मेरी दुनिया है तुझमें कहीं - 2

मेरी दुनिया है तुझमें कहीं - 2

छोटी सी डायनिंग टेबल पर सजी अलग - अलग प्लेटों में काजू पिस्ता, मलाई बर्फी, एक बड़ी सी प्लेट में प्याज वाली कचौड़ियां, मिक्सचर खट्टा मीठा नमकीन, बाउल्स में रसगुल्ले, चमचम जैसी स्वीट्स और ग्लास जग में फिल्टर्ड पानी रखा हुआ था।

यह शर्मा निवास था और आज सनाया शर्मा को देखने के लिए लड़के वाले आ रहे थे। जैसा कि उन्होंने बताया, वे ठीक 11 बजे पहुंच जाएंगे। लेकिन 11 बजकर 10 मिनट ऊपर हो चुके थे, पर अभी तक भी वे नहीं आए थे।

अखिलेश शर्मा 11 बजने के बाद से अब तक चार बार घर के मुख्य दरवाजे से बाहर झांककर आ चुके थे कि शायद कोई कार आती दिख जाए, पर लड़के वालों की कार तो क्या कोई भी कार घर के सामने से निकली तक नहीं थी।

ईशान अपने रूम में व्हाइट शर्ट के ऊपर ब्लैक कलर का ब्लेजर और उसी ब्लेजर से मैच करती ब्लैक कलर की पैंट पहने आइने के सामने खड़े होकर अपने बालों पर अंगुलियां घूमा रहा था। 

उसे सजने संवरने का बिल्कुल भी शौक नहीं था। वो तो मम्मी ने बोल दिया था कि इससे मेहमानों पर अच्छा इंप्रेशन पड़ेगा।

पर इतने से ही ईशान थोड़ी न मानने वाला था। 

मम्मी ने प्रोमिस भी किया था कि मेहमानों के जाते ही उसे ढेर सारी स्वीट्स खाने को मिलेगी। 

अंजू तो बस 9 बजे से ही अपने रूम में सारी कबर्ड खोलकर जितनी ड्रेसेज उसके पास थी, वे सबकी सब अपने बेड पर फैलाकर पहले 'कौनसे कलर की ड्रेस पहनूं' - इस उधेड़बुन में लगी रही। फिर जब बड़ी मुश्किल से उसने येलो कलर का एक सूट सलेक्ट किया तो उसे ट्राई करने पर पता चला कि वह अब थोड़ा टाइट पड़ने लगा है, दो हफ्ते पहले ही खरीदा था उसने यह सूट, तब तो फिट आ रहा था।

 “तो क्या अब मुझे डायटिंग की जरूरत पड़ने वाली है !” - अंजू को नई टेंशन ने आ घेरा और इसके बाद वह पूरे 45 मिनट तक आइने के सामने खड़ी अपने वेट का अनुमान लगाती रही।

“बस एक बार लड़के वाले आकर चले जाए, फिर पापा से बोलती हूँ कि एक वेट मशीन लाकर रखे घर में।”

इधर शर्माजी पांचवीं बार लड़के वालों को देखने गेट की तरफ बढ़े ही थे कि उनकी अर्द्धांगिनी अनीता शर्मा ने पीछे से आवाज लगाई - “आप भी ना बस बेचैनी से चहलकदमी करते रहिए। अरे, लड़के वालों को जब आना होगा, आ ही जाएंगे। पहले चलकर सनाया को तो…”

“अब क्या हो गया इस लड़की को!” - मिसेज शर्मा की बात पूरी होने से पहले ही थोड़े चिड़चिड़े स्वर में बोले शर्माजी - “एक तो लड़के वाले अभी तक आए नहीं। बोला था मैने कि नाश्ता लड़के वालों के आने के बाद ही लगाना, लेकिन तुमको तो सुनना नहीं है कुछ। सब कुछ सजाकर रख दिया। कचौड़ियां यूं ही ठंडी हो रही है।”

“ओ हो! आपको कचौड़ियों की पड़ी है। सनाया अभी तक तैयार नहीं हुई है।”

“सुना मैंने। ये लड़की भी ना…पता नहीं क्या तो चाहती है!” - कहते हुए शर्माजी सीढ़ियां चढ़ते हुए ऊपर सनाया के रूम की तरफ जाने लगे।

मिसेज शर्मा भी उनके पीछे - पीछे गई।

सनाया अपने बेड पर डेल का लैपटॉप खोलकर बैठी थी। 

रूम की दीवारें हल्के ग्रे कलर की थी। एक दीवार पर सात घोड़ों वाले एक रथ की पेंटिंग थी। एक दीवार में बुकशेल्फ थी, जिसमें कई तरह की किताबें रखी हुई थी। 

रूम में हालांकि टेबल कुर्सी भी एक तरफ लगी थी। लेकिन, देखने से ही लग रहा था कि उनका उपयोग ज्यादा नहीं होता होगा, क्योंकि वे बिल्कुल क्लीन थी और उन पर कोई बुक, यहां तक कि कॉपी पेन भी नहीं रखे हुए थे।

सनाया इस समय बेड पर बैठी जयपुर शहर के बेस्ट MBA कॉलेज सर्च कर रही थी। 

जयपुर!

यही तो वह शहर था, जहां सनाया रहती थी।

इसी समय रूम का गेट खुला और तमतमाए चेहरे के साथ शर्माजी भीतर आए। मिसेज शर्मा भी उनके पीछे - पीछे ही रूम में आई।

“क्या लगा रखा है तुमने ये! कुछ ही देर में लड़के वाले आ जाएंगे और तुम तो अभी तक तैयार भी नहीं हुई हो!” - शर्माजी तेज स्वर में बोले।

लेकिन सनाया ने तो जैसे कुछ सुना ही नहीं। वह उसी तरह लैपटॉप में व्यस्त रही।

“कुछ सुन भी रही हो, क्या बोल रहा हूं मैं!” - शर्माजी इस बार थोड़ा चिल्लाकर बोले।

मिसेज शर्मा थोड़ी डर रही थी कि गुस्से में आकर शर्माजी कुछ कर ना बैठे।

लेकिन सनाया ने तो जैसे कुछ सुना ही नहीं।

आखिरकार, शर्माजी ने सनाया के सामने से लैपटॉप ही उठा लिया और उसे बन्द करके बेड पर ही एक तरफ पटक दिया।

“क्या है पापा!” - सनाया बेड पर से नीचे उतरते हुए बोली - “आपने लैपटॉप बंद क्यों कर दिया ? पता है मैं MBA की कॉलेज लिस्ट देख रही थी।”

“देख लेना। लेकिन ये कोई वक्त है MBA कॉलेज की लिस्ट देखने का! कुछ ही देर में लड़के वाले देखने आने वाले हैं तुझे और वैसे भी किसी कॉलेज में अभी एडमिशन नहीं होने वाले।”

“पर पापा!”

“देखो, तुमको जो करना है, कर लेना। लेकिन अभी जल्दी से तैयार हो जाओ।”

“लेकिन, मुझे अभी कोई शादी नहीं करनी।”

“अब ये तुमसे किसने बोल दिया कि अभी तुम्हारी शादी होने जा रही है! लड़के वाले सिर्फ देखने आ रहे हैं तुझे। इसीलिए अब जल्दी से तैयार हो जाओ।” - कहने के साथ ही शर्माजी रूम से बाहर निकल गए।

सनाया भी समझ गई कि अब जिद करने से कोई फायदा नहीं होने वाला। 

“बता दो मम्मी! क्या पहनना है मुझे!” - सनाया बोली तो मम्मी जल्दी से सनाया को तैयार करने में लग गई।


***


एक व्हाइट कलर की कार शर्मा निवास के ठीक सामने आकर रुकी।

कार में से सफेद कलर के ही कोट पैंट पहने एक भद्र पुरुष निकले। देखने में वे 48 वर्ष के आसपास लग रहे थे। उनके ठीक पीछे ग्रीन कलर की साड़ी में एक महिला निकली, जो संभवतः उस भद्र पुरुष की पत्नी थी। 

इनके पीछे कार से ब्लैक कलर के कोट पैंट में एक हैंडसम सा लड़का निकला।

इधर कार के इंजन की आवाज सुनते ही शर्माजी दौड़ते हुए बाहर की तरफ आए। उनके पीछे ही मिसेज शर्मा भी आई। दोनों ने हाथ जोड़कर लड़के वालों का स्वागत किया।

“आइए। कोई तकलीफ तो नहीं हुई घर ढूंढने में!”

“नहीं, नहीं। कोई तकलीफ नहीं हुई।” - भद्र पुरुष ने कहा।

फिर सभी घर के भीतर आए।

जहां पर कि हॉल में ही लगे सोफा चेयर पर सभी बैठे और औपचारिक बातें करने लगे।


लड़के वाले आ चुके है। क्या सनाया को लड़का पसंद आएगा ? क्या बात शादी तक पहुंचेगी ? जानने के लिए इंतजार कीजिए अगले भाग का।



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