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शनिवार, 24 अगस्त 2024

हिप्नोटाइज - थ्रिलर उपन्यास ( भाग - 8 )

  


" हम ठीक आधे घंटे बाद डाॅक्टर प्रभाकर से मिल सकते हैं। " - फोन काटते हुए दिव्या बोली।


" संयोग ! " - सचिन अचानक जोर से चीखा।

सबकी निगाहें सचिन की ओर मुड गयी।


" क्या हुआ सचिन ? " - दिव्या ने पूछा।


" संयोग के मुंह से सुना था मैंने। "


" क्या ? " दिव्या बुरी तरह से चौंक उठी - " क्या सुना था और ये संयोग कौन है ? "


" संयोग ? " - सनी मुट्ठियाँ भींचते हुए उपेक्षा से बोला - " उसे अमर से ज्यादा अच्छी तरह से और कौन जान सकता है !.....क्यों अमर ? "


" कौन संयोग ? " - एकाएक ही अमर बोला - " संयोग नाम के किसी व्यक्ति को मैं नहीं जानता। "


दिव्या को छोड़कर , वहां उपस्थित बाकी सबके ऊपर मानो हजारों बिजलियां एक साथ गिर पडी हो !


रवि , भारती , सचिन और सनी अमर को इस तरह से देखने लगे मानो अमर , अमर न होकर कोई और ही हो , कोई अपरिचित !


" अमर ! " - सचिन अपनी जगह से उठकर, अमर के बिल्कुल सामने आकर बोला - " तुम संयोग को नहीं जानते ? "


अमर ने सीधे सचिन की आंखों में देखते हुए कहा - " नहीं। "


अमर की आंखें बता रही थी कि वह सच बोल रहा है।


लेकिन सचिन , भारती , रवि और सनी जानते थे कि अमर ने जो बोला , वो सच नहीं था।


सचिन वापस अपनी जगह पर बैठ गया, उसने अपनी गर्दन झुका ली और अपने दोनों हाथों को अपने माथे पर रख दिया।


" ये हो क्या रहा है ? " - सचिन बडबडाया।


" तुम ठीक तो हो सचिन ? " - सनी ने सचिन के कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा।


सचिन अपना सिर उठाकर जोर से चीखा - " मैं तो ठीक हूँ , लेकिन कोई अमर से क्यों नहीं पूछता कि उसे क्या हुआ है ? वो हमें धोखेबाज समझ रहा है और उस….उस संयोग को….कहता है कि जानता तक नहीं; हम एक पल के लिये सांस लेना भूल सकते हैं , लेकिन उस दुष्ट संयोग को कभी नहीं...ये उसे भी नहीं जानता...कोई बहुत बड़ी गड़बड़ हुई है , अमर के साथ कुछ बहुत गलत हुआ है। "


" शांत हो जाओ सचिन ! " - सनी बोला।


" कोई मुझे बतायेगा कि यह संयोग है कौन ? " - दिव्या ने पूछा।


" काॅलेज का सबसे बिगडैल स्टूडेंट था संयोग ! " - सनी ने बताना शुरू किया - " बेवजह किसी के भी साथ मारपीट करना , कैंटिन में बिना बिल पे किये खाना - पीना और किसी की भी रैगिंग करना उसके लिये आम बात थी। इस सबके ऊपर संयोग के लिये सबसे ज्यादा परेशानी की वजह थी -  अमर। अमर न केवल अमीर घराने से ताल्लुक रखता था , बल्कि वह पढाई में भी तेज़ था और लोगों की मदद करने में भी। कई बार अमर ने प्रिंसिपल से संयोग की शिकायत भी की थी। इसीलिये संयोग अमर से दुश्मनी रखता था और सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि संयोग का एक भी सच्चा दोस्त नहीं था , जबकि अच्छे व्यवहार के कारण पूरा काॅलेज अमर का दोस्त था। इस वजह से संयोग अमर से ईर्ष्या भी करता था। "


अचानक सचिन बोला - " और मुझे अच्छी तरह से याद है कि संयोग ने ही एक बार मेरे सामने हिप्नोथेरेपिस्ट शब्द का प्रयोग किया था। उसने बताया था कि उसे बहुत डरावने सपने आते हैं , जिसकी वजह से वह ठीक से सो तक नहीं पाता। इस परेशानी से उसे कोई हिप्नोथेरेपिस्ट ही निकाल सकता है।….उस दिन संयोग किसी हिप्नोथेरेपिस्ट के पास गया था और उसके कुछ दिनों बाद ही अमर ने अचानक काॅलेज आना छोड़ दिया था और हमने उससे मिलने की कोशिश की , तो वह मिलने को भी तैयार नहीं हुआ। "


" लेकिन , संयोग के किसी हिप्नोथेरेपिस्ट से मिलने और अमर के काॅलेज छोडने का क्या संबंध ? " - भारती ने पूछा।


" दो बज चुके हैं। " - अचानक दिव्या बोली - " डॉक्टर प्रभाकर से बात हुए आधा घंटा हो चुका है। अब हमें उनके क्लिनिक की ओर चलना चाहिये। "


" ठीक है। " - कहते हुए सभी उठ खड़े हुए।

           

           □  □  □


जल्द ही सचिन , सनी , भारती , दिव्या , रवि और अमर डाॅक्टर प्रभाकर के सामने थे।


दिव्या ने डाॅक्टर प्रभाकर को पूरी बात बतायी।


पूरी बात सुनने के बाद डाॅक्टर प्रभाकर बोले - " इस पूरे प्रकरण में , मुझे लगता है कि सबको हिप्नोटाइज करने की कोई जरूरत नहीं है। अमर के ही साथ कुछ गड़बड़ है , तो उस एक को ही हिप्नोटाइज करके सारा सच पता किया जा सकता है और अगर अमर को कोई गम्भीर बीमारी हुई तो पता चलने पर उसके इलाज की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। "


डाॅक्टर प्रभाकर की बात से सभी सहमत थे, सिर्फ एक को छोड़कर।


अमर !


अमर का मन हुआ कि वह अभी उठकर यहाँ से चला जाये,

मगर वह ऐसा नहीं कर सकता था। दिव्या को एक मौका दिया था उसने और उस एक मौके का अंतिम चरण था यह ' हिप्नोटिज्म टेस्ट '


वैसे भी सच जल्द ही सबके सामने आने वाला था।


डाॅक्टर प्रभाकर, अमर को हिप्नोटिज्म रुम की ओर लेकर गये।


बाकी सब वहीं बैठे रहे।


" भगवान करे , अमर जल्दी ठीक हो जाये। " - भारती बोली।


" चिंता मत करो भारती ! मुझे पूरी उम्मीद है कि अब जल्दी ही सब कुछ ठीक हो जायेगा। " - दिव्या ने कहा।


लगभग एक घंटे बाद डाॅक्टर प्रभाकर आये।


" क्या हुआ सर ? " - रवि ने व्यग्रता से पूछा - " अमर कैसा है ? "


" घबराने की कोई बात नहीं है , उसे हुआ कुछ नहीं था। फिलहाल वह ठीक है , अभी सोया है, करीब आधा घंटा आराम करना उसके लिये सही रहेगा। " - डॉक्टर प्रभाकर अपनी कुर्सी पर बैठते हुए बोले - " वह पहले भी ठीक था  , अब भी ठीक है , लेकिन…."


" लेकिन क्या डाॅक्टर ? " - दिव्या ने शीघ्रता से पूछा।


" उसके साथ जो हुआ , ठीक नहीं हुआ। " - डॉक्टर प्रभाकर थोड़ा गंभीर होते हुए बोले।


" ठीक से बताइये डाॅक्टर ! " - सचिन ने बैचैनी से पूछा  - " हुआ क्या है अमर के साथ ? "


डाॅक्टर प्रभाकर बोले - " आप लोगों को थोड़ा धैर्य रखना होगा , क्योंकि यह मामला केवल अमर या आप लोगों की निजी जिंदगी का नहीं रह गया है, अब यह एक पुलिस केस बन चुका है। "

 

    -  क्रमशः


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