"ईशा घर से अपने दोस्त अमित और दो कॉलेज फ्रेंड के साथ मूवी देखने के लिए गई थी। लेकिन अचानक से अमित के मोबाइल पर उसकी एक्स-गर्लफ्रेंड का कॉल आया और वह वहां से चली गई। इसके बाद ईशा का मूड खराब हो गया। लेकिन, वह घर जाने के बजाय निहारिका मॉल जा पहुंची, जहां वह एक लड़के से मिली थी। इसके बाद वह रात 8 बजे उसी लड़के के साथ चली गई आउटलुक और रात 10 बजे उसका अंतिम संस्कार किया गया।...सवाल ये है कि उन 2 घोंटो के बीच वह कहां रह रही है?'' - जीप की ओर बढ़ते हुए इंस्पेक्टर चौबीसा ने यश से पूछा।
"कुछ समझ नहीं आ रहा सर!" -कैंसल यश बोला - "हमें उस लड़के के बारे में पता करना चाहिए, जो ईशा के साथ निहारिका मॉल में गया था।"
"सही कह रहे हो।"
वे जीप की ओर बढ़े।
जीप यात्रा हुई।
जल्द ही वे ईशा के अंकल अर्जुनसिंह के घर पहुंचे।
अर्जुनसिंह का घर, घर न एक तरह का बंगला था।
जीप को देखते ही गेट कीपर ने लोहे के बड़े से प्रवेश द्वार को खोल दिया।
जीप आवास के अंदर प्रवेश हुआ।
कुछ ही देर बाद इंस्पेक्टर चौबीसा बिजनेसमैन अर्जुनसिंह के सामने आए।
"कुछ पता चला मेरी भतीजी के कातिल का?" - चिंतन स्वर में अर्जुनसिंह ने पूछा।
" तहकीकात जारी है। " - इंस्पेक्टर बोला।
" कोई सुराग मिला हो ? "
" नहीं। "
" फिर आपके यहाँ आने की वजह ? "
जवाब में देवेश चौबीसा ने वह फोटो अर्जुनसिंह को दिखाई, जो सीसीटीवी फुटेज से प्रिंट किया गया था।
"यह क्या है?" -अर्जुनसिंह चौंका।
"क्या आप यह जानते हैं?"
"नहीं। ये कौन है?"
"ईशा के साथ निहारिका मॉल में थी ये कल रात।"
"लेकिन ईशा तो अमित के साथ गयी थी ना?"
" हां , गया तो था। " - कहते हुए इंस्पेक्टर ने अब तक की पूरी कहानी सुनाकर कहा - "आखिरी बार ईशा इसी फोटो वाले लड़के के साथ गई थी।"
"ओह! और आप इस तक का सामान चाहते हैं।"
" हाँ। "
"मतलब, अभी तक आप अँधेरे में ही तीर चला रहे हैं?"
"कोई नहीं तो स्थायित्व पर जगह।"
"उम्मीद है मुझसे भी है।"
"वैसे, ये इतना बड़ा बंगला, आपका इतना बड़ा और प्रोपर्टी का इकलौते मालिक आप ही हैं?"
इंस्पेक्टर के इस सवाल ने अर्जुनसिंह को बुरी तरह से चौंका दिया - "आप क्या कहना चाहते हैं?"
"मुझे बस इतना पता है कि मैं होना चाहता हूँ।" - इंस्पेक्टर महोबा ने पूछा - "अपनी साड़ी प्रॉपर्टी के इकलौते वारिस आप ही हैं या इसमें आपकी भतीजी का भी कुछ हिस्सा शामिल है?"
" 50 % "
" क्या ?"
"ईशा मेरी संपत्ति के 50% हिस्से दर्ज थे।"
"और अब जबकि ईशा मर्केल है तो उस 50% हिस्से का नाम कौन है?"
"निश्चित रूप से मैं।"
"मतलब ईशा की मौत से आपको सबसे ज्यादा फायदा हो रहा है, जो चुकाया गया है।"
"आप भूल रहे हैं कि ईशा मेरी एकलौती नागालैथी थी। मेरी ईशा के अलावा कोई नहीं था और इस संपत्ति के 50% हिस्से का उत्तराधिकार भी मेरे जैसा था। मेरी अगर कोई संतति है, तब भी जो अनुमान आप बोल रहे हैं हैं, मेरी नजर में वो निराधार होता है।...अगर कहीं ईशा की जगह पर मेरा अंत हुआ, तब भी आप यही उम्मीद करते हैं?...वैसे, इसमें आपकी कोई गलती नहीं है जब पहचान तक पहचान नहीं हो पाती रहते हैं तो ऐसे - तैसे केस बताए के लिए कोई ना कोई रास्ता तो ढूंढे ही जाते हैं।
"अरे, आप तो बुरे आदमी हो गए।" - इंस्पेक्टर बोला - "हम पुलिस वाले हैं।"
"पुलिस वाले इंसान नहीं होते क्या?"
"आप भावुक इमोशनल हो रहे हैं। ये नकली अभिनय है। हमें केश के हर विचारक पर विचार करना होता है।"
"विचार करिये। लेकिन बिना आधार के नहीं।"
"आधार भी मिल जाएगा।"
"जरूर होगा।" -अर्जुनसिंह भी उठाओ - "अगर हुआ तो।"
□ □ □
"अब कहाँ चल रहे हो सर?" - स्वर में ड्राइवर ने पूछा।
सुबह से प्रिंसिपल चौबीसा के साथ दोनों काउंसिलर और ड्राइवर भी इधर-उधर घूम रहे थे।
"इस वक्त हमारे लिए सबसे जरूरी है, ये पता लगाना कि मॉल में ईशा जिस लड़के से मिली, वो कौन थी।"
"हमें उसके कॉलेज से पता करना चाहिए।" - यश बोला।
"एक और जगह पता किया जा सकता है।" - निरीक्षक बोला।
" कहाँ से ?"
"पीले के घर से।"
"मतलब अब पाइप के घर जाना है?" - ड्राइवर ने पूछा।
" हाँ। "
मंतव्य का ज्ञान होता है ही जीप ने गति पकड़ी।
जल्द ही वे कृष्णा नगर कॉलोनी स्थित पॉलीअमेरिकन होम।
कॉलबेल के बजाते ही गेट ओपन।
"इंस्पेक्टर देवेश चौबीसा, ईशा मॅनेशिया केस की तफ्तीश कर रहा हूं।"
" ईशा का काजल हो गया ?" - चौंकते हुए पेल बोली - " कब ? कैसे ? "
इंस्पेक्टर ने बताया।
"बहुत बुरा हुआ।" - पूरी तरह से आश्चर्यचकित बोली बोली।
" आपके लिए तो अच्छा ही हुआ। " - इंस्पेक्टर बोला।
"आप क्या कहना चाहते हैं?"
"ईशाफ़े और अमित के बीच दीवार खड़ी थी। वह दीवार अब ढह गई है।"
"एक साल पहले ही मेरे अमित ने स्ट्रॉबेरी से पैसे चुकाए थे और अब मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह ईशा के साथ थी या किसी और के साथ।"
"कल रात तो आपके विचार कुछ और ही थे।"
" जी ? " - पॉली शॉकी।
"कल आप अमित से मिली थी।"
" तो ?"
"स्टार्ट के एक साल बाद अप्रत्याशित रूप से कैसे मिला?"
"मन हुआ तो मिल ली।" - पीली कविता से बोली।
"मिल नहीं ली, मीटिंग के लिए घर पर बुलाया था।" - इंस्पेक्टर ने थोड़ा आवेशित स्वर में कहा।
"इससे आपका कोई मतलब नहीं होना चाहिए।"
"नहीं होता। अगर अमित के यहां आने का ईशा प्रियंका केस से कोई संबंध नहीं होता, तो मुझे भी इस बात से कोई मतलब नहीं होता।"
"आप कहते हैं क्या चाहते हैं?" - पेल ने चकित स्वर में पूछा।
"आपकी एक छोटी सी हरकत की वजह से ईशा का निधन हो गया।"
" क्या ? " - प्लास्टिक इनसाइड से लेकर काँप तक।
"आपने अगर कॉल करके अमित को यहां नहीं बुलाया था, तो जिस तरह से उसने ईशा को उसके घर से ढूंढा था, उसी तरह उसने उसे सही कहा - सलामत उसके घर ड्रॉप कर देता है।"
"और ईशा आज जिंदा है?"
"निश्चित रूप से पर।"
"वाह! आदर्श साहब! आपकी तर्क तो लाजवाब है।"
"परोक्ष रूप से ईशा के दिल की वजह तुम ही हो।"
"आपकी बात लग रही है कि कातिल के पास ईशा को मारने का पहला और आखिरी मौका था, जिसने उसे नौकरी का मौका दिया था।"
"अब काम की बात करें?"
" बोलिये। "
"अमित को अपने घर यूँ एकाएक हाथी की क्या वजह थी?"
"उसके साथ जो धोखा हो रहा था, उसके बारे में वो चाहता था।"
"कैसा धोखा?"
"ईशा अमित के अलावा एक और लड़के को भी डेट कर रही थी।"
" कैसा ?"
" अभिनव को। "
" वो कौन है ?"
"ये आपने एक ही बार पूछा तो सबसे अच्छा होगा।"
"यह बात अमित को कल ही रात जरूरी थी?"
" हाँ। "
"इतनी ज़रूरी कि आप एक दिन और इंतज़ार नहीं कर सकते थे?"
"एक दिन?...मैं एक पल का भी इंतज़ार नहीं कर सकता था।"
" क्यों ?"
" क्या ?"
"इंतजार क्यों नहीं कर सका?"
"क्योंकि मैं उनसे आज भी प्यार करता हूँ।"
"पिछले एक साल में आपको अपने प्यार का काला रात हुआ था?"
"ये बात नहीं है।"
" फिर ?"
"बताओ मैं।"
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