रात का वह समय, जबकि सब लोग पूरे दिन की थकान के बाद गहरी नींद में सोए हुए थे। उसके लिए अपने मिशन पर निकलने का समय था। दिन के उजाले में अपने मिशन को अंजाम देने में सबसे बड़ी बाधा उसका खुद का ही शरीर था। अपने भारी भरकम शरीर के साथ काम करना ही उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती थी।
यही वजह थी कि उसने रात के समय को चुना था। आधी रात के करीब दो बजे वह गुफा से बाहर निकला। समय उसके पास बहुत कम था और सीमित समय में ही उसे उस प्रतिमा को हासिल करना था। असल में, प्रतिमा हासिल करना उसके लिए मुश्किल कार्य नहीं था। मुश्किल कार्य तो उस रहस्यमयी प्रतिमा को ढूंढना था। उसे नहीं पता था कि वह प्रतिमा कहां है और कैसी दिखती है !... प्रतिमा के बारे में उसके पास बहुत थोड़ी सी जानकारी थी। वह समझ नहीं पा रहा था कि अगर महीपति को उस रहस्यमयी प्रतिमा की जरूरत थी, तो उसके बारे में पर्याप्त जानकारी भी उसके पास अवश्य ही रही होगी। फिर, वह पूरी जानकारी देने से कतरा क्यों रहा था ?... स्टोनमैन रहस्यमयी प्रतिमा के बारे में बस इतना ही जानता था कि प्रतिमा को स्पर्श करते ही उसमें से लाल, हरे और नीले रंग की मिश्रित रोशनी निकलेगी। वह प्रतिमा उसी शहर में कहीं थी। उसको ढूंढने का बस यही एक तरीका था कि शहर में मौजूद सारी प्राचीन प्रतिमाओं को स्पर्श करके देखा जाए। शुरुआत उसे प्रताप म्यूजियम से ही करनी थी।
धीमे कदमों से चलते हुए वह म्यूजियम की तरफ बढ़ रहा था। गुफा और म्यूजियम के बीच में घना जंगल था और रात का समय होने की वजह से हर तरफ अंधेरा ही दिखाई दे रहा था।
घास - पत्तियों को अपने पैरों से कुचलते हुए वह म्यूजियम की तरफ बढ़ा जा रहा था। कुछ ही समय बाद वह म्यूजियम के मुख्य द्वार के सामने खड़ा था। उसने दरवाजे को धकेलकर खोलने की कोशिश की। लेकिन वह नहीं खुला। वह अंदर से बंद था।
स्टोन मेन के लिए उस गेट को तोड़कर अंदर जाना कोई मुश्किल काम नहीं था। लेकिन ऐसा करने से म्यूजियम के गार्ड्स सक्रिय हो सकते थे और स्टोनमैन अपना काम बिना किसी की नजरों में आए करना चाहता था।
वह म्यूजियम की चारदीवारी के इर्द गिर्द घूमकर ऐसी जगह तलाशने लगा, जहां से आसानी से भीतर जाया जा सके। ऐसी कोई जगह उसे नहीं दिखी।
अब भीतर दाखिल होने के लिए दरवाजे को तोड़ने के अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं बचा था। वह घूमकर फिर से आगे आया। म्यूजियम के बड़े से प्रवेश द्वार के सामने खड़े होकर वह उसे तोड़ने के बारे में सोच ही रहा था कि अचानक उसे जोर से ' धड़ाम ‘ की आवाज सुनाई दी।
आवाज उसके पीछे की तरफ से आई थी। मतलब, म्यूजियम के ठीक सामने से! उसने घूमकर देखा। रात के अंधेरे में भी उसकी अभ्यस्त हो चुकी आंखों ने उस दृश्य को अच्छी तरह से देखा और समझा।
म्यूजियम के ठीक सामने सड़क के उस पार एक पेड़ से कोई कार टकराई थी। कार में बैठे लोग दर्द से कराह रहे थे।
वह धीरे धीरे उस कार की तरफ बढ़ा।
जल्दी ही कार में से चार लोग निकलकर बाहर आए।
घायल तो हुए थे वो। लेकिन, चोटें मामूली थी।
बाहर निकलकर सबसे पहले उनको जो दृश्य दिखाई दिया, उसने उनके होश उड़ा दिए।
“भ.. भूत!” - उनमें से एक चीखा।
“भूत जैसा कुछ नहीं होता।” - कार की ड्राइविंग सीट से बाहर निकला शख्स बोला - “हम लोगों ने कुछ ज्यादा ही पी रखी है, इसीलिए हमको ऐसा वहम हो रहा है।”
अब तक स्टोनमैन उनके काफी नजदीक आ चुका था।
“कौन हो तुम लोग ?” - स्टोनमैन ने अपनी भारी भरकम आवाज में पूछा।
“अब तो इस भूत जैसे आदमी की आवाज भी सुनाई देने लगी है।” - ड्राइविंग सीट वाला बोला - “लगता है हमने बहुत ज्यादा पी ली है।”
“कौन हो तुम लोग ?” - स्टोनमैन ने ड्राइविंग सीट वाले आदमी का गिरेबान पकड़ते हुए पूछा।
“अरे! ये तो सच में ही भूत है।” - ड्राइविंग सीट वाला चिल्लाया।
“भागो यहां से।” - चीखते हुए बाकी तीनों भागने लगे।
“कोई कहीं नहीं जाएगा। नहीं तो इसको मार डालूंगा।” - गंभीर आवाज में बोला स्टोनमैन।
परिणाम यह हुआ कि उस ड्राइविंग सीट वाले के साथी भागते हुए रुक गए और वापस लौट आए।
“ तुम हो कौन और क्या चाहते हो ?” - ड्राइविंग सीट वाले ने काँपते स्वर में पूछा।
“मैं स्टोनमैन हूँ।”
“स्टोनमैन!” - ड्राइविंग सीट वाला आदमी आश्चर्य भरे स्वर में बोला - “मतलब, पत्थर का आदमी! तुम…तुम वही पत्थर के आदमी हो जो म्यूजियम में रखी हिरण्यकश्यप की प्रतिमा से प्रकट हुआ था!”
“हां। मैं वही पत्थर का आदमी हूँ। तुम लोग कौन हो ?”
“ मैं राकेश माथुर उर्फ रॉकी हूँ। और ये सभी मेरे साथी है। हम लोग शराब पीकर आ रहे थे और सामने से एक बाइक वाला निकला तो उसको बचाने के चक्कर में हमारी कार का बैलेंस बिगड़ गया और हम इस पेड़ से टकरा गए।”
हां, ये रॉकी था। वही आर्ट्स कॉलेज का बिगड़ैल स्टूडेंट और इंस्पेक्टर अभय माथुर का बेटा!
“तुम लोगों को मेरे साथ चलना होगा।” - गंभीर स्वर में स्टोनमैन बोला।
“कहां ?” - रॉकी ने पूछा।
“सवाल मत करो। मेरे साथ चलो, नहीं तो तुममें से कोई भी जिन्दा नहीं बचेगा।”
स्टोनमैन की धमकी का गहरा असर हुआ।
बिना कुछ बोले वे चारों उसके साथ चलने के लिए तैयार हो गए।
उन सबको साथ लेकर स्टोनमैन जंगल की तरफ जा रहा था।
जाहिर था कि वह उसी गुफा में उनको ले जा रहा था, जिसे उसने अपना अस्थाई निवास बनाया हुआ था।
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