मेरी दुनिया है तुझमें कहीं - 1

मेरी दुनिया है तुझमें कहीं - 1

सनाया आज बहुत खुश थी। उसका CAT का रिजल्ट आ गया था और उसका CAT क्लियर भी हो गया था। उसे पूरी उम्मीद थी कि उसे काफी अच्छा कॉलेज मिल जाएगा , जहां से कि वह MBA करेगी। उसके बाद किसी अच्छी सी कम्पनी में जॉब! उसकी कल्पना उड़ान भरने लगी थी। वह खुद को बहुत भाग्यशाली समझ रही थी।

इस समय वह अपनी फ्रेंड काव्या के साथ मार्केट में आई हुई थी। जैसे ही उसे CAT के रिजल्ट के बारे में पता चला, उसके पैरों में जैसे पंख लग गए। वह उड़ती हुई सी अपनी स्कूटी पर सवार होकर चली जा रही थी। काव्या को उसके घर ड्रॉप करके वह अपने घर की तरफ चल पड़ी। अपनी ही सोचों में डूबी वह तेज स्पीड से स्कूटी चलाते हुए घर की तरफ चली जा रही थी। अचानक ही रॉन्ग साइड से आते एक बाइक सवार से सनाया की स्कूटी टकरा गई। सनाया स्कूटी से नीचे गिर पड़ी। बाइक सवार भी मुश्किल से खुद को संभाल पाया। 

“आपको कहीं चोट तो नहीं आयी ?” - बाइक सवार अपनी बाइक छोड़कर सनाया की तरफ बढ़ा।

“दिखाई नहीं देता क्या तुमको? पहले तो बाइक से टक्कर लगा कर नीचे गिरा दो, फिर सिम्पथी जताने चले आओ।” - सड़क पर गिरने से सूट पर लग चुकी मिट्टी को झाड़कर उठते हुए सनाया बोली।

“सॉरी! मैंने जानबूझकर नहीं किया ऐसा। गलती से..”

“ये अच्छा है!.. जानबूझकर नहीं किया! बस ऐसे ही शौक से रॉन्ग साइड से चल रहे थे।…गलती तो मेरी है। मैं ही बेवकूफ थी, जो CAT क्लियर हो जाने की खुशी में हवा उड़ी जा रही थी। खुशफहमी में थी कि मैं राइट साइड में चल रही हूं। गलती मेरी ही थी, भूल गई थी कि खुद का राइट साइड में चलना एक्सीडेंट न होने की गारंटी नहीं होता।” - सनाया अपनी स्कूटी को उठाने की कोशिश करते हुए भी लगातार बोलते ही जा रही थी।

बाइक सवार ने भी स्कूटी को उठाकर खड़े करने में सनाया की हेल्प की। ये और बात थी कि उसकी खुद की बाइक अभी तक सड़क पर गिरी पड़ी थी।

बाइक सवार ने जब स्कूटी खड़ी करने में सनाया की हेल्प की, तब कहीं जाकर उसका गुस्सा थोड़ा कम हुआ और उसका ध्यान उस बाइक सवार पर गया।

वह 26 - 27 साल का गुड लुकिंग हैंडसम लड़का था। उसको देखकर कुछ देर के लिए तो सनाया पलकें झपकाना तक भूल गई। बाइक सवार लड़के ने सनाया की स्कूटी साइड स्टैंड पर खड़ी की और सड़क पर गिरी पड़ी अपनी बाइक की तरफ बढ़ चला।

उसने बाइक खड़ी की, उसका सेल्फ बटन स्टार्ट किया और उसे फर्स्ट गियर में डालते हुए उसने सनाया की तरफ देखा और धीरे से बोला - “सॉरी!”

इससे पहले कि सनाया कुछ बोल पाती, बाइक को सेकंड गियर में डालकर वह हवा के झोंके की तरह वहां से चला गया।

सनाया ने भी स्कूटी स्टार्ट की और घर की तरफ चल पड़ी।

“रॉन्ग साइड में चल जरूर रहा था, पर लड़का वो राइट था।” - सोचते हुए सनाया जा रही थी।

सनाया ने घर के पोर्च में स्कूटी खड़ी की और keys के छल्ले को अपनी एक अंगुली में डालकर घुमाते हुए बड़ी शान से घर में प्रविष्ट हुई।

“मम्मी…. पापा…अंजू…ईशान…मेरा रिजल्ट आ गया। मैने CAT का एग्जाम क्लियर कर लिया।” - घर में आते ही सनाया ने शोर मचाना शुरू कर दिया।

सनाया की मम्मी अनिता शर्मा किचन में शाम के खाने की तैयारी कर रही थी। सब्जी गैस पर चढ़ी हुई थी। सनाया का शोर और CAT का रिजल्ट सुनते ही गैस की आँच धीमी करते हुए किचन से बाहर की तरफ दौड़ी।

22 वर्षीय अंजू ऊपर अपने रूम में आइने के सामने खड़ी अलग - अलग एंगल से अपने चेहरे को निहार रही थी और यह पता करने की कोशिश कर रही थी कि कौनसा लुक देने से उसका चेहरा ज्यादा खूबसूरत दिखता है। सनाया का शोर सुन सब कुछ भूलकर वह भी रूम से बाहर की तरफ भागी।

ईशान अपने रूम में टेबल कुर्सी पर बैठा स्कूल का होमवर्क कर रहा था। वह 12th स्टैंडर्ड में था और इस समय उसकी टेबल पर मैथ्स की बुक्स रखी हुई थी। वह मैथ्स के सवाल सॉल्व कर रहा था। सनाया का शोर सुन वह भी रूम से बाहर की तरफ भागा।

पापा अखिलेश शर्मा बाहर हॉल में ही एक सोफा चेयर पर बैठे न्यूजपेपर पढ़ रहे थे। सनाया का चिल्लाना और CAT रिजल्ट क्लियर करने की बात सुनकर खुश होते हुए अखबार एक तरफ रखते हुए खड़े हुए और बोले - “तूने आज मेरा सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।”

इसी समय किचन से मम्मी, सीढ़ियों से तेजी से उतरते हुए अंजू और रूम से बाहर निकलते हुए ईशान - तीनों एक साथ हॉल में पहुंचे।

“Congrats दी!” - एक साथ खुशी से चहकते हुए अंजू और ईशान बोले।

“तूने तो कमाल ही कर दिया सनाया!” - मम्मी बोली - “तू नहीं जानती, तूने आज हम सबको कितनी बड़ी खुशी दी है।”

बोलते - बोलते मम्मी की आंखों में खुशी के आंसू आ गए।

“ओ हो, मम्मी! आज खुशी के दिन भी तुम…” - अंजू बोली।

“ये तो खुशी के आंसू है बेटा!” - अपनी साड़ी के पल्लू से आंसू पोंछते हुए मम्मी ने कहा।

“वाउ, आज तो पार्टी होगी।” - ईशान खुशी से चिल्लाया।

“अरे!” - अपने ललाट पर अंगुलियां रखकर सनाया बोली, जैसे कि उसे कुछ याद आया हो - “मैं तो भूल ही गई।”

“क्या दी ?” - ईशान ने पूछा।

“मैं बस एक मिनट में आई।” - बोलते हुए सनाया घर से बाहर की तरफ भागी।

“अरे, पर हुआ क्या ?” - पापा ने पूछा।

सनाया कुछ नहीं बोली। वह तो बस यूं गई और यूं आई।

और जब आई तो उसके हाथ में रसगुल्ले का डिब्बा था।

“मैं मार्केट में ही थी तो स्वीट्स भी लेती आई।” - कहते हुए सनाया ने डिब्बा खोला और सबसे पहले मम्मी को रसगुल्ला खिलाया, फिर बाकी सब को।

“हो गई अपनी तो पार्टी!” - खुशी से चहकते हुए ईशान बोला और सब हंस पड़े।

“दी! आप कौनसा कॉलेज लोगी ?” - अंजू ने पूछा।

“रैंक अच्छी है तो आई हॉप कि इसी शहर का कोई अच्छा सा कॉलेज मिल जाएगा।” - सनाया ने जवाब दिया।

“कॉलेज तो अच्छा मिल ही जाएगा। लेकिन, ससुराल भी तो अच्छा मिलना चाहिए।” - पापा ने अप्रत्याशित बात बोली।

“पापा ! अभी तो मेरा करियर शुरू भी नहीं हुआ और आप शादी की बात करने लगे।” - खफा होते हुए सनाया बोली।

“अरे, अब CAT क्लियर कर ही लिया है तो करियर भी शुरू हो ही जाएगा। वैसे भी 24 की हो चुकी हो। कल लड़के वाले आ रहे हैं। देखने में हर्ज ही क्या है!”

“मुझे नहीं करनी अभी कोई शादी - वादी! पहले मैं MBA पूरा करूंगी, उसके बाद ही कुछ सोचूंगी इस बारे में।” - बोलते हुए सनाया तेज गति से चलते हुए सीढ़ियां चढ़कर ऊपर अपने रूम की तरफ चली गई।

“आपको भी अभी करनी थी इसकी शादी की बात!” - मम्मी बोली।

“तो और कब करता, फिर इसके बाद अंजू का भी तो देखना है।”

“क्या ?” - हैरानी भरे स्वर में अंजू बोली - “अब बात सनाया से मुझ पर कैसे आ गई ?”

गुस्से में उठकर वह भी अपने रूम की तरफ चल पड़ी।

ईशान पहले ही स्कूल का अधूरा होमवर्क करने के लिए अपने रूम में जा चुका था।

“आपको भी ना, खुशी बर्दाश्त नहीं होती बच्चों की।” - बोलते हुए मम्मी भी किचन की तरफ चल पड़ी।

“और शर्माजी ने पास पड़ा न्यूजपेपर फिर से हाथ में ले लिया।

कौन था वह हैंडसम सा लड़का, जो सनाया से टकरा गया था ? क्या सनाया को उसका मनपसंद कॉलेज मिल पाया ? सनाया को जो लड़का देखने आने वाला था, उसको सनाया पसंद कर लेगी ? ये सब जानने के लिए इंतजार कीजिए कहानी के अगला भाग का।

कहानी अच्छी लगी हो तो comment करके हौंसला जरूर बढ़ाएं।

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