श्रेया ने डायरी में लिखना शुरू किया - “ इस समय शाम के 5 बजकर 20 मिनट हो रहे हैं। बाहर रिमझिम रिमझिम बारिश हो रही है। एक तो पहले ही वह उड़ने वाला इंसान रहस्य बना हुआ है। ऊपर से अभी अभी टीवी में एक नई न्यूज़ सुनी। पत्थर की कोई प्रतिमा अचानक कहीं से आ गई है और वो भी जीवित प्रतिमा ! ऐसी अजीब चीजें हो रही है, जिनके बारे में पहले न तो कभी सुना और न ही जिनके होने की कभी कोई कल्पना की! मेरी पसन्दीदा पेंटिंग, जिसको देखकर मुझे हमेशा सुकून मिलता था, अब उससे भी डर लगने लगा है। मुझे किसी बहुत बड़ी मुसीबत के आने का पूर्वाभास हो रहा है। पता नहीं क्यों, लेकिन जब भी कोई मुसीबत आने वाली होती है, मुझे उसका पूर्वाभास होने लगता है और इस बार तो ऐसा लग रहा है जैसे कोई बहुत ही बड़ी मुसीबत आने वाली है। पता नहीं क्या होने वाला है! अचानक से मुझे इस शहर में रहने से ही डर लगने लगा है। ऐसा कुछ भी तो इस शहर में नहीं है, जो मुझे यहाँ रुकने के लिए मजबूर करे! कॉलेज में कुछ फ्रेंड्स है जरूर। लेकिन वे इतने इंपोर्टेंट नहीं है कि मैं उनके लिए इस शहर में ही रुकने के लिए मजबूर हो जाऊँ। कॉलेज के अधिकतर लड़के पीछे पड़े ही रहते हैं। लेकिन वे तो ऐसे है कि उनको मैं अपना फ्रेंड भी नहीं बोल सकती, क्योंकि मेरी तरफ उनके आकर्षित होने की एकमात्र वजह मेरा रूप है। अगर मैं इतनी सुंदर नहीं होती, तो शायद वे इस तरह मेरे पीछे नहीं पड़ते। इस बात से उनको कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं क्या सोचती हूँ, क्या महसूस करती हूँ। कितना अच्छा होता, अगर कोई मुझे समझने वाला होता! पिताजी को तो अपने काम से ही फुर्सत नहीं मिलती। माँ समझती तो है, लेकिन कभी कभी वे भी अजीब हरकतें करने लगती है और कॉलेज फ्रेंड्स में भी ऐसा कोई नहीं है जो पूरी तरह से मुझे समझ सके।… पता नहीं क्यों, लेकिन आज अचानक ही मुझे किसी अपने की कमी बहुत ज्यादा खल रही है। काश, कोई ऐसा होता, जिसके बारे में मैं सोच सकती, जिसके खयालों में खो सकती! कोई ऐसा, जिससे मैं खूब प्यार कर सकती! लेकिन, ये सब सोचने से क्या फ़ायदा! क्योंकि ऐसा शख्स मुझे तो कल्पनाओं में भी दूर दूर तक कोई दिखाई नहीं देता। “
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“ बस, बहुत हो गया। अब मत रोकना मुझे। “ - यश अब मानने वाला नहीं था - “ आज तो उसे मैं ये लेटर देकर ही रहूँगा। “
“ मुझे लग नहीं रहा कि इससे बात बनेगी। “ - उसे समझाते हुए पवन बोला - “ पहले उसके दिल में अपने लिए फीलिंग लाओ। “
“ और वो कैसे लाते हैं ? “
“ उसकी हेल्प करो। “
“ क्या ? “
“ अरे, छोटे छोटे मामलों में उसकी मदद करो। उसके सामने अच्छा बनकर दिखाओ। “
“ ये सब पुराने फॉर्मूले है। “ - यश लापरवाही से बोला।
“ अच्छा! और ये लव लेटर देने का आईडिया तो बिल्कुल नया है ना, जो कि लगता है तुम्हीं ने ईजाद किया है! “
“ खिल्ली मत उड़ाओ मेरी। कल को जब वो मेरे साथ हाथों में हाथ डालकर घूम रही होगी, तब तुमको अफसोस होगा कि क्यों तुमने मेरी खिल्ली उड़ाई! “
“ वो तो होते होते होगा। फिलहाल तो वो तुम्हें सूखी घास तक नहीं डाल रही। “
कॉलेज ग्राउंड में घूमते हुए यश के हाथ में सफेद रंग का एक A4 साइज का पेपर था, जो निश्चित रूप से लव लेटर ही था। पिछले एक सप्ताह से वह इसे लिए लिए घूम रहा था। यह लेटर वह जिसको देना चाहता था, उसे देने का साहस नहीं जुटा पा रहा था। लेकिन, आज तो जैसे वह कसम खाकर ही आया था कि लेटर उसको देकर ही रहेगा।
इसी मामले में वह अपने बेस्ट फ्रेंड पवन से बात कर रहा था।
कॉलेज ग्राउंड में कई सारे स्टूडेंट घूम रहे थे। सुबह 11 बजे का समय था और अभी तक पहली क्लास का भी टाइम नहीं हुआ था।
“ डालेगी पवन! “ - यश बोला - “ सूखी क्या हरी घास भी डालेगी, जब वो यह लेटर पढ़ लेगी। “
“ अब ऐसा भी क्या लिख दिया इसमें तुमने कि इसे पढ़ते ही वो तुमसे प्यार कर बैठेगी ? “
“ अपना दिल खोलकर रख दिया है इस लेटर में मैंने। तुम बस देखते जाओ। तुम्हारे सामने ही दूँगा इसे मैं। “ - यश पूरे आत्म विश्वास से, नहीं नहीं अति आत्मविश्वास से भरा बोले जा रहा था।
“ मुझे तो बिल्कुल नहीं लगता कि वो इस लेटर को हाथ भी लगाएगी। “
“ तो.. “ - बोलते हुए यश ने अपने जींस की पॉकेट से एक छोटा सा फोल्ड किया हुआ चाकू निकालकर उसे खोलते हुए पवन के सामने लहराकर कहा - “ इसे तो लेगी ही। “
“ य.. ये क्या है! “ - थोड़ा सा घबराते हुए चकित स्वर में पवन बोला - “ तुम पागल तो नहीं हो गए हो ! “
“ हो ही गया हूँ। “ - रहस्यमयी तरीके से मुस्कुराते हुए यश बोला - “ पिछले एक सप्ताह से दिन रात मैं एक ही बात सोच रहा हूँ और आज मैं पक्का इरादा करके आया हूँ कि या तो उसे ये लव लेटर देकर रहूँगा या फिर अपनी जान। अब ये उसी को तय करना है कि वह क्या लेना चाहती है। “
“ ये तो पागलपन है! “ - पवन बोला - “ ऐसी हरकतें करोगे तो कभी वो तुमसे प्यार नहीं करेगी। “
“ कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं करता हूँ ना, बस बहुत है। “
“ दिमाग खराब हो गया है तुम्हारा, जो ऐसी बातें कर रहे हो। मेरी बात सुनो, किसी तरह इंप्रेस करो उसे और ये लेटर वेटर का चक्कर छोड़ो। इससे कुछ हासिल नहीं होने वाला। “
“ भाड़ में जाओ तुम! “ - अचानक ही बदले तेवर के साथ गुस्से में भरा यश बोला और वहाँ से चला गया।
“ ये उस लड़की के प्यार में पूरी तरह से पागल हो चुका है। “ - खुद से ही बात करते हुए पवन बोला - “ मुझे इसके पीछे जाना होगा। कहीं ये कोई ऐसी हरकत ना कर दे, जो इसी के लिए भारी नुकसान दायक हो! “
दौड़ते हुए पवन यश के पीछे गया। आगे आगे चलते हुए यश उस लड़की को ढूँढने की कोशिश कर रहा था, जिसने उसके दिन का चैन और रात की नींद चुरा रखी थी। कैंटिन में, लाइब्रेरी में, क्लास रूम में - सब जगह जा जाकर ढूँढ रहा था वह उसे। लेकिन, उसे वह कहीं नहीं दिखी।
“ ये कहाँ चली गई ? आज कॉलेज भी आई है या नहीं ? “ - सोचते हुए यश बेचैन हो उठा।