मर्डर ऑन वेलेंटाइन नाइट - 8

मर्डर ऑन वेलेंटाइन नाइट - 8

दोपहर की नींद लेने के बाद करीब 4 बजे साकेत की आंख खुली।

जल्द ही तैयार होकर उसने चाय ली और अपनी ब्लैक फोर्ड कार में सवार होकर एम बी हाॅस्पिटल की ओर चल दिया।

साकेत ने रिस्टवाॅच पर निगाह डाली , 4.30 बजे थे।

ठीक 20 मिनट बाद उसने हाॅस्पिटल के पार्किंग प्लेस में कार पार्क की। 

कुछ ही पलों के बाद वह हाॅस्पिटल के जनरल वार्ड में प्रविष्ट हुआ। 

वार्ड दवाइयों और फिनायल की मिली जुली गंध से महक रहा था। वार्ड में करीब 30 बैड लगे हुए थे। मुश्किल से 5 - 6 बैड खाली थे , बाकी सारे बैड मरीजों से भरे थे , जिनमें से अधिकतर मरीज वृद्ध और अधेड़ थे।

साकेत को , रागिनी ने अपने मोबाइल में से रिचा और आकाश की कुछ फोटो दिखाई थी , इसीलिये आकाश को पहचानने में साकेत को कोई दिक्कत नहीं हुई।

" हैलो , आकाश ! " - आकाश को देखते ही साकेत बोला।

" मैंने पहचाना नहीं आपको ! "

" मैं प्राइवेट डिटेक्टिव हूँ। " - साकेत अपना परिचय देते हुए बोला - " साकेत अग्निहोत्री। "

" मैंने अब भी नहीं पहचाना। " - आकाश कशमकश में था।

" लगता है आप न्यूजपेपर वगैरह नहीं पढते। " - साकेत ऐसे लोगों को बिल्कुल पसंद नहीं करता था , जो उसे पहचानते ना हो।

" क्या मतलब ? " 

" कुछ नहीं। "

साकेत का निजी तौर पर यह मानना था या कह सकते हैं कि उसकी एक तरह से जिद थी कि कम से कम उदयपुर शहर के तो एक - एक शख्स को , चाहे वो एक छोटा बच्चा ही क्यों न हो ; साकेत अग्निहोत्री को जानना ही चाहिये।

" मैं रिचा के केस की इन्वेस्टीगेशन कर रहा हूँ। " - साकेत बोला - " और इस संबंध में आपसे कुछ सवाल करना चाहता हूँ। "

" इसी मामले को लेकर कल पुलिस वाले भी आये थे पूछताछ करने। " - चिढते हुए आकाश बोला - " और आज आप आ गये ! आप लोगों के पास और कुछ काम नहीं है क्या ? " 

आकाश का बिहेव साकेत को थोड़ा अजीब लगा।

" पुलिस वालों का तो पता नहीं , लेकिन मेरे पास फिलहाल इस केस के अलावा और कोई काम नहीं है। "

आकाश ने साकेत को घूरकर देखा।

" इस केस में आपके इंट्रेस्ट की वजह जान सकता हूँ ? " 

" पैसा। "

" पैसा ? "

" एक प्राइवेट डिटेक्टिव के किसी केस में इंट्रेस्ट की और क्या वजह हो सकती है ! "

" ओह ! " - कुछ सोचते हुए आकाश ने पूछा - " किसने हायर किया है आपको ? "

" मुझे किसने हायर किया है , यह जानने की अपेक्षा इस वक्त आपकी रूचि यह जानने में होनी चाहिये कि रिचा का कातिल कौन है ? " 

" जिसे जाना था , वो तो चली गयी। अब इससे क्या फर्क पड़ता है कि किसी ने उसका कत्ल किया या उसने खुद आत्महत्या की। "

" आत्महत्या ? " - साकेत बुरी तरह से चौंक उठा - " आपको ऐसा क्यों लगता है कि रिचा ने आत्महत्या की होगी ? "

" मुझे कुछ लगता नहीं है , बस यूँ ही निकल गया मुंह से। " 

" बस यूँ ही ? "

" हाँ। "

" बेवजह इस दुनिया में कभी कुछ नहीं होता मिस्टर आकाश ! हर चीज़ के पीछे कोई न कोई वजह जरूर होती है। "

" कुछ चीजें बेवजह भी होती है , बस यूँ ही। और अभी - अभी यही हुआ है , जुबान फिसल गयी थोड़ी सी। " आकाश बोला - " वैसे भी , पुलिस वालों का कहना है कि यह एक कत्ल था। "

" हाँ , यह साबित हो चुका है कि रिचा का कत्ल हुआ है , यह आत्महत्या का मामला नहीं है। लेकिन , अगर एक पल के लिये यह मान लिया जाये कि रिचा का कत्ल नहीं हुआ , उसने आत्महत्या की है , तो इसकी क्या वजह हो सकती है ? " 

" आप मुझसे पूछ रहे हैं ? "

" निश्चित रूप से। "

" सिर्फ इसीलिये कि गलती से मैंने ' आत्महत्या ' शब्द का यूज कर लिया ? "

" भूल जाइये कि आपने ' आत्महत्या ' शब्द का प्रयोग किया है और अब बताइये , रिचा के पास ऐसी कोई वजह थी जो उसे आत्महत्या करने को प्रेरित कर सकती हो ? "

" आप मुझे बेवजह परेशान कर रहे हैं। "

" रिचा आपकी गर्लफ्रेंड थी ? " 

" गर्लफ्रेंड बहुत छोटा शब्द है , वह मेरे लिये इससे कहीं ज्यादा थी। "

" आपकी गर्लफ्रेंड का मर्डर हुआ है , आप नहीं चाहते कि कातिल जल्द से जल्द पकड़ा जाये ? "

" कातिल के पकड़े जाने से रिचा जिंदा हो जायेगी ? "

" नहीं। " - मुसकराते हुए साकेत बोला - " लेकिन , उसकी आत्मा को शांति जरूर मिलेगी। "

" आप आत्मा वगैरह में भरोसा करते हैं ? "

" नहीं। लेकिन , आपको करना चाहिये , प्यार करते थे ना आप रिचा से ! "

" आज भी करता हूँ। " 

" तब , रिचा की आत्मा की शांति के लिये ना सही , अपने प्यार के लिये इस केस को साॅल्व करने में आपको मेरा सहयोग करना चाहिये। "

" ठीक है। बताइये , क्या कर सकता हूँ आपके लिये ? "

" सिर्फ कुछ सवालों के जवाब दीजिये। "

" पूछिये। "

" परसों रात डिनर के वक्त रिचा का मूड कैसा था ? "

" उस रात वह बहुत खुश थी। "

" उसे गहने वगैरह पहनने का शौक था ? "

" हाँ , लेकिन सिर्फ आर्टिफिशियल , आॅरिजनल नहीं। "

" पर्स वगैरह तो रहा होगा उसके पास ? " 

" एक हैंडबैग था उसके पास। "

" किस रंग का ? " 

" ब्राउन कलर का। " 

" क्या - क्या रखती थी वो हैंडबैग में ? "

" मेरे विचार से , पिंक कलर का एक आयताकार पर्स , मोबाइल , लिपस्टिक और ऐसी ही छोटी - मोटी चीजें। "

" तो उस रात रिचा के पास ले देकर सिर्फ एक हैंडबैग था ?"

" जाहिर सी बात है , किसी भी लडकी के पास आमतौर पर एक बड़ा सा हैंडबैग ही होता है , जिसमें जरूरत की सभी छोटी - बडी चीजें मौजूद होती हैं। "

" रिचा तो आपसे अपनी हर बात शेयर करती होगी ? "

" हाँ , करती थी। "

" ऐसी कोई बात थी , जिसकी वजह से वह परेशान रहती हो ? " 

" मुझे नहीं लगता। " 

" काॅलेज में उसका कोई दुश्मन था ? "

" रिचा का या किसी भी आम लड़की का ऐसा कोई दुश्मन कैसे हो सकता है , जो उसकी जान तक ले ले ? "

" फिर भी सोचकर बताइये , ऐसा कोई दुश्मन था ? " 

" नहीं। " 

" आपका एक्सीडेंट कैसे हुआ ? " 

आकाश ने बताना शुरू किया - " परसों रात 12.30 बजे रागिनी से फोन पर बात होते ही मैं बुरी तरह से शाॅक्ड हो उठा। 12 बजे मैंने रिचा को ड्राॅप किया था और ऐसी जगह ड्राॅप किया था , जहाँ से रिचा का घर महज़ चार कदम के फासले पर था। रिचा को ड्राॅप किये आधा घंटा हो चुका था और अभी तक वह घर नहीं पहुंची थी।

मैंने जल्दी से अपनी बाइक निकाली और रिचा के घर की ओर दौडा दी। मैं जल्द से जल्द रिचा के घर पहुंचना चाहता था , इसलिये बहुत तेजी से ड्राइव कर रहा था। 

हिरणमगरी स्थित अपने घर से चलकर मैं ठोकर चौराहा पहुंचा और वहां से आदर्श नगर पहुंचने के लिये मैंने आयड रोड़ पर बाइक दौड़ा दी। आयड रोड़ से मुझे धूलकोट पहुंचने वाली मुख्य सड़क पकडनी थी , जो कि आयड रोड़ की चौथी गली में पडती थी , बस वहीं टर्न लेते वक्त मेरी टक्कर एक कार से हो गयी। "

" टर्न लेते वक्त आप हाॅर्न नहीं देते ? "

" देता हूँ , लेकिन आधी रात का वक्त था और मुझे उम्मीद नहीं थी कि उस वक्त कोई और वाहन भी वहां हो सकता था। कार ने भी हाॅर्न दिया होता तो शायद मैं संभल जाता। "

" कार की स्पीड तो काफी धीमी रही होगी ? " 

" नहीं , बहुत तेज थी। "

" टर्न लेते वक्त भी ? "

" हाँ , उस रात मैं जल्दी में था , लेकिन वह कार वाला मुझसे भी ज्यादा जल्दी में था। एक्सीडेंट होने में 40 % मेरी गलती थी , तो 60 % गलती उस कार वाले की भी थी। "

" आधी रात के वक्त अगर कोई कार चला रहा है , तो उसकी स्पीड आमतौर पर धीमी ही होनी चाहिये और किसी भी जगह टर्न लेते वक्त तो स्पीड और भी धीमी होनी चाहिये। लेकिन आप कह रहे हैं कि कार की स्पीड बहुत तेज थी ? "

" मैं सच कह रहा हूँ। 

" मैंने कब कहा कि आप झूठ बोल रहे हैं ! " - मुसकराते हुए साकेत बोला - " वैसे , इंस्पेक्टर मुखर्जी को दिये बयान में आपने कहा था कि एक्सीडेंट किसी चौराहे पर हुआ , लेकिन जगह का जिक्र आपने नहीं किया था। "

" मुझसे पूछा नहीं गया था और बताना मैंने जरूरी नहीं समझा। "

" कोई बात नहीं। आज आपने स्थान का जिक्र किया है , लेकिन जिस स्थान पर एक्सीडेंट होने की बात आप कह रहे हैं , वह कोई चौराहा नहीं , तिराहा है। "

आकाश पर मानो सैकड़ों बिजलियां एक साथ गिर पडी हो!

अपनी घबराहट छिपाकर हल्के से मुसकराते हुए आकाश बोला - " आप भी कमाल करते हैं , तिराहे और चौराहे में फर्क ही कितना होता है। दोनों ही मुझे तो एक जैसे लगते हैं। "

" तिराहे और चौराहे में आपके लिये कोई फर्क नहीं है ? " - एक तीक्ष्ण दृष्टि डालते हुए साकेत ने पूछा।

" फर्क है। पर , मैं एकदम से समझ नहीं पाता। गलती से मैंने ' चौराहा ' शब्द का प्रयोग कर दिया। असल में वह तिराहा ही था। "

" गलती से आप काफी एक्स्ट्रा शब्द बोल देते हैं। " - साकेत बोला - " खैर , कोई बात नहीं। कार का नंबर नोट किया था आपने ? "

" नहीं कर पाया। "

" कलर तो देखा होगा ? " 

" हाँ , लाल रंग की थी। " 

" एक्सीडेंट होने के बाद कार किस तरफ गयी थी ? "

" ठोकर चौराहा की तरफ। "

" ओके। सहयोग के लिये धन्यवाद। चलता हूँ। " 

साकेत वहां से रूखसत हुआ।

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