटना का है। उस पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करो, ताकि कल के एडीशन में हम उसे छाप सके। “
बॉस का संकेत समझकर दक्ष और स्नेहा बाहर आये।
“ मैं कसम खाकर कह सकती हूँ कि भगवान भी आ जाए ना, तो इस खडूस को संतुष्ट नहीं कर सकता। “ - काफी देर से अपने गुस्से को दबाये बैठी स्नेहा बोली - “ इस आदमी को हमारी मेहनत बिल्कुल नहीं दिखती। “
“ इग्नोर करो। “ - दक्ष लापरवाही से बोला।
“ उसकी बातों से तो ऐसा लग रहा था जैसे कि उसे पूरा विश्वास था कि हम विधायक जी का इंटरव्यू ले ही नहीं पाएंगे! “
“ हाँ। क्योंकि बॉस विधायक जी की फितरत को जानते है। उन्हें पहले से ही पता था कि विधायक बंसल हमारे जैसे छोटे पत्रकारों को अपने पास भी नहीं फटकने देगा। “
“ और तुमको भी ये बात पता थी! “ - आश्चर्य के साथ स्नेहा बोली।
दक्ष मुस्कुराया।
“ और इसीलिए तुमने इतना बड़ा रिस्क लिया! क्योंकि तुम जानते थे कि विधायक जी को इंटरव्यू देने के लिए राजी करने का बस वही एक रास्ता था! “
“ देर से ही सही, आखिर तुम समझ ही गई कि विधायक को शूट करने का नाटक करने की मुख्य वजह क्या थी! “
“ उफ! मैं भूल कैसे गई। “ - स्नेहा बोली - “ मैं तुम्हें कॉलेज टाइम से ही जानती हूँ। जो कार्य हाथ में लेते हो, उसे पूरा करके ही रहते हो। चाहे फिर उसके लिए कितना ही बड़ा रिस्क क्यों न लेना पड़े। “
“ क्या कर सकते है। आदत से मजबूर जो ठहरा। “
“ लेकिन ये पत्थर के आदमी की क्या बात है ? “ - स्नेहा बोली - “ क्या घटित हुआ होगा म्युजियम में ? और तुमने तो कहा था कि विधायक को शूट करने का नाटक करने के बाद तुम गए थे म्युजियम में ? “
“ हाँ। गया तो था। “ - दक्ष बोला - “ लेकिन उस समय तो सब ठीक ही चल रहा था। ऐसी तो कोई घटना घटित नहीं हुई थी, जो कि जिक्र के काबिल हो। “
“ तो ? “
“ मेरे वहाँ से आ जाने के बाद कुछ हुआ हो सकता है। “
“ क्या हुआ होगा ? “
“ अब ये तो म्युजियम जाकर ही पता लगेगा। “
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