मर्डर ऑन वेलेंटाइन नाइट - 6
14 Hours Ago….
15 फरवरी , 2020
स्थान - भूपालनगर पुलिस स्टेशन।
समय - शाम 7 बजे।
रागिनी ने पुलिस स्टेशन में कदम रखा।
वह काफी थकी हुई लग रही थी।
" आइये मिस रागिनी ! " - कहते हुए सोमेश मुखर्जी ने उसे बैठने का संकेत किया।
" कुछ पता चला सर ? " - रागिनी ने पूछा।
" क्या ? " - मेज़ पर रखी एक फाइल के पन्ने पलटते हुए इंस्पेक्टर मुखर्जी बोला।
" मेरी बहन के कातिल के बारे में कुछ पता चला ? "
" तहकीकात जारी है , रिचा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ चुकी है। " - इंस्पेक्टर ने मेज़ की ही एक दराज से पोस्टमार्टम रिपोर्ट निकाली और रागिनी की ओर बढाते हुए कहा - " तुम देख सकती हो , लेकिन इससे कुछ फायदा नहीं होने वाला है। "
" वजह ? "
" लेक आॅफ एविडेंस। कातिल बहुत चालाक है , कोई सबूत तक नहीं छोड़ा। "
" लेकिन , पोस्टमार्टम रिपोर्ट से कुछ तो पता चला होगा ?"
" हाँ , दो बातें सामने आयी है। पहली तो यह कि कत्ल पोस्टमार्टम होने के कोई 7 घंटे पहले हुआ है , जो कि कल रात 12 बजे के आसपास का वक्त हो सकता है। "
" और दूसरी बात ? "
" कत्ल किसी धारदार हथियार से हुआ है , जो कोई बड़ा चाकू हो सकता है। "
" लेकिन घटनास्थल से तो कोई चाकू नहीं मिला। "
" यही तो समस्या है , कातिल ने किसी तरह का कोई सुराग नहीं छोड़ा है। "
" तो अब ? "
" अब क्या ? "
" कातिल का पता कैसे चलेगा ? "
" हमारे पास न कोई दमदार सबूत है , न कोई गवाह। ऐसी स्थिति में कातिल का पता लगाने में कुछ वक्त तो लगेगा ही। "
" कितना ? "
" रागिनीजी ! हलुआ तो बनाना है नहीं , जो आपको बता दिया जाये कि कितने वक्त में बन जायेगा ! कातिल का पता लगाना है और वो भी उन हालातों में , जबकि न हमें कातिल का पता है , न कोई दमदार सबूत और न ही कोई गवाह है। "
" ओके। फिर मैं चलती हूँ। "
रागिनी अपनी कुर्सी से उठी।
बाहर जाने के लिये वह गेट तक पहुंची।
" एक मिनट…" - पीछे से इंस्पेक्टर ने आवाज दी।
रागिनी मुड़ी - " जी ? "
" वैसे बताना तो नहीं चाहता था , लेकिन मामला तुम्हारी बहन का है , इसीलिये सोचता हूँ तुम्हें जानना चाहिये। "
" क्या जानना चाहिये ? " - कौतूहलपूर्ण निगाहों से पूछते हुए रागिनी लौटी।
" बताता हूँ , इत्मीनान से बैठो। "
रागिनी फिर से कुर्सी के हवाले हुई।
" कातिल तक पहुंचने के लिए जब कोई क्लू ना मिले तो हमें , जिस शख्स का कत्ल हुआ है , उसके अतीत को खंगालना पडता है ; उन सब लोगों से हर मुमकिन जानकारी हासिल करनी पड़ती है जो कत्ल के वक्त या उससे पहले किसी न किसी रूप में उस शख्स से जुड़े हो , हो सकता है कि उन्हीं में से कोई एक कातिल हो या उनसे कोई ऐसी जानकारी हासिल हो सके , जिसके तार किसी ना किसी रूप में कातिल से जुड़े हो और इस कड़ी में सबसे पहले जिस व्यक्ति पर हमारा संदेह होना लाजिमी है , वह है - आकाश। "
" आकाश ? " - रागिनी चौंक उठी।
" हाँ आकाश ! क्योंकि कत्ल से ठीक पहले आकाश रिचा के साथ था , रात 12 बजे उसने रिचा को ड्राॅप किया था , तुमने खुद अपने बयान में आकाश का रिफ्रेंस देते हुए यह बात स्वीकार की है और कत्ल भी 12 बजे के आसपास ही हुआ है , पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी इसी की ओर संकेत करती है। "
" आप कहना क्या चाहते हैं ? "
" यही कि आकाश कातिल हो सकता है और ना भी हो तो उससे ऐसी कोई जानकारी मिल सकती है जो कातिल तक पहुंचने के हमारे इस अभियान में काफी मददगार साबित हो सकती है। "
" तो आपको आकाश से इस मामले में पूछताछ करनी चाहिये। " - रागिनी बेहद उत्साहपूर्ण लहजे में बोली।
इंस्पेक्टर मुसकराया - " पूछताछ हो चुकी है। "
" क्या ? "
" आकाश से रिचा के कत्ल की बाबत हर मुमकिन पूछताछ हो चुकी है। "
" कब ?...कैसे ? " - रागिनी बुरी तरह से चौंक उठी।
इंस्पेक्टर सोमेश मुखर्जी ने बताना शुरू किया -" तुम्हारा बयान सुनने के बाद मेरे मस्तिष्क ने यह तो तय कर ही लिया था कि आकाश ही वह शख्स है ,जिसे इस केस को आगे बढ़ाने के लिए बुनियाद की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।….बस इसीलिये सुबह तुम्हारे यहाँ से जाते ही मैं हरकत में आ गया।
सबसे पहले मैंने तुम्हारे बताये आकाश के मोबाइल नंबर पर काॅल किया , नतीजा वही निकला जिसकी पहले से ही आशंका थी ; मोबाइल स्विच ऑफ था।
इसके बाद अपने दो हवलदारों को लेकर मैं हिरणमगरी , सेक्टर 4 में स्थित आकाश के घर पहुंचा।
जिप आकाश के घर के ठीक सामने रूकी।
मैंने डोरबेल बजायी।
गेट एक महिला ने खोला।
" आकाश है घर में ? "
" नहीं। " - महिला ने जवाब दिया।
" आप…"
" मैं आकाश की मां हूँ। बात क्या है ? "
" खास कुछ नहीं , वैसे है कहाँ वो इस वक्त ? "
" वो , हाॅस्पिटल में। "
" क्या ? हाॅस्पिटल में ? " - मैं बुरी तरह से चौंक उठा - " क्या हुआ है उसे ? "
" कल रात उसका एक्सीडेंट हो गया था। "
" कैसे ? "
" वह बाइक से कहीं जा रहा था और एक कार ने उसकी बाइक को टक्कर मार दी। "
" कहाँ जा रहा था ? "
" रात 12.30 बजे किसी का फोन आया था और वह बहुत जल्दी में बाइक लेकर निकला था , कहाँ जाने के लिये निकला था , ये मुझे नहीं पता। "
" ओके। "
" आपने बताया नहीं , बात क्या है ? कहीं उसने कुछ…"
" उम्मीद तो यही है कि उसने कुछ किया ना हो , फिर भी तहकीकात करना हम पुलिस वालों का फर्ज है। "
मैं दोनों हवलदारों के साथ जिप में बैठा।
जिप स्टार्ट हुई।
महिला प्रश्नसूचक नैत्रों से जाती हुई जीप को देखती रही।
महज़ 10 मिनट बाद ही जीप " महाराणा भूपाल गवर्नमेंट हाॅस्पिटल " में पहुंची।
आकाश को ढूंढने में मुझे ज्यादा वक्त नहीं लगा।
हाॅस्पिटल के ही एक जनरल वाॅर्ड में आकाश एडमिट था।
" कैसे हो आकाश ? " - मैंने आकाश को सिर से पैर तक ध्यान से देखते हुए पूछा।
उसके पैरों विशेषकर , घुटनों पर काफी चोटें आयी थी , बाकी शरीर बिल्कुल ठीक दिख रहा था।
" ठीक हूँ। " - संदेह भरी निगाहों से देखते हुए आकाश बोला।
" मैं इंस्पेक्टर सोमेश मुखर्जी हूँ , एक केस की बाबत कुछ सवाल करने हैं तुमसे। उम्मीद करता हूँ कि बिल्कुल सही - सही जवाब दोगे। "
" साॅरी , इंस्पेक्टर साहब ! लेकिन आकाश अभी किसी सवाल का जवाब देने की हालत में नहीं है। " - पीछे से आयी इस आवाज़ ने एक पल के लिये मुझे चकित कर दिया।
मैंने मुड़कर देखा , कोई 48 साल का एक सांवला सा व्यक्ति मेरे सामने खड़ा था।
" आप कौन ? "
" पवन माथुर। आकाश मेरा ही बेटा है। " - व्यक्ति ने जवाब दिया।
" ओह ! "
" आप देख सकते हैं कि आकाश की हालत कितनी खराब है। "
" देख रहा हूँ। मैं यहाँ पर आपके बेटे को परेशान करने नहीं , बल्कि उसे एक महत्वपूर्ण सूचना देने के मकसद से आया हूँ। "
" कैसी सूचना ? " - आकाश ने पूछा।
" रिचा का कत्ल हो चुका है। "
" क्या ? " - आकाश ने बुरी तरह से चौंकते हुए उठने की कोशिश की , लेकिन पैरों की तकलीफ ने उसकी इस कोशिश को नाकाम कर दिया।
" कौन रिचा ? तुम्हारी क्लासमेट ? " - पवन माथुर के मुंह से निकला।
" हाँ , वही। " - इंस्पेक्टर ने जवाब दिया।
" यह कैसा मजाक है इंस्पेक्टर साहब ! मैं वैसे ही काफी तकलीफ में हूँ। "
" तुम्हारी तकलीफ तो देर - सबेर दूर हो ही जायेगी , रिकवर भी हो जाओगे लेकिन रिचा...वो तो मर चुकी है। "
" लेकिन , यह सब हुआ कैसे ? "
" यही जानने के लिए तो मुझे यहाँ आना पड़ा है। "
" क्या मतलब ? "
" रिचा का मर्डर हुआ है और मरने से ठीक पहले तुम उसके साथ थे। "
" यह आप कैसे कह सकते हैं कि मरने से ठीक पहले रिचा मेरे साथ थी ? "
" कल रात 12 बजे तुम कहाँ थे ? "
" रात 12 बजे तो मैंने रिचा को उसके घर ड्राॅप किया था। "
" रिचा का कत्ल उसी वक्त हुआ था। "
" क्या ? " - मारे हैरत के आकाश की आंखें फट पडी - " य...ये आप क्या कह रहे हैं ? "
" यह मैं नहीं , रिचा की पोस्टमार्टम रिपोर्ट कह रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार , रिचा का कत्ल रात 12 बजे हुआ था। "
" यह कैसे हो सकता है ? "
" तुमने अगर रिचा को उसके घर ड्राॅप किया होता तो शायद नहीं होता , लेकिन तुम्हारी जरा सी लापरवाही की वजह से यह हो चुका है। "
" मैंने उसे घर ड्राॅप किया था। "
" झूठ , तुमने रिचा को यूनिवर्सिटी रोड़ तक ही ड्राॅप किया था , उस जगह पर , जहां से उसकी काॅलोनी की गली शुरू होती है। "
" आपको कैसे पता ? " - आकाश चौंक उठा।
" हम पुलिस वाले है , एक बार जिसके पीछे पड़ जाते हैं , तो बस पड ही जाते हैं। "
" हाँ , यह सच है कि मैंने उसे घर तक ड्राॅप नहीं किया। लेकिन , मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि जरा सी लापरवाही का इतना खौफनाक अंजाम हो सकता है। "
" कल रात से तुम्हारा मोबाइल स्विच ऑफ आ रहा है , वजह जान सकता हूँ इसकी ? "
" रात 12.30 बजे रागिनी से फोन पर बात होने के बाद मुझे पता चला कि रिचा अभी तक घर नहीं पहुंची है और इसी बात को लेकर रागिनी काफी ज्यादा परेशान लग रही थी। उसकी रिक्वेस्ट पर मैंने उसी समय उसके घर जाने का फैसला किया।
मुझे खुद रिचा की बहुत ज्यादा चिंता हो रही थी।
मैं जल्द से जल्द रिचा के घर पहुंचना चाहता था , शायद इसी जल्दबाजी की वजह से एक चौराहे से टर्न लेते वक्त एक कार से मेरी बाइक टकरा गयी। इसके बाद क्या हुआ , मुझे कुछ याद नहीं है और मेरा मोबाइल भी गायब है। "
" तब तो कार का नंबर भी नोट नहीं किया होगा तुमने ? "
" नहीं कर पाया। "
" इसके बाद मैं लौट आया। " - इंस्पेक्टर मुखर्जी ने बताया।
" कुछ फायदा हुआ आकाश से मिलने का ? " - रागिनी ने पूछा।
" अभी कुछ कहा नहीं जा सकता। "
" थैंक्स , इंस्पेक्टर ! उम्मीद करती हूँ कि आप जल्द ही कातिल तक पहुंचने में कामयाब होंगे। "
रागिनी वहां से रुखसत हुई।
रात के 8 बज चुके थे।
घर आकर उसने अपना डेस्कटॉप खोला और गूगल सर्च इंजन में टाइप किया - ' The best private detective in udaipur '
रिजल्ट में ' डिटेक्टिव साकेत अग्निहोत्री ' ने रागिनी को काफी इम्प्रेस किया।
कई घंटों तक वह साकेत अग्निहोत्री से रिलेटेड इन्फाॅर्मेशन कलेक्ट करती रही।
अगले दिन साकेत अग्निहोत्री से मिलने का डिसीजन लेकर करीब 11 बजे उसने डेस्कटॉप बन्द किया और सोने के लिये बैडरूम में चली गयी।
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