रविवार, 25 अगस्त 2024

ईशा मर्डर केस ( भाग - 3 )

  


पायल ने बताना शुरू किया - " मुझे कुछ दिन पहले ही एक अननोन नम्बर से मेरे वॉट्सएप्प पर कुछ फोटो मिली , जिसमें ईशा की किसी अजनबी के साथ क्लिक की हुई फोटो थी। फोटो भेजने वाले ने उस अजनबी लड़के का नाम और एड्रेस भी सेन्ड किया था।...कुछ दिन तक तो मैंने परवाह नहीं की। लेकिन , दिमाग में फिर से बार - बार अमित ही घूमने लगा। मैं उससे अब भी प्यार करती थी। उसी ने मुझे ईशा के लिए छोड़ा था , मैंने तो हमेशा सिर्फ उसी को चाहा था।...मुझे लगा कि ईश्वर ने अमित को ईशा से दूर करने और मेरे नजदीक लाने का इतना सुनहरा अवसर मुझे दिया है , तो इसका लाभ जरूर उठाना चाहिए। बस इसीलिए मैंने कल रात उसे कॉल करके अपने घर बुलाया। मुझे लगा कि जब अमित को ईशा के दूसरे बॉयफ्रेंड के बारे में पता चलेगा , तो उसका मन ईशा के प्रति नफरत से भर उठेगा और शायद उसका मेरे प्रति पुराना प्यार जाग उठेगा। लेकिन , ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। "

" तुमने पता करने की कोशिश नहीं की कि वे फोटो तुम्हें भेजने वाला शख्स कौन था ? " - इंस्पेक्टर ने पूछा।

" मैंने कॉल किया था। लेकिन नंबर स्विच ऑफ बता रहा था। "

" जिस नम्बर से तुमको वे इमेज भेजी गई थी , वे नम्बर हमको मिल सकते हैं ? " 

" नहीं। "

" क्या ? " - इंस्पेक्टर चौंका - " वजह ? "

" नम्बर मैंने डिलीट कर दिया। " 

" तब तो फोटो भी डिलीट हो गई होगी ? "

" नहीं। इमेज डाऊनलोड होते ही मोबाइल की गैलरी में सेव हो जाती है। इसीलिए इमेज नष्ट नहीं हुई। "

" ओके। " - कुछ सोचते हुए इंस्पेक्टर बोला - " मेरे पास भी एक फोटो है। "

" आपको भी किसी ने व्हाट्सएप पर भेजी है ? " 

इंस्पेक्टर मुस्कराया - " नहीं। लेकिन , जहाँ से भी मुझे मिली है , है काम की ही। तुमको यह बताना है कि वह फोटो है किसकी ! " 

" मेरी पहचान की हुई , तो जरूर बता सकूँगी। "

इंस्पेक्टर ने फोटो दिखाई। 

बहुत ध्यान से देखने के बाद पायल कहीं गहन विचारों में खो गई।

" किस सोच में पड़ गई ? " - देवेश चौबीसा ने पूछा।

" ये फोटो कितनी पुरानी है इंस्पेक्टर साहब ? "

" पुरानी ? " - इंस्पेक्टर चौंका - " कल रात की ही है। "

" आपने कभी किसी मुर्दे को मॉल में घूमते हुए देखा है ? " - शून्य में कहीं दूर देखते हुए पायल बोली।

" क्या ? " - इंस्पेक्टर देवेश चौबीसा ने चकित स्वर में पूछा - " तुम कहना क्या चाहती हो ? "

" इस फोटो में ईशा के साथ जो लड़का है , वो पिछले साल ही मर चुका है। "

" क्या बकवास कर रही हो तुम ? " - इंस्पेक्टर चिल्लाया।

" बकवास नहीं कर रही इंस्पेक्टर साहब ! जो सच है वो बोल रही हूँ। "

" और सच क्या है ? "

" यही कि फोटो में ईशा के साथ जो लड़का है , वो एक साल पहले ही मर चुका है। "

" ये मुर्दा है या जिन्दा - यह तो बाद की बात है। पहले हम ये तो जान ले कि यह लड़का है कौन ? "

" है नहीं , था। "

" ठीक है। तुम्हारे शब्दों में था।...अब बताओ कौन था ये लड़का ? "

" रवि। " - पायल ने बताना शुरू किया - " जिससे ईशा मर जाने की हद तक प्रेम करती थी। "

" ये सब तुम्हें कैसे मालूम ? "

" ईशा मेरी फ्रेंड थी और वो मुझसे कभी कुछ नहीं छिपाती थी।….साफ तौर पर कहूँ तो ईशा मेरी बेस्ट फ्रेंड थी। लेकिन सिर्फ तब तक , जब तक कि उसने मुझसे अमित को छीन नहीं लिया। "

" छीन लिया मतलब ? "

" मतलब छीन लिया। किस्मत ने उससे उसका रवि छीन लिया और उसने मुझसे मेरा अमित छीन लिया। "

" हुआ क्या था ? " 

" वही बता रही हूँ। " - पायल अपनी बात जारी रखते हुए बोली - " करीब तीन साल पहले 10th क्लास के एग्जाम खत्म होने के बाद समर वकेशन में मैंने बेसिक कंप्यूटर टाइपिंग सीखने के लिए एक कंप्यूटर सेन्टर जॉइन करने के बारे में सोचा। पता नहीं , यह महज इत्तेफाक था या कुछ और कि उसी कंप्यूटर सेंटर पर मेरी मुलाकात अपने उन तीन दोस्तों से हुई , जो जल्द ही मेरे जीवन में बहुत खास बन गए। वैसे तो वे तीनों ही बहुत खास थे। लेकिन , अमित

...उसकी बात कुछ अलग ही थी। यह आप भी जल्द ही समझ जायेंगे कि अमित क्यों इतना खास था !

सबसे पहले मैं उसी से मिली थी।

हम लोगों के बैच में करीब 25 स्टूडेंट्स थे।

सब वहाँ एक ही उद्देश्य के लिए आये थे।

फ़ास्ट और प्रोफेशनल टाइपिंग सीखना।

इंग्लिश टाइपिंग कोई खास समस्या नहीं थी। सभी बड़े इंटरेस्ट से इंग्लिश टाइपिंग सीख रहे थे।

असल समस्या थी , हिन्दी टाइपिंग !

आपको पता होना चाहिये कि अल्फाबेट के A अक्षर को टाइप करने से हिन्दी वर्णमाला का कौनसा अक्षर टाइप होगा।

हालांकि सभी स्टूडेंट्स को एक लिस्ट मुहैया कराई गई थी , जिससे हिन्दी टाइपिंग काफी आसान हो जाती थी। लेकिन फिर भी इंग्लिश टाइपिंग के मुकाबले हिन्दी टाइपिंग ज्यादा मुश्किल थी।...शायद इसीलिए ज्यादातर स्टूडेंट्स का फोकस इंग्लिश टाइपिंग पर ही था। लेकिन अमित !...वह हमेशा हिन्दी टाइपिंग को ही अधिक तवज्जो देता था , जिसका परिणाम यह निकला कि जल्द ही वह हिन्दी टाइपिंग में परफ़ेक्ट हो गया।

और इतना ही नहीं , उसने बाकी स्टूडेंट्स की भी मदद करनी शुरू कर दी। 

किसी को भी हिन्दी टाइपिंग में कोई समस्या होती , तो अमित मदद के लिए हमेशा तैयार रहता।

उसकी इसी गुड हैबिट की वजह से मैं उससे काफी प्रभावित हो गई और मन ही मन उसे चाहने लगी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

हिन्दी प्रेमी

  आ गया फिर से हिन्दी दिवस उपेक्षित! अनादृत! हिन्दी भाषा को गौरव दिलाने का दिन!  वही दिन जब बहुतेरे आंग्ल भाषी भारतीय सप्रयास बोलेंगे हिन्दी...