मर्डर ऑन वेलेंटाइन नाइट - 12
" और उस दिन के बाद से रिचा ने आकाश को अपने दिल से हमेशा - हमेशा के लिये बाहर निकाल दिया। " - चित्रा ने बताया।
" झूठ है ये। " - रागिनी चीखी - " अगर एक महीने पहले ही रिचा और आकाश का ब्रैकअप हो गया था तो वेलेंटाइन की रात को वे दोनों साथ कैसे थे ? "
" यही बात तो मेरी भी समझ में नहीं आ रही कि उस रात वे दोनों साथ कैसे थे ? " - चित्रा बोली।
" समझने जैसा इसमें कुछ है भी नहीं। " - रागिनी ने कहा - " रिचा और आकाश का ब्रैकअप कभी हुआ ही नहीं , क्योंकि उनके बीच ऐसा कुछ हुआ होता तो रिचा मुझे जरूर बताती। "
" क्या ? " - चित्रा चौंकी - " रिचा ने इस संबंध में आपको कुछ नहीं बताया ? "
" जब ऐसा कुछ हुआ ही नहीं तो वह बताती कैसे ? "
" रिंग चोरी की घटना के कारण रिचा और आकाश का ब्रैकअप हुआ था , यह घटना पूरे काॅलेज में चर्चा का विषय बनी थी। " - चित्रा बोली - " और आपको मुझ पर भरोसा नहीं है तो आप काॅलेज जाकर पता कर सकती है। "
" लेकिन अगर यह सच है तो रिचा ने मुझे बताया क्यों नहीं ? " - रागिनी पेशोपेश में थी।
" हो सकता है कि उसने आपको बताया हो और आपको याद ना रहा हो ! " - चित्रा ने कहा।
" मेरी याददाश्त इतनी कमज़ोर भी नहीं है कि इतनी महत्वपूर्ण बात मुझे याद ना रहे। "
" तो आपके मुताबिक आकाश और रिचा का ब्रैकअप हुआ , जो एक महीने लंबा चला और फिर उनके बीच सुलह हुई ? " - साकेत ने पूछा।
" सुलह वाली बात मुझे नहीं पता , लेकिन ब्रैकअप हुआ था , जिसकी तसदीक आप काॅलेज जाकर किसी से भी कर सकते हैं। "
" रिचा और आकाश एकसाथ हो गये थे , इसकी आपको जानकारी नहीं थी ? "
" नहीं। "
" वजह ? "
" रिंग चोरी की घटना के बाद आकाश और रिचा काॅलेज में एकसाथ कभी नहीं दिखे। " - चित्रा बोली - " और इसीलिये मेरा मानना है कि रिचा का कत्ल होने तक दोनों में सुलह हुई ही नहीं थी। "
" फिर वेलेंटाइन की रात दोनों साथ कैसे थे ? " - साकेत ने पूछा।
" मैं नहीं जानती। "
" इट्स ओके। " - साकेत बोला - " आप अपना एड्रेस और मोबाइल नंबर नोट करवा दीजिये। जरूरत पडने पर मैं आपसे सम्पर्क करूंगा।"
चित्रा ने अपना एड्रेस और मोबाइल नंबर एक पेपर पर लिखकर साकेत की ओर बढाया।
" थैंक्स ! अब मुझे चलना चाहिये। "
" उम्मीद करती हूँ , जल्द ही आप कातिल का पता लगा लेंगे। " - रागिनी बोली।
" कोशिश जारी है रागिनीजी ! " - कहते हुए साकेत बाहर निकला।
कुछ ही समय बाद साकेत कार ड्राइव कर रहा था।
आकाश - रिचा का ब्रैकअप और वेलेंटाइन की रात को उनका अचानक साथ होना - ये दोनों ही अजीब घटनायें थी और इससे भी ज्यादा अजीब था , इन घटनाओं के प्रति रागिनी की अनभिज्ञता !
इस वक्त साकेत के दिमाग में जो नये सवाल उठ रहे थे , उनके सही - सही जवाब सिर्फ एक शख्स के पास थे।
8.30 बजे थे।
साकेत ने कार एम बी हाॅस्पिटल की ओर मोड़ दी।
शीघ्र ही वह हाॅस्पिटल के जनरल वार्ड में , आकाश के सामने मौजूद था।
" हैलो , आकाश ! " - मुसकराते हुए साकेत बोला।
" आप फिर से ? " - गिलास से पानी पीते हुए आकाश बोला।
" क्या कर सकते हैं , काम ही ऐसा है। कभी भी टपकना पड जाता है। "
" यह कौन है ? " - पहले से स्टूल पर विराजमान एक व्यक्ति ने पूछा।
एक दूसरे स्टूल पर टिफिन बाॅक्स खुला रखा था , जो पूरी तरह खाली था। साफ पता चल रहा था कि अभी - अभी आकाश ने डिनर लिया था।
" ये साकेत अग्निहोत्री है पिताजी ! प्राइवेट डिटेक्टिव है।...रिचा के कत्ल की जांच पड़ताल कर रहे हैं। " - आकाश ने बताया।
" कल पुलिस वाले भी आये थे ना ? " - पवन माथुर ने बेटे की ओर देखते हुए पूछा।
" हाँ , पिताजी ! लेकिन इनका मामला अलग है। "
" पहले तुम्हारा एक्सीडेंट हुआ , फिर पुलिस वाले आये और अब ये जासूस ! रिचा लड़की ही मनहूस थी। "
" पिताजी ! " - आकाश चीखा।
" गलत क्या कहा मैंने ! " - पवन माथुर उच्च स्वर में बोले - " वो लड़की जब तक जिन्दा थी , मानसिक रूप से तुम्हें प्रताड़ित करती रही और अब उसके मरने के बाद तो तुम्हारी जान पर ही बन आयी है। मुझे तो ये सब किसी आत्मा - वात्मा का चक्कर लगता है , नहीं तो इतने सालों से तुम ड्राइव कर रहे हो ; आज तक कोई एक्सीडेंट नहीं हुआ और अब उस लड़की के मरते ही…"
" पिताजी ! प्लीज चुप रहिये। " - आकाश का स्वर कुछ धीमा हुआ।
पवन माथुर उठकर खड़े हुए और गुस्से से बाहर की ओर चले गये।
" कहिये , क्या बात है ? " - आकाश ने पूछा।
" आपके पिताजी काफी परेशान लग रहे हैं। " - साकेत बोला।
" रिचा के कत्ल और मेरे एक्सीडेंट के बाद से हम सब काफी परेशान हैं। "
" आपके पिताजी शायद रिचा को पसंद नहीं करते होंगे। "
" पुराने खयालों के है , प्यार - व्यार को फालतू और लड़कियों को बरबादी की वजह मानते हैं। "
" ओके। वैसे मैं आपसे एक बहुत ही आसान सवाल का जवाब जानने के लिये आया हूँ। "
" पूछिये। " - आकाश उपेक्षा से बोला।
" अपनी इन्वेस्टीगेशन के दौरान मुझे ये पता चला है कि करीब एक महीने पहले काॅलेज में कोई रिंग चोरी की वारदात हुई थी। "
" तो अब आप मेरे काॅलेज तक पहुंच गये ? "
" सवाल ये है कि उस रिंग चोरी की घटना ने आपके निजी जीवन को किस हद तक प्रभावित किया ? "
" ये कैसा सवाल है ? " - आकाश चौंका।
" आसान सा सवाल है , आपको मुश्किल लग रहा है ? "
" वो रिंग मैंने नहीं चुरायी थी। "
" मैने ऐसा कब कहा ? "
" लेकिन पूरा काॅलेज यही मानता है कि वो रिंग चोर मैं ही था। एक ऐसा अपराध , जिसे करने वाला कोई और था लेकिन अपराधी बेवजह मैं साबित हुआ था। "
" रिचा क्या मानती थी ? "
" वही जो बाकी लोग मानते थे , उसने भी मुझे ही अपराधी ठहराया। बिना मेरी बात सुने मुझसे दूरी बना ली। "
" ब्रैकअप कर लिया ? "
" हाँ , आप ऐसा कह सकते हैं। "
" और आपके बीच सुलह कब हुई ? "
" करीब एक महीने तक उसने मुझसे बात तक नहीं की। फिर एक दिन उसने मुझसे कहा कि हमें अतीत को भूलकर एक नयी जिन्दगी शुरू करनी चाहिये। मैंने कहा कि रिंग मैंने नहीं चुरायी थी , तब वह बोली कि इस बात को भूल जाना ही बेहतर होगा। "
" तो रिंग चोरी के लिये उसने तुम्हें माफ कर दिया ? "
" हाँ। "
" क्या उसे भरोसा हो गया था कि रिंग चुराने वाले तुम नहीं थे ? "
" ऐसा उसने कहा तो नहीं , लेकिन उसकी आंखें बता रही थी कि उसकी नजरों में मैं निर्दोष साबित हो चुका था। "
" क्या मतलब ? "
" उसे जरूर असली चोर का पता चल गया था , लेकिन उसने मुझे कुछ नहीं बताया। यहाँ तक कि उस घटना को भूलने के लिये भी कहा। "
" एक महीने के ब्रैकअप के बाद एक दिन अचानक रिचा आती है और तुम्हें माफ कर देती है ! उसे असली रिंग चोर का पता भी चल जाता है , लेकिन वह तुम्हें नहीं बताती ! "
" अजीब बात है , लेकिन यही हुआ था। 13 फरवरी को उसने मुझे माफ कर दिया था। "
" आपने सच में रिंग नहीं चुरायी थी ? "
" नहीं। "
" फिर किसी ने आपको फंसाया होगा ! "
" जाहिर सी बात है। "
" किसने ? "
" मुझे नहीं पता। "
" आपके किसी दुश्मन का काम हो सकता है। "
" मेरा कोई दुश्मन नहीं है। "
" आपने कभी पता करने की कोशिश नहीं की ? "
" की थी , लेकिन कुछ पता नहीं चल पाया। "
" किसी पर शक भी नहीं हुआ ? "
" शक ! " - आकाश थोड़ा सोचते हुए बोला - " मुझे तो ये सब पलक की ही चाल लगती है। "
" मतलब , पलक ने खुद ही अपनी रिंग तुम्हारे बैग में रख दी और रिंग चोरी होने का नाटक किया ? " - चौंकते हुए साकेत ने पूछा।
" मुझे ऐसा ही लगता है। पूरे काॅलेज में ऐसा कोई है नहीं , जो मुझे बदनाम करना चाहता हो , जबकि यह घटना ऐसी ही किसी साजिश का हिस्सा लगती है। "
" लेकिन पलक ने ऐसा क्यों किया होगा ? "
" यह बात पलक से बेहतर और कौन जान सकता है ! "
" सही कहा। " - मुसकराते हुए साकेत बोला - " अपना कीमती वक्त देने के लिये शुक्रिया ! "
" अगली बार मुझसे मिलने के लिये आपको हाॅस्पिटल का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पडेगी। " - आकाश बोला - " कल सुबह मुझे डिस्चार्ज कर दिया जायेगा। "
साकेत वहां से रूखसत हुआ।
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