“ लेकिन, एक बात समझ में नही आई। “ - कुछ सोचते हुए सूरज बोला।
“ क्या ? “
“ रमेश नाम के इस व्यक्ति ने रिवॉल्वर से फायर होने की बात कही थी। पर, जो उसने देखा, उसमें रिवॉल्वर या फायर का तो कोई जिक्र ही नहीं आया। “
“ इस सवाल का जवाब मेरे पास है। “ - विशाल के कुछ बोलने से पहले ही कैंटिन में एक तरफ से आवाज आई।
आवाज की दिशा में घूमकर देखने पर सूरज और विशाल को रॉकी दिखाई दिया।
रॉकी कॉलेज का सबसे ज्यादा बिगडैल और आवारा किस्म का लड़का था। असली नाम तो उसका राकेश माथुर था, लेकिन वह रॉकी नाम से बुलाया जाना ज्यादा पसंद करता था। उसके आस पास हमेशा ही फ्री की दावत उड़ाने वाले लड़को का समूह रहता था। वह दिल खोलकर खर्च करता था। इन सबसे ऊपर सबसे बड़ी बात यह थी कि उसके पिता अभय माथुर पुलिस विभाग में इंस्पेक्टर की पोस्ट पर थे।
“ तुम्हारे पास कोई नई खबर है उस उड़ने वाले इंसान के बारे में ? “ - विशाल ने पूछा।
“ हाँ। बिल्कुल। “ - कहते हुए रॉकी अपनी चेयर से उठा और विशाल के पास आकर एक खाली चेयर पर बैठते हुए बोला - “ मेरे पास पूरी खबर है और सच बात तो यह है कि ये केस मेरे पिता ही सॉल्व कर रहे है। “
“ क्या ? “ - विशाल और सूरज दोनों चकित थे।
“ बैंक डकैती का केस। “ - एक नई बात बताते हुए रॉकी बोला।
“ बैंक डकैती! “ - विशाल थोड़ा आवेशित स्वर में बोला - “ ये बैंक डकैती की बात बीच में कहाँ से आ गई ? उड़ने वाले इंसान ने दो लोगों को आकाश से नीचे फेंका था।… हम उसकी बात कर रहे है, किसी बैंक डकैती की नहीं। “
“ बहुत चालाक हो तुम! “ - कुटिलता से मुस्कुराते हुए बोला रॉकी - “ सब कुछ उगलवा लेना चाहते हो मुझसे। पर तुमको ये क्यों लगता है कि मैं फ्री में तुमको सब कुछ बता दूँगा ? “
ठीक इसी पल जिस मेज के इर्द गिर्द वे लोग बैठे हुए थे, उस पर कुरकुरे का एक पैकेट प्रकट हुआ।
“ अब तो बता दोगे ? “ - पीछे से आई आवाज की दिशा में पलटकर देखने पर उन्हें वर्षा दिखाई दी।
उसके साथ मधु और मिनाक्षी भी थी।
चलते हुए तीनों वहाँ पहुंची।
“ ये कुरकुरे खिलाकर तुम वे सीक्रेट बातें जानना चाहती हो जो इस शहर की पुलिस के अलावा कोई नहीं जानता ? “ - मेज से पैकेट उठाकर उसे वर्षा के सामने लहराते हुए रॉकी बोला।
“ कम है ? “ - एक खाली चेयर पर बैठते हुए वर्षा बोली - “ मैं और भी दे सकती हूँ। “
“ क्या बकवास है ये! “ - हँसते हुए रॉकी बोला - “ और वैसे भी तुमको क्या करना उस उड़ने वाले इंसान के बारे में जानकर ?... तुम तो सुना है, जान भी चुकी हो कि वो कोई इंसान नहीं, बल्कि इंसानों का खून पीने वाला ड्रैक्यूला है। “
“ किसने बोला ऐसा ? “
जवाब में रॉकी ने लड़को के एक समूह की ओर संकेत किया।
यश वहाँ मौजूद था।
“ अरे, वो तो मैं श्रेया के साथ मजाक कर रही थी। “ - खिलखिलाते हुए वर्षा बोली।
“ तुमने श्रेया को ड्रैक्यूला के नाम से डराया ? “ - विशाल थोड़ा इमोशनल होते हुए बोला।
“ डराया नहीं, बस मजाक किया है और तुमको बड़ी चिन्ता हो रही है उसकी ? “
“ ऐसा कुछ नहीं है। “
“ कैसा है, वो तो तुम्हारे चेहरे से पता चल ही रहा है। “ - दबी हुई हँसी के साथ बोली वर्षा।
फाइनल ईयर में वर्षा का क्लासमेट विशाल वैसे तो बाहर से सख्त मिजाज और गंभीर स्वभाव वाला इंसान था। लेकिन वह अपना कोमल और मासूम दिल श्रेया को दे चुका था। यही वजह थी कि उसका नाम सुनते ही विशाल के दिल की धड़कन अचानक तेज हो जाती थी।
“ हाँ तो जरा बताओ ना उस उड़ने वाले इंसान के बारे में कुछ नया ? “ - रॉकी की ओर देखते हुए वर्षा बोली।
“ फ्री में तो नहीं बताने वाला। “ - रॉकी बोला।
“ कुरकुरे दिए तो। “ - रॉकी के हाथ में थमे कुरकुरे के पैकेट की ओर संकेत करते हुए वर्षा बोली - “ कहो तो एक और दे दूँ ! “
“ पकड़ो। “ - कुरकुरे का पैकेट रॉकी वर्षा की ओर बढ़ाते हुए बोला।
हाथ बढ़ाकर पैकेट लेते हुए वर्षा बोली - “ क्या हुआ, कुरकुरे पसंद नहीं! “
रॉकी ने गुस्से से वर्षा की ओर देखा।
“ मुझे तो बहुत पसंद है। “ - कहते हुए वर्षा ने पैकेट को ऊपर से फाड़कर खोला और कुछ कुरकुरे निकालकर मधु व मिनाक्षी को देते हुए बोली - “ लो गर्ल्स! तुम भी खाओ। “
“ इग्नोर करो इनको। “ - विशाल बोला - “ और बताओ क्या चाहिए तुमको उड़ने वाले इंसान के बारे में जानकारी देने के बदले में ? “
“ मुझे और मेरे दोस्तों को एक शानदार पार्टी। “ - रहस्यमयी तरीके से मुस्कुराते हुए रॉकी ने कहा।
“ तुम्हारा तो ठीक है। पर, तुम्हारे दोस्तों की संख्या बहुत ज्यादा है। सबको पार्टी देने जितना जेब खर्च... “
“ अब या तो तुम अपने जेब खर्च की परवाह कर लो या फिर उस खबर की, जिसके बारे में, इस शहर की पुलिस के अलावा किसी को भी कुछ पता नहीं है। “ - बोलते हुए अचानक ही रॉकी चेयर से उठ खड़ा हुआ।
वहाँ से जाने के लिए उसने एक ही कदम आगे बढ़ाया था कि विशाल ने तेजी से खड़े होकर उसके कंधे पर अपना हाथ रखा और बोला - “ रुको भी दोस्त! “
वह वापिस चेयर पर बैठा - “ तो दोगे पार्टी ? “
“ जेब तो इसकी इजाजत नहीं देती। लेकिन.. “ - वर्षा की ओर देखते हुए बोला विशाल - “ मैं मैनेज कर लूँगा। “
“ गुड। “
कुरकुरे खाने में व्यस्त होने के बावजूद वर्षा विशाल की बात का मतलब समझ गई। पहले विशाल की तरफ देखते हुए वह जोर से बोली - “ क्या मैनेज कर लोगे तुम ? “
फिर रॉकी की ओर देखते हुए बोली - “ और गुड क्या है इसमें ? “
“ बात हम दोनों के बीच हो रही है। “ - रॉकी बोला - “ बीच में तुम क्यों गरम हो रही हो ? “
“ हमारी वर्षा को गरम यानी हॉट होने की जरूरत ही नहीं है। “ - मधु बोली।
“ हाँ, यह तो हमेशा से हॉट ही है। “ - दबी हँसी हँसते हुए मिनाक्षी बोली।
रॉकी ने अपने दोनों हाथों की कोहनियाँ मेज पर टिकायी और अपनी हथेलियों से सिर को थामते हुए बोला - “ पता नहीं आज सुबह उठते ही सबसे पहले किसकी सूरत देख ली मैंने, जो इन लोगों को झेलना पड़ रहा है। “
“ आईना देख लिया होगा। हम लोग तो सबसे पहले वही देखते है सुबह उठकर। “ - मिनाक्षी बोली।
“ क्या बोला तुमने ? “ - गुस्से में आकर रॉकी चिल्लाया।
“ तुम कहाँ इन गर्ल्स की बातों में उलझ रहे हो! “ - विशाल बोला - “ अब बताओ भी उड़ने वाले इंसान के बारे में कुछ। “
“ सुनो विशाल! “ - रॉकी के कुछ बोलने से पहले ही वर्षा बोली - “ पिछली बार भी तुम्हारे लिए चैरिटी के नाम पर रुपये इकट्ठे करने के चक्कर में मैं पूरा दिन शहर की सड़कों पर घूमती रही और थककर बीमार पड़ गई। चैरिटी से जितना रुपया तुम्हारे लिए इकठ्ठा किया था, उससे दुगुना तो मेरे इलाज में लग गया था।… इसीलिए इस बार मैं ऐसा कुछ नहीं करने वाली। मुझसे ऐसी कोई उम्मीद बिल्कुल भी मत रखना। “
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