एक डाल पर बैठे दो उल्लू ,
एक गया मनाली, एक गया कुल्लू ।
उल्लूओं में छिड़ी जंग ,
दिखाया सबने अपना रंग ।
हो चाहे कोई कितना ही तंग,
डाल ना छोडेंगे
रहेंगे सब यहीं संग।
लौट आये दोनों उल्लू ,
गये थे जो मनाली और कुल्लू ।
बोले - ' रहेंगे हम भी यहीं,
ना जायेंगे ये डाल छोड़कर कहीं । '
बोला बुजुर्ग एक उल्लू -
" लौट आये क्यों तुम
छोड़कर मनाली और कुल्लू ? "
बोले दोनों - " नहीं रहना वहां,
पडती हो भीषण ठण्ड जहां। "
बिछा ना पाये अपना जाल,
ना हासिल कर पाये कोई डाल ।
लौट आये बस इसीलिये
दोनों उल्लू ,
छोड़कर स्वर्ग जैसा ,
मनाली और कुल्लू ।
- स्वरचित ( विजय कुमार बोहरा )
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