ईशा मर्डर केस - 2
" ईशा घर से निकली थी अपने बॉयफ्रेंड अमित और दो कॉलेज फ्रेंड के साथ मूवी देखने जाने के लिए। लेकिन अचानक से अमित के मोबाईल पर उसकी ex - girlfriend का कॉल आया और उसे वहाँ से जाना पड़ा। इसके बाद ईशा का मूड ऑफ हो गया और वह कैब करके घर की ओर चल पड़ी। लेकिन , वह घर जाने के बजाय निहारिका मॉल जा पहुँची , जहाँ पर वह एक लड़के से मिली। वह लड़का शायद उसका दूसरा बॉयफ्रेंड रहा होगा। इसके बाद वह 8 बजे मॉल से उसी लड़के के साथ बाहर निकली और 10 बजे उसका कत्ल कर दिया गया।...सवाल ये है कि उन 2 घंटो के बीच वह कहाँ रही ? " - जीप की ओर बढ़ते हुए इंस्पेक्टर चौबीसा ने यश से पूछा।
" कुछ समझ नहीं आ रहा सर ! " - कांस्टेबल यश बोला - " हमें उस लड़के के बारे में पता करना चाहिए , जो ईशा के साथ निहारिका मॉल में गया था। "
" सही कह रहे हो। "
वे जीप की ओर बढ़े।
जीप स्टार्ट हुई।
जल्द ही वे ईशा के अंकल अर्जुनसिंह के घर पहुँचे।
अर्जुनसिंह का घर , घर न होकर एक तरह का बंगला था।
जीप को देखते ही गेट कीपर ने लोहे के बड़े से प्रवेश द्वार को खोल दिया।
जीप बंगले के भीतर प्रविष्ट हुई।
कुछ ही देर बाद इंस्पेक्टर चौबीसा बिजनेसमैन अर्जुनसिंह के सामने थे।
" कुछ पता चला मेरी भतीजी के कातिल का ? " - चिन्तित स्वर में अर्जुनसिंह ने पूछा।
" तहकीकात जारी है। " - इंस्पेक्टर बोला।
" कोई सुराग मिला हो ? "
" नहीं। "
" फिर आपके यहाँ आने की वजह ? "
जवाब में देवेश चौबीसा ने वह फोटो अर्जुनसिंह को दिखाई , जो CCTV फुटेज से प्रिंट करवाई गई थी।
" यह क्या है ? " - अर्जुनसिंह चौंका।
" इसे जानते हैं आप ? "
" नहीं। कौन है ये ? "
" ईशा के साथ निहारिका मॉल में गया था ये कल रात को। "
" लेकिन ईशा तो अमित के साथ गई थी ना ? "
" हाँ , गई तो थी। " - कहते हुए इंस्पेक्टर ने अब तक की पूरी कहानी सुनाकर कहा - " अंतिम बार ईशा इसी फोटो वाले लड़के के साथ देखी गई थी। "
" ओह ! और आप इस तक पहुंचना चाहते हैं। "
" हाँ। "
" मतलब , अभी तक आप अँधेरे में ही तीर चला रहे हैं ? "
" कोई तो निशाने पर लगेगा। "
" उम्मीद मुझे भी है। "
" वैसे , ये इतना बड़ा बंगला , आपका बिज़नेस और प्रोपर्टी के इकलौते मालिक आप ही है ? "
इंस्पेक्टर के इस सवाल ने अर्जुनसिंह को बुरी तरह से चौंका दिया - " आप कहना क्या चाहते हैं ? "
" मैं सिर्फ जानना चाहता हूँ। " - इंस्पेक्टर चौबीसा ने पूछा - " अपनी सारी प्रोपर्टी के इकलौते वारिस आप ही है या इसमें आपकी भतीजी का भी कुछ हिस्सा शामिल है ? "
" 50 % "
" क्या ? "
" ईशा मेरी प्रोपर्टी के 50 % हिस्से की हकदार थी। "
" और अब जबकि ईशा मर चुकी है तो उस 50 % हिस्से का हकदार कौन हुआ ? "
" निश्चित तौर पर मैं। "
" मतलब ईशा की मौत से सबसे ज्यादा फायदा आपको ही होना था , जो कि हो चुका है। "
" आप भूल रहे हैं कि ईशा मेरी एकलौती रिश्तेदार थी। मेरा ईशा के अलावा कोई नहीं था और वैसे भी करोड़ों की इस प्रोपर्टी के 50 % हिस्से का वारिस में भी था। मेरी अगर कोई संतान होती , तब भी जो संभावना आप व्यक्त कर रहे हैं , मेरी नजर में वो निराधार होती।...अगर कहीं ईशा की जगह मेरा कत्ल हुआ होता , तब भी आप यही संभावना व्यक्त करते ?...वैसे , इसमे आपकी कोई गलती नहीं है। पुलिस वाले जब अपराधी तक पहुँचने में नाकाम रहते हैं तो जैसे - तैसे केस निपटाने के लिए कोई न कोई रास्ता तो ढूंढ ही निकालते हैं। "
" अरे , आप तो बुरा मान गए। " - इंस्पेक्टर बोला - " हम पुलिस वाले हैं। "
" पुलिस वाले इंसान नहीं होते क्या ? " - सीधे चौबीसा की आँखों में देखते हुए अर्जुनसिंह बोला।
" आप बेवजह इमोशनल हो रहे हैं। ये महज औपचारिकताएं है। हमें केस के हर पहलू पर विचार करना होता है। "
" विचार करिये। लेकिन बिना आधार के नहीं। "
" आधार भी मिल जायेगा। " - इंस्पेक्टर सोफे से उठते हुए बोला।
" जरूर मिलेगा। " - अर्जुनसिंह भी उठा - " अगर हुआ तो। "
□ □ □
" अब कहाँ चलना है सर ? " - थके स्वर में ड्राइवर ने पूछा।
सुबह से इंस्पेक्टर चौबीसा के साथ साथ दोनों कांस्टेबल और ड्राइवर भी इधर से उधर घूम ही रहे थे।
" इस वक्त हमारे लिए सबसे ज्यादा जरूरी है , ये पता करना कि मॉल में ईशा जिस लड़के से मिली , वह कौन था। "
" हमें उसके कॉलेज से पता करना चाहिए। " - यश बोला।
" एक और जगह से पता किया जा सकता है। "- इंस्पेक्टर बोला।
" कहाँ से ? "
" पायल के घर से। "
" मतलब अब पायल के घर चलना है ? " - ड्राइवर ने पूछा।
" हाँ। "
गंतव्य का ज्ञान होते ही जीप ने गति पकड़ी।
जल्द ही वे कृष्णा नगर कॉलोनी स्थित पायल के घर पहुंचे।
कॉलबेल के बजते ही गेट खुला।
" इंस्पेक्टर देवेश चौबीसा , ईशा मर्डर केस की तफ्तीश कर रहा हूँ। " - परिचय देने के साथ ही इंस्पेक्टर ने अपना प्रयोजन भी बताया।
" ईशा का कत्ल हो गया ? " - चौंकते हुए पायल बोली - " कब ? कैसे ? "
इंस्पेक्टर ने बताया।
" बहुत बुरा हुआ। " - पूरी बात सुनकर पायल बोली।
" आपके लिए तो अच्छा ही हुआ। " - इंस्पेक्टर बोला।
" आप कहना क्या चाहते हैं ? "
" ईशा तुम्हारे और अमित के बीच दीवार बनकर खड़ी थी। वह दीवार अब ढह चुकी है। "
" एक साल पहले ही मेरा अमित से ब्रेकअप हो चुका है और अब मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह ईशा के साथ था या किसी और के साथ। "
" कल रात तो आपके विचार कुछ और ही थे। "
" जी ? " - पायल चौंकी।
" कल आप अमित से मिली थी। "
" तो ? "
" ब्रेकअप के एक साल बाद अचानक उससे मिलना कैसे सूझा ? "
" मन हुआ तो मिल ली। " - पायल लापरवाही से बोली।
" मिल नहीं ली , मिलने के लिए उसको घर पर बुलाया था। " - इंस्पेक्टर ने थोड़ा आवेशित स्वर में कहा।
" इससे आपको कोई मतलब नहीं होना चाहिए। "
" नहीं होता। अगर अमित के यहाँ आने का ईशा मर्डर केस से कोई संबंध न होता , तो मुझे भी इस बात से कोई मतलब नहीं होता। "
" आप कहना क्या चाहते हैं ? " - पायल ने चकित स्वर में पूछा।
" आपकी एक छोटी सी हरकत की वजह से ईशा का कत्ल हो गया। "
" क्या ? " - पायल अंदर तक काँप उठी।
" आपने अगर कॉल करके अमित को यहाँ नहीं बुलाया होता , तो जिस तरह से उसने ईशा को उसके घर से रिसीव किया था , उसी तरह वो उसे सही - सलामत उसके घर ड्रॉप कर देता। "
" और ईशा आज जिन्दा होती ? "
" निश्चित तौर पर। "
" वाह ! इंस्पेक्टर साहब ! आपका तर्क तो लाजवाब है। "
" परोक्ष रूप से ईशा के कत्ल की वजह तुम ही हो। "
" आपकी बातों से लग रहा है कि कातिल के पास ईशा को मारने का वह पहला और आखिरी अवसर था , जो मैंने उसे मुहैया कराया। "
" काम की बात करें अब ? "
" बोलिये। "
" अमित को अपने घर यूँ एकाएक बुलाने की क्या वजह थी ? "
" उसके साथ जो धोखा हो रहा था , उसके बारे में बताना चाहती थी। "
" कैसा धोखा ? "
" ईशा अमित के अलावा एक और लड़के को भी डेट कर रही थी। "
" किसे ? "
" अभिनव को। "
" वो कौन है ? "
" ये आप उसी से पूछे तो ज्यादा बेहतर होगा। "
" यह बात अमित को कल ही रात बताना जरूरी थी ? "
" हाँ। "
" इतनी जरूरी कि आप एक दिन और इंतजार नहीं कर सकती थी ? "
" एक दिन ?...मैं एक पल भी इंतजार नहीं कर सकती थी। "
" क्यों ? "
" क्या ? "
" क्यों इंतजार नहीं कर सकती थी ? "
" क्योंकि मैं उससे आज भी प्यार करती हूँ। "
" पिछले एक साल में आपको अपने प्यार का अहसास कल रात ही हुआ ? "
" यह बात नहीं है। "
" फिर ? "
" बताती हूँ। "
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