अमित के हेल्पिंग नेचर की वजह से ही ईशा और रवि से हमारी फ्रेंडशिप हो गई।
ईशा और रवि कंप्यूटर क्लास जॉइन करने से पहले ही एक - दूसरे को जानते थे।
न केवल जानते थे , बल्कि रिलेशनशिप में भी थे।
जबकि मैं हिन्दी टाइपिंग सीखने के बहाने अमित से नजदीकियां बढ़ाना अब शुरू कर रही थी।
सब कुछ ठीक चल रहा था।
इसी बीच एक घटना घटी।
हम लोगों के 10th का रिजल्ट आया।
सभी अच्छे नंबरों से पास हुए थे।
लेकिन , रवि पास नहीं हो पाया।
वह फैल हो गया।
रवि के लिए हम सबको अफसोस हुआ। लेकिन , हमें उम्मीद नहीं थी कि इस छोटी सी घटना की वजह से वह इतना बड़ा कदम उठा लेगा।
अगले दिन उसकी लाश ट्रेन की पटरियों पर पाई गई।
उसने ट्रैन के आगे कटकर अपनी जान दे दी थी।
साथ में एक लेटर भी मिला , जो उसकी पॉकेट से बरामद हुआ था।
लेटर में उसके मरने की वजह का जिक्र था।
10th क्लास में फैल होने के बाद अपने पापा के गुस्से का सामना करने की हिम्मत वह जुटा नहीं पा रहा था और इसी वजह से उसने आत्महत्या कर ली। "
पायल की पूरी बात सुनने के बाद इंस्पेक्टर बोला - " तो आपका कहना है कि फोटो में जो शख्स ईशा के साथ है , वो ईशा का बॉयफ्रेंड था और तीन साल पहले ही मर चुका है ? "
" निश्चित तौर पर। " - पायल बोली - " और आप चाहे तो रवि के घर जाकर भी तसल्ली कर सकते हैं। "
" ओके। एड्रेस बताईये। "
पायल ने बताया।
" तुमको अपना मोबाइल भी देना होगा। " - इंस्पेक्टर बोला।
" मोबाइल ? " - पायल चौंकी - " वह क्यों ? "
" जिस नम्बर से आपको वाट्सएप के जरिये मैसेज किया गया था , वो नम्बर दोबारा हासिल करने के लिए इसकी हमें जरूरत पड़ेगी। " - देवेश चौबीसा बोला - " हाँ , आप चाहे तो सिम कार्ड निकाल सकती है। "
" ओके। "
□ □ □
इंस्पेक्टर देवेश चौबीसा रवि के घर पहुंचकर उसके पिता जगत से मिला।
" आपके पास अपने बेटे रवि की कोई फोटो होगी ? " - इंस्पेक्टर ने पूछा।
" अभी लाता हूँ। " - कहते हुए जगत खन्ना उठा और वहाँ से चला गया।
कुछ ही पलों के बाद वह दोबारा प्रकट हुआ।
उसके पास एक फोटो एलबम थी।
" यह हमारी फैमिली फोटो एलबम है। इसमें आपको रवि की कई फोटो मिल जाएगी। "
इंस्पेक्टर एलबम देखने में व्यस्त हो गया।
" आखिर बात क्या है इंस्पेक्टर साहब ? " - जगत खन्ना ने हिम्मत करके तीसरी बार पूछा।
इंस्पेक्टर चौबीसा ने अभी तक खन्ना को यह नहीं बताया था कि उसकी यहाँ मौजूदगी की वजह क्या थी !
इस बार भी वह कुछ नहीं बोला और सामने रखी टेबल पर एलबम को रखकर तेजी से उसे फ्लिप करने लगा।
उसे यकीन नहीं हो रहा था।
फोटो में वही लड़का था , जो ईशा के साथ मॉल में घूमता हुआ CCTV में कैद हुआ था और पायल के मुताबिक , जो तीन साल पहले ही मर चुका था।
बहरहाल , अभी जगत खन्ना से रवि के विषय मे पूछताछ की जानी बाकी थी।
" क्या मैं आपके बेटे रवि से मिल सकता हूँ ? " - फोटो एलबम को एकाएक ही बन्द करके एक तरफ खिसकाते हुए इंस्पेक्टर ने पूछा।
" क्या बकवास कर रहे हैं आप ? " - जगत खन्ना अप्रत्याशित ढंग से चीखा - " एक तो जबसे आप यहाँ आये हैं , आने का प्रयोजन स्पष्ट किये बिना ही सवाल पर सवाल किए जा रहे हैं और अब ऐसी बेबुनियाद बातें करके भावनात्मक रूप से मुझे तकलीफ भी पहुँचा रहे हैं ! "
" ये रही बुनियाद। " - CCTV फुटेज से प्रिन्ट की हुई फोटो को टेबल पर फेंकते हुए इंस्पेक्टर बोला - " देख लो इसको , तुम्हारा ही बेटा है ना ये ? "
खन्ना ने फोटो ध्यान से देखी।
उसे अपने देखे हुए पर यकीन नहीं हो रहा था।
" य… यह तो रवि की फोटो है। रवि अगर जिन्दा होता , तो बिल्कुल ऐसा ही दिखता।...ये उसका कोई हमशक्ल है। " - आंखें फाड़े एकटक फोटो को देखते हुए जगत खन्ना बोला।
हमशक्ल शब्द सुनते ही इंस्पेक्टर चौंका।
" आपके कितने बेटे है ? "
" बेटा मेरा एक ही था और वो तीन साल पहले ही मर चुका है। "
" कैसे ? "
खन्ना ने बताया।
कहानी बिल्कुल वही थी जो पायल ने सुनाई थी।
10th में फैल होने की वजह से उसने ट्रैन से कटकर अपनी इहलीला समाप्त कर दी थी।
" फिर उस दिन ईशा के साथ मॉल में कौन था ?...रवि का कोई हमशक्ल ? " - इंस्पेक्टर का दिमाग काम नहीं कर रहा था - " आपको पूरा यकीन है कि आपका बेटा तीन साल पहले ही मर चुका है ? "
" मैंने अपने हाथों से उसकी चिता को आग दी थी। "
" ओके मिस्टर जगत ! " - उठते हुए इंस्पेक्टर बोला - " सहयोग के लिए धन्यवाद। "
□ □ □
" आपको क्या लगता है सर ! " - कॉन्स्टेबल यश बोला - " ईशा के साथ जो लड़का मॉल में गया था , वो उसका कोई हमशक्ल था ? "
" पता नहीं। कोई हमशक्ल था या खुद रवि ही ! "
" रवि कैसे हो सकता है सर ! वह तो तीन साल पहले ही मर चुका है न ! "
" उसका भूत होगा। " - जीप ड्राइव करते हुए ड्राइवर कॉमेडी भरे अंदाज़ में बोला।
लेकिन कोई हंसा नहीं।
" होने को कुछ भी हो सकता है। " - इंस्पेक्टर बोला - " लेकिन हकीकत हमे नहीं पता। सच जानने वाला शख्स मर चुका है। "
" तो अब ? "
" हमें उस लड़के को कहीं से भी ढूँढ निकलना होगा। " - कुछ सोचते हुए चौबीसा बोला - " पुलिस स्टेशन चलो। "
जीप पुलिस स्टेशन की ओर चल पड़ी।
जल्द ही वह फोटो शहर के सारे पुलिस स्टेशनों में भिजवा दी गई।
फोटो में जो शख्स था , रवि या उसका कोई हमशक्ल , उसे देखते ही गिरफ्तार करने का वारंट निकाला गया।
साथ ही इंस्पेक्टर चौबीसा ने एक जरुरी काम और किया।
तीन साल पहले ट्रैन दुर्घटना में मारे गए रवि की F I R जिस थाने में दर्ज हुई थी , उसका पता लगाकर , उसकी फ़ाइल मंगवाई गई। यह काम थोड़ा मुश्किल था। फिर भी कुछ सरकारी कार्यवाहियां करके इंस्पेक्टर चौबीसा ने 24 घंटों के भीतर ही वह फ़ाइल अपनी मेज तक लाने में सफलता हासिल कर ली।
अब चौबीसा को फ़ाइल का मुआयना करना था।
उसने फ़ाइल ओपन की।
उसका एक एक पन्ना पलटकर देखा।
पूरी फ़ाइल को ध्यान से देखकर उसने फ़ाइल परे रख दी।
इधर से इंस्पेक्टर का फ़ाइल को परे रखना हुआ और उधर से टेलीफोन घनघना उठा।
चौबीसा ने रिसीवर उठाते हुए कहा - " हेलो , इंस्पेक्टर देवेश चौबीसा स्पीकिंग ! "
" मैं प्रतापपुर थाने से इंस्पेक्टर रूपेश चौहान बोल रहा हूँ। जिस शख्स की हमें मिल गया है। "
" क्या ?...कब ?...कहाँ ?..." - देवेश चौबीसा जो सुन रहा था , उस पर यकीन कर पाना काफी मुश्किल था।
" चंद्रेश होटल से अभी फोन के माध्यम से सूचना मिली है। मैं वहीं जा रहा हूँ , आप भी सीधा वहीं पहुंचिये। "
फोन रखते ही चौबीसा ने ड्राइवर को जीप निकालने का आदेश दिया।
अगले ही पल जीप बिजली की सी गति से सड़क पर दौड़ी जा रही थी।
जल्द ही जीप चंद्रेश होटल के सामने रुकी।
इंस्पेक्टर चौबीसा तूफानी गति से होटल में दाखिल हुआ।
होटल मैनेजर सामने ही दिख गया।
" कहाँ है रवि ? " - मैनेजर को देखते ही चौबीसा ने पूछा।
" आइये मेरे साथ। " - कहने के साथ ही मैनेजर इंस्पेक्टर को एक लिफ्ट में लेकर गया। लिफ्टबॉय को तीसरी मंजिल पर जाने के लिए आदेशित किया गया।
जल्द ही वे तीसरी मंजिल पर थे।
इंस्पेक्टर चौबीसा समझ चुका था कि इंस्पेक्टर रूपेश चौहान अभी तक यहाँ नहीं पहुंचा था।
मैनेजर के साथ वह रूम नम्बर 205 के सामने पहुँचा।
मैनेजर ने डोरबेल बजाई।
जल्द ही गेट खुला।
गेट खोलने वाले शख्स को देखकर चौबीसा बुरी तरह चौंक उठा।
वह रवि ही था या शायद उसका कोई हमशक्ल !
" यस ? " - सवालिया निगाहो से देखते हुए उसने पूछा।
" तुम्हारा नाम क्या है ? " - सवाल इंस्पेक्टर चौबीसा ने किया।
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