मर्डर ऑन वेलेंटाइन नाइट - 7
" मैंने आपको वो सब बता दिया , जो मैं जानती थी। " - रागिनी बोली - " मुझे पूरा भरोसा है कि कातिल तक पहुंचने में आप मेरी मदद जरूर करेंगे। "
" जरूर करूंगा। " - मुसकराते हुए साकेत अग्निहोत्री बोला - आखिर यही तो मेरा प्रोफेशन है।...लेकिन , यह केस बहुत कमजोर है , कातिल तक पहुंचने का कोई सुराग तक नहीं है हमारे पास। पर , ये कोई बड़ी समस्या नहीं है। "
" आप कहना क्या चाहते हैं ? "
" कातिल तक पहुंचना काफी मुश्किल काम है , इसीलिये इस काम के लिये आपको काफी मोटी रकम खर्च करनी पडेगी। "
" कितनी ? "
" 20 लाख रुपये। "
" क्या ? " रागिनी चौंक उठी।
" यही मेरी फीस होगी।...अगर आप यह रकम खर्च करती है तो बहुत जल्द कातिल आपके कदमों में होगा। "
" लेकिन , यह तो बहुत ज्यादा है। "
" तो आप किसी सस्ते से प्राइवेट डिटेक्टिव को हायर कर सकती है। मैं ऐसे कई जासूसों के बारे में जानता हूँ , जो आसानी से आपके बजट में आ सकते हैं। " - साकेत निर्लज्जता से बोला।
" आपके बारे में काफी कुछ सुना था मैंने। रहमदिल , हैल्पिंग नैचर , सबके मददगार और पता नहीं क्या - क्या ! लेकिन वो कहते है ना , ऊंची दुकान फीके पकवान ! बस कुछ ऐसा ही अनुभव रहा है मेरा आपके साथ। "
" पकवान तो मीठे ही है रागिनीजी ! " साकेत रहस्यमयी ढंग से मुसकराते हुए बोला - " बस थोड़े महंगे है। "
" थोडे नहीं , बहुत ज्यादा और इतने महंगे पकवान मैं अफोर्ड नहीं कर सकती। "
" तो आप अपना बजट बताइये , मैं आपको आपके बजट के मुताबिक जासूसों के नाम बता देता हूँ। "
" बजट तो मेरा बहुत है , पर उसे यूँ फिजूल में खर्च करना मेरी फितरत नहीं। " - कहते हुए रागिनी कुर्सी से उठ खडी हुई - " नाइस टू मीट यू मिस्टर अग्निहोत्री ! नाऊ गुडबाय।"
रागिनी ने बाहर जाने के लिये अपने कदम दरवाजे की ओर बढाये।
" कातिल अभी भी खुला घूम रहा है। दोबारा सोच लीजिये , 20 लाख आपके लिये कोई बहुत बड़ी रकम नहीं है। " - साकेत के शब्द सुनकर रागिनी के चलते कदम थम गये।
रागिनी ने एक पल के लिये सोचा।
साकेत के लिये इतना समय पर्याप्त था।
" 20 लाख में रिचा के कातिल को फांसी ! " - साकेत ने जैसे खुद से ही कहा , लेकिन इतना जोर से कि रागिनी उसे बड़े आराम से सुन सके।
" मैं तैयार हूँ। " - रागिनी एकाएक बोली।
" क्या ? " हर्षमिश्रित आश्चर्य के साथ साकेत ने पूछा।
" मैं अपनी बहन के कातिल तक पहुंचने के लिये 20 लाख रुपये देने के लिये तैयार हूँ।
साकेत के चेहरे पर एक विजेता की सी मुस्कान उभरी।
" फिर समझिये , कातिल पकड़ा गया। "
" क्या ? " - रागिनी चौंक उठी - " इतनी जल्दी ? "
" कातिल तक पहुंचने की आपकी इच्छाशक्ति मेरे प्रयासों में अप्रत्याशित बढोतरी करेगी और प्रयास करने से तो ईश्वर भी मिल जाते हैं , यहाँ तो तलाश महज़ एक कातिल की है। "
" महज़ एक कातिल की नहीं , एक ऐसे कातिल की तलाश , जिसके खिलाफ न कोई सुराग है , न सबूत और न ही कोई गवाह। " - रागिनी बोली - " ऐसा नहीं लगता कि आपका यह विचार अतिशयोक्तिपूर्ण है ? "
" सुराग भी मिलेगा , सबूत भी और गवाह भी। " - साकेत के शब्दों में आत्मविश्वास की झलक थी।
" आप कैश लेंगे या अकाउंट पे ? "
" ये लेन - देन तो चलता रहेगा रागिनीजी ! पहले हम कातिल तक तो पहुंच जाये। "
" ओके। "
" आपने रिचा और आकाश के बारे में तो काफी कुछ बता दिया , लेकिन अपने बारे में अभी तक कुछ नहीं बताया ? "
" मेरे बारे में जानने लायक है ही क्या ! " - रागिनी उपेक्षा से बोली।
" आप करती क्या है ? "
" खास कुछ नहीं , लास्ट ईयर ही मेरी ग्रेजुएशन कम्पलीट हुई है और अभी मैं RAS की कोचिंग कर रही हूँ। "
" आप RAS बनने की ख्वाहिश रखती हैं ? "
" सीरियसली नहीं , बस टाइम पास के लिये कोचिंग ज्वाइन किया हुआ है। "
" कोचिंग क्लास में आपकी टाइमिंग क्या है ? "
" सुबह 10 से शाम 4 बजे तक। "
" क्या नाम बताया आपने कोचिंग सेन्टर का ? "
" अभी तक तो नहीं बताया। "
" तो बता दीजिये। " - मुसकराते हुए साकेत बोला।
" गुरूकुल कोचिंग सेन्टर। "
" ग्रेजुएशन कहाँ से हुई थी आपकी ? "
" आर्ट्स काॅलेज से। "
" और रिचा भी उसी काॅलेज में थी ? "
" बताया था मैंने। "
" आपका कोई ' बेस्ट फ्रेंड ' वगैरह तो रहा होगा काॅलेज में ? "
" आप कुछ ज्यादा ही पर्सनल नहीं हो रहे हैं ? "
" क्या ? " - साकेत चौंका।
" मेरा कोई बेस्ट फ्रेंड रहा हो तो क्या , ना रहा हो तो क्या ! " - रागिनी थोड़ा चिढते हुए बोली - " मेरे विचार से तो आपको केस पर फोकस करना चाहिये। केस साॅल्व हो जाने के बाद मुझ पर फोकस करने के लिये आपके पास वक्त ही वक्त होगा। "
साकेत मुसकराया।
" रिचा का कोई दुश्मन था ? "
" जी ? "
" रिचा का कोई ऐसा दुश्मन था , जो उसकी जान तक ले सकता हो ? "
" हम बहुत आम लोग हैं , हमारी जिंदगी एक आम जिन्दगी है। ऐसे में हमारे लिये दुश्मनी , खून - खराबा - ये सब बहुत बड़ी - बडी बातें हो जाती हैं , इतनी बड़ी कि हम इनकी कल्पना भी नहीं कर सकते। "
" आम जिन्दगी में से ही तो उस खास शख्स को ढूंढ निकालना है , जो एक लड़की का कत्ल करने की हिमाकत कर सके।...सोचकर बताइये , रिचा का कोई दुश्मन हो सकता था ? "
" नहीं , मुझे ऐसा नहीं लगता। "
" कोई ऐसा शख्स जिससे रिचा की कभी कोई अनबन हुई हो ? "
" थोड़ी बहुत अनबन तो किसी न किसी से हर किसी की होती ही रहती है , लेकिन ये छोटा - मोटा मनमुटाव कत्ल की वजह तो नहीं बन जाता ! "
" आमतौर पर तो नहीं , लेकिन कब , किस वजह से , किसके मस्तिष्क में कौनसा षडयंत्र जन्म ले ले , कह नहीं सकते। "
" अब ऐसी छोटी - मोटी बातें याद कहाँ रहती हैं। "
" रिचा कभी किसी बात से परेशान रही हो , कोई भी छोटी से छोटी बात जिसका जिक्र कभी उसने आपसे किया हो !"
" नहीं। जो मैं जानती थी , वह सब मैं आपको बता चुकी हूँ। "
" आकाश के बारे में आपका क्या खयाल है ? "
" आकाश ? "
" नैचर कैसा है आकाश का ? "
" बहुत अच्छा। वह एक गुड नैचर वाला बहुत ही अच्छा लड़का है। "
" लगता है उसे आप काफी अच्छे से जानती है। "
" हाँ ! काॅलेज में दो साल तक उसकी सीनियर रही हूँ। "
" रिचा के साथ उसका रिश्ता कैसा था ? "
" बहुत अच्छा। बताया था मैंने , वे रिलेशनशिप में थे और आकाश उससे हद से ज्यादा प्यार करता था। "
" ठीक है मिस रागिनी ! " - एकाएक ही साकेत कुर्सी से उठते हुए बोला - अब आप निश्चिंत होकर घर जाइये और आराम करिये , जल्द ही कातिल आपके सामने होगा। आप अपना मोबाइल नंबर लिखवा दीजिये , जरूरत पडने पर मैं आपसे फोन पर बात कर लूंगा। "
" ओके। "
रागिनी वहां से चली गयी।
साकेत काॅन्फ्रेंस रूम से निकलकर स्टडी रूम में पहुंचा।
रागिनी से हुई पूरी बातचीत को दोबारा ध्यान से सुनने लगा , क्योंकि कातिल तक पहुंचने के अपने मिशन में रागिनी से हुई बातचीत ही उसके लिये मुख्य आधार थी , जिसे उसने अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया था।
यह डिटेक्टिव साकेत अग्निहोत्री की एक ऐसी तकनीक थी , जिसे किसी भी केस को साॅल्व करते वक्त वह हर उस शख्स के साथ इस्तेमाल करता था, जो उस केस से किसी न किसी रूप में जुड़ा हो।
हर रिकार्डिंग को वह कई - कई बार सुनता था और लोग सोचते थे कि उसकी याददाश्त बहुत तेज है !
नहीं , साकेत की याददाश्त नहीं , उसका दिमाग बहुत तेज था।
पूरी रिकार्डिंग सुनने के बाद साकेत ने एक ब्लेंक पेपर पर केस से संबंधित सभी जरूरी तथ्य नोट किये। केस से जुड़े स्थानों के नाम , जो - जो शख्स केस से जुड़े थे, उनके नाम और उनका आपस में संबंध - सब कुछ साकेत ने पेपर पर लिख डाला।
अंत में साकेत ने एक कच्चा नक्शा तैयार किया , जिसमें यूनिवर्सिटी रोड़ का वह हिस्सा चित्रित था , जहाँ रिचा की लाश मिली थी। उसके पास की आदर्श नगर काॅलोनी , जिसमें रिचा और रागिनी का घर था। यूनिवर्सिटी रोड़ से आदर्श नगर काॅलोनी की दूरी भी अंकित थी।
भूपालनगर पुलिस स्टेशन , हिरणमगरी सेक्टर 4 , एम बी हाॅस्पिटल , नैचुरल लेक व्यू रेस्टोरेंट , आर्ट्स काॅलेज- इन सभी स्थानों और इन से संबंधित सभी व्यक्तियों को उसने नक्शे में सांकेतिक रूप से चित्रित किया। साथ ही इन सभी स्थानों की आपस में दूरी भी अंकित की।
इंस्पेक्टर सोमेश मुखर्जी , आकाश माथुर , रागिनी , राकेश मिश्रा , पवन माथुर - सभी साकेत के दिमाग में घूमने लगे।
भूपालनगर पुलिस स्टेशन से इंस्पेक्टर सोमेश मुखर्जी को घटनास्थल तक पहुंचने में लगा समय , राकेश मिश्रा नामक उस अजनबी का केस से संबंध , जिसने सबसे पहले रिचा की लाश देखी थी ; नैचुरल लेक व्यू रेस्टोरेंट , जहाँ रिचा और आकाश ने डिनर किया था ; आर्ट्स काॅलेज , जिससे रिचा , रागिनी और आकाश जुड़े हुए थे ; हिरणमगरी सेक्टर 4 , जहाँ आकाश का घर था ; एम बी हाॅस्पिटल , जहाँ आकाश एडमिट था - हर एक को कागज पर चित्रित करके साकेत ने बहुत ही गहराई से सबके बारे में पर्याप्त विचार किया।
केस से संबंधित हर छोटे से छोटे तथ्य को भी साकेत ने अपने दिमाग में अच्छी तरह बैठा लिया।
करीब 2 घंटे तक साकेत स्टडी रूम में बैठा मौजूदा केस की स्टडी करने में व्यस्त रहा।
साकेत ने एक फाइल में अब तक भर चुके 3 - 4 पेपर रखे और फाइल के फ्रंट कवर पर मार्कर से ' रिचा मर्डर केस ' टाइटल लिखा।
फाइल को वहीं एक तिजोरी में रख दिया।
साकेत ने रिस्टवाॅच पर निगाह डाली।
दोपहर के दो बज चुके थे।
लंच का वक्त हो चुका था।
साकेत नीचे पहुंचा , आराम से लंच करने के बाद साकेत दोपहर की नींद लेने बैडरूम में पहुंचा।
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