वह जो देख रही थी, उस पर विश्वास करना नामुमकिन था।
इससे पहले कि वह कुछ सोच वाले शहरवासी, समझदार शहर, अचानक ही रिवॉल्वर का ट्रिगर दबा, गोली चली और एक ड्रम स्क्रीम से वातावरण गूंज उठा।
□ □ □
इस नजर में इंस्पेक्टर देवेश चौबीसा के सामने शहर के एक प्रतिष्ठित बिगमैन अर्जुन सिंह बैठे थे।
"तो, दिनकर ब्रिज पर जिस लड़की की मौत हो गई, क्या आपकी भतीजी थी?" - इंस्पेक्टर ने पूछा।
" जी हां। " - अर्जुन सिंह ने इंस्पेक्टर की ओर देखते हुए कहा।
"किसी ने काफी करीब से उस पर फायर किया है।"
" ईशा सिंह। "
" हां , ईशा सिंह ! " - इंस्पेक्टर चौबीसा बोले - "एशा का अंतिम संस्कार रिपोर्ट के अनुसार कल रात करीब 10 बजे हुआ था। आप बता सकते हैं, आखिरी बार आपने उसे कब देखा था?"
"शाम 6 बजे वह घर से निकली थी।"
"कुछ बताया था उसने, कहाँ जा रही है वो?"
"हां। अमित नाम का कोई कॉलेज फ्रेंड है, उसी के साथ कहीं भी जाना जाता है।"
" और वह पूरी रात घर नहीं गया, फिर भी आपने उसके बारे में कुछ भी बताना ज़रूरी नहीं समझा। "
"उसने कहा था कि देर हो जाएगी और मैं नींद की गोली लेकर सोता हूं, इसी तरह मेरे बारे में आज ही पता चल गया और मैंने आपसे संपर्क किया।"
" ठीक है। अभी आप जा सकते हैं। कुछ पता ही चल जाएगा। "
□ □ □
जीप एक घर के सामने रुकी।
इंस्पेक्टर चौबीसा दो हवलदार के साथ मिलकर बाहर निकला।
डोरबेल बजने के साथ ही गेट ओपन।
एक 19 - 20 साल का प्रेरणास्रोत सामने खड़ा था।
" अमित खन्ना ? "
" जी हाँ। मैं ही हूँ। " - बोली बोला - " लेकिन , आप यहाँ ?..."
"कॉलेज की दोस्त ईशा सिंह का निधन हो गया।"
" क्या ? " - अमित की आँखे मारे हरत के फट पड़े - " कब ?...कैसे ? "
"तुम तो ऐसे रिएक्ट कर रहे हो, जैसे हथियार कुछ पता ही नहीं है।"
"मुझे नहीं पता...हुआ क्या है?"
"मिस्टर को बताया कि ईशा का अंतिम संस्कार हो चुका है। किसी ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी है।"
"कौन ?"
"यही पता लगाने के लिए तो यहां आना पड़ा है।"
"आप क्या कहना चाहते हैं?"
"अब सारी बातें बेहतरीन गेट परस्टार ही करोगे?"
"सोरी, सर! प्लीज़ कम इन।" - अमित गीत से हटते हुए बोला।
वे इंट्रेस्ट रूम में रहेंगे।
इलेक्ट्रानिक बोले- "ईसा का काफिला होने से पहले उसे आखिरी बार देखा था।"
" क्या ??? " -अमित शॉका.
"ईशा कल रात के साथ थी।"
" हाँ। "
"क्यों थी ?"
" क्या मतलब है ? "
" तुम लोग कहाँ थे कल शाम को ? "
"कल मैं बाइक से ईशा के घर पहुंचा। वहां से हम लोग एक रेस्तरां में पहुंचे, जहां पहले से ही मेरा कॉलेज दोस्त सुरेश अपनी गर्लफ्रेंड आयशा के साथ मौजूद था। वहां पर हमने फास्ट फूड लिया और उसके बाद हम मूवी देखने गए थे। लेकिन , एक ही पल मेरे मोबाइल पर एक कॉल
आया और मुझे वहां से जाना गया। ईशा मेरे साथ ही आना चाहती थी, लेकिन ज्योतिषी का फोन आया था, उससे मिलने के लिए वह अकेले ही जाना चाहती थी। "
"मैंने बताया नहीं, कॉल किसका आया था?"
"मेरी वो एक्स गर्लफ्रेंड का।"
"ओह!" - इंस्पेक्टर बोला - "इसके बाद क्या हुआ?"
"मैंने ईशा से कहा कि मूवी देखने के लिए वह अकेली ही जाएगी। लेकिन, उसने कहा कि मन नहीं है। तब मैंने उससे कहा कि उसके घर ड्रॉप करने की बात कही। लेकिन, उसने कहा कि वो कैब कर लेगी।... इसके बाद मैं वहां से चला गया।
"तो, जाने के बाद ईशा केब आकर अपने घर चली गई और सुरेश - आयशा मूवी देखने चले गए?"
" तय तो यही हुआ था। लेकिन, निश्चित तौर पर मैं अभी कुछ नहीं कह सकता।"
"ठीक है। तो तुम वो कहो, जो निश्चित रूप से कह सकते हो।"
" जी ?"
"आप अपनी पूर्व प्रेमिका से मिलने गए थे। पूर्व प्रेमिका का नाम क्या है और उन्हें एक ही पल में नौकरी इतनी जरूरी क्यों हो गई थी?"
"उसका नाम है।" मैंने बताया कि यह अजीब कल नहीं है, हम मिल सकते हैं। लेकिन, उसने कहा कि यह बहुत जरूरी है और उसने मुझे ईशा के बारे में कोई जानकारी दी थी। कॉलबेल के बजाते ही गेट ओपन।
"हेलो, अमित।" - मुझे देखते ही वह बोली।
" क्या बात है ? " - मैंने आपसे पूछा।
" अरे , अभी तो आये हो। " - चुनौतीपूर्ण चुनौती से बोली - " बैठो , थोड़ा इधर - उधर की बातें करो। "
"ठीक है, तो यही बताओ कि कितने समय बाद आज अचानक मेरी याद आई तुमको?"
"याद है उनकी आती है, जिसमें कभी भी भुलाया होता था।"
"ये सब बातें अब उपयोगी हैं। मुझे बताएं कि यहां क्यों बुलाया है आपने?"
"ईशा एक साथ दो वैज्ञानिकों को 'डेट' कर रही है।"
"ये तुम क्या बोल रही हो?" - मैं उदास से चिल्लाया - "क्या बोल रही हो?"
"मैं जो बोल रही हूं, बहुत सोच-समझकर बोल रही हूं।" "
मैंने 3 - 4 छवि अवलोकन किया, जिसमें ईशा किसी अजनबी लड़के के साथ थी। एक भी फोटो फ़्लोरिडा नहीं थी, लेकिन वे सारी फोटो जिस अजनबी लड़के के साथ क्लिक की गई थी, उसमें मैं दाख़िले नहीं था...मैं ईशा के सभी दोस्तों को जानता हूं। जब उनके किसी मित्र ने यह बात कही, तो मुझे आश्चर्य नहीं हुआ। लेकिन, वह तो कोई अजनबी था.
"नवीन नाम है लड़के का। शारदा नगर में रहता है। चाहो तो पता कर सकते हो।"
"अब मुझे कुछ पता नहीं करना।" - उदासी भरे स्वर में मैंने बोला।
"मैं अब भी निश्चित रूप से इंतजार कर रहा हूं। जब कभी भी संघर्ष होगा तो हम पहले की तरह साथ हो सकते हैं..."
"मैं अब जा रहा हूँ।" - बोला मैं वहाँ से निकल गया।
एक बार मे रिटेलर ने बहुत शराब पी.
इसके बाद करीब 12 बजे घर ग्यान सो गया।
" तो , सुरक्षा नहीं पता कि उस रेस्तरां से निकलने के बाद वे तीर्थ कहाँ गए ? "
" नहीं। "
"और अब, जबकि संरक्षण पता चला है कि पार्टनर गर्लफ्रेंड का कॉल हो गया है, तब तुम कैसा फील कर रहे हो?"
"उसने मुझे धोखा दिया था और इसीलिये अब इस बात से मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ा कि उसके साथ क्या हुआ। " - अमित विवाद से बोला।
" ठीक है यंग मैन! " - प्रत्यक्षदर्शियों ने बोला - "उम्मीद है, हम फिल्म निर्माता हैं।"
इंस्पेक्टर हवलदार के साथ वहां से रुख हुआ।
□ □ □
जीप एक मकान के सामने रुकी।
इंस्पेक्टर देवेश चौबीसा दो हवलदार के साथ जीप से बाहर निकले।
आगे बर्षा कॉलबेल बजाय।
कुछ पलों की प्रतीक्षा के बाद गेट खोलें।
इंस्पेक्टर के सामने 20 साल का एक स्टैंड था।
सामने पुलिस वालों को देखते ही वह बुरी तरह से चौंक उठा।
"सुरवई फ़्राईव ही नाम है?" - आदर्श चौबीसा ने पूछा।
" ज...जी ! क्या बात है सर ?"
" स्टूडेंट कॉलेज की दोस्त ईशा सिंह का क्रेडिट हो गया है। "
" क्या ? " - सुरेश को मानो यकीन नहीं हो रहा था - " कब ?...कैसे ? "
"सभी अध्येताओं पर ही बताओ?"
"सोरी सर!"
वे इंजिनियरिंग रूम में रहते हैं।
"कल रात 10 बजे के करीब दिनकर ब्रिज पर किसी ने बिग बॉस 19 का बिगुल बजा दिया।"
"यह कैसे हो सकता है। वह तो शाम 7 बजे ही घर के लिए निकल गई थी। रात 10 बजे तक उसे घर पर जन्मदिन होना था!"
"लेकिन वह घर नहीं पहुंची और अब तुम्हें बताएगी कि ऐसा क्यों हुआ?"
"मुझे पता नहीं।"
"कल रात 7 बजे ईशा घर के लिए निकल गया था, क्या यह तारा पता है?"
" हाँ। "
"कहां थे वो बात तुम ? "
"मीठे रेस्तरां में।"
"साथ में और कौन था?"
"आयशा, अमित और ईशा।"
" क्यों थे ?"
" क्या ?"
" तुम लोग उस रेस्तरां में क्यों थे ? "
"बस यूँही।"
" बेवजह ?"
"हां, आप ऐसा कह सकते हैं।"
"इस दुनिया में कभी कुछ नहीं होता।"
"पर हम लोग तो वहाँ इत्मीनान ही थे।"
"ठीक है...तुम सब यहाँ किस समय तक पहुँचे थे?"
"मैं और आयशा शाम 6 बजे वहां थे। हमने अपलोड किए गए अमित और ईशा का इंतजार किया।...वे दोनों करीब 6.30 बजे रेस्तरां में पहुंचे।"
" आगे बोलो। "
"करीब 7 बजे अमित के मोबाइल पर एक कॉल आई और वह अचानक ही गायब हो गई।...हम सब मूवी देखने जाने वाले थे। लेकिन अमित के लिए वो कॉल मूवी देखने के लिए सबसे जरूरी हो गई थी और पता नहीं क्यों, ईशा ने कहा भी अपना इरादा बदल लिया। अमित ने अपनी बाइक से निकला और ईशा ने बाइक से मूवी देखने के लिए कहा।
"ईशा ने कौनसी कैब की थी?"
" इनोवा। "
" रंग ?"
" काला। "
" नंबर ?"
" पता नहीं। "
"तो कल रात तुम और आयशा मूवी देखने गए थे?
" हाँ। "
"ड्रामा दिखा सकते हो?"
" हां। " - कहते हुए सुरेश ने अपने मोबाइल में एक मेल दिखाया।
चंद्रलोक टॉकीज के चार टिकटों की ऑनलाइन बुकिंग का मेल था।
"ठीक है मिस्टर सुरेश!"
"माय प्लेज़र!"
□ □ □
" सर क्या लगता है ? " -कैंसिल यश ने पहली बार कहा।
"इसके बारे में क्या है?"
"ईशा के कातिल के बारे में सर!"
"क्या कह सकते हैं।"
जीप यात्रा हुई।
कुछ ही समय बाद जीप एक रेस्तरां के सामने रुकी।
रेस्तरां के बाहरी हिस्से में फ्लैक्स पर बड़ा - बड़े पैमाने पर लिखा था - "मीठा रेस्तरां"
इंस्पेक्टर चौबीसा जीप से बाहर निकला।
वह कांसेल यश और कार्तिक के साथ रेस्तरां में प्रविष्ट हुईं।
"यहाँ पर कौन है?" - देवेश चौबीसा ने एक वेटर से पूछा।
वेटर ने एक काउंटर की ओर से हस्ताक्षर किये।
काउंटर काउंटर पर पहुंचें।
उनके सामने करीब 35 साल का एक मजबूत काठी वाला आदमी था।
" तो आप इस रेस्तरां के अंदर हो ? " - इंस्पेक्टर बोला।
" जी। " - अजीब नजरों से नजरें मिलाते हुए उसने कहा - " कहिए क्या मदद कर सकते हैं आप ? "
इंस्पेक्टर ने संक्षेप में पूरी बात बताई।
रेस्तरां के ऑनर ने रेस्तरां के सभी कर्मचारियों को इस मामले से असहमत बताया।
अशोक नाम के एक वेटर ने बताया - "हाँ। वे चार लोग थे। दो लड़के और दो लड़कियाँ।"
"हमें उस लड़की के बारे में पता है, जो यहां से घूमने गई थी।"
"वह तो चांद भाई की सड़क पर चला गया था।" - एक ही दूसरे स्टाफ के मुंह से निकला।
" स्पार्टक कैसे पता ? " - इंस्पेक्टर देवेश चौबीसा ने पूछा।
"यह यहां का रसोइया उस्मान है सर!"
"जी हाँ।" - उस्मान बोला - "वह बस यूँ ही हाय - हेलो हुई थी। फिर एक लड़की अपनी टैक्सी में थी। चाँद भाई बड़े मिलनसार है। छोड़ा खुद ही मेरा ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था।"
" वह केब का नंबर याद है पत्थर ? "
"नंबर तो पता नहीं।"
"महान! अपने पता वाले सलाहकार से भी दो बताओ, अगर पता हो तो।"
"वह जवाहर नगर, वार्ड नंबर 7 में रहता है।" - कर्मचारी ने मोबाइल नंबर देते हुए पूछा - "मामला क्या है सर?"
"खास कुछ नहीं। बस थोड़ी पूछताछ करनी है।" - देखने के बाद इंस्पेक्टर वहां रुका नहीं।
जल्द ही जीप सड़क पर दौड़ रही थी।
□ □ □
जीप एक घर के सामने रुकी।
घर बहुत ही साधारण था। गनीमत थी कि पक्की थी।
इंस्पेक्टर ने दरवाज़े पर चढ़कर दी।
4 - 5 बार खटखटाने के बाद गेट खोलें।
गेट पर करीब 30 साल की एक युवा निकली।
पुलिस को देखकर वह थोड़ा चौंका।
" चाँद तुम ही हो ? " - सबसे ज्यादा चौंकाने का मौका न देते हुए इंस्पेक्टर ने पूछा।
" जी हाँ। "
" कल शाम 7 बजे स्वीट रेस्तरां से एक गर्ल टूर्स रोड़ो में थी। "
" हाँ। " - उसने कुछ सोचते हुए बोला - " बात क्या है इंस्पेक्टर साहब ?"
"उसे कहाँ गिराया था?"
"निहारिका मॉल में।"
इंस्पेक्टर चौंका - " सच कह रहे हो ? "
" बिल्कुल सच। मैं झूठ क्यों बोलता हूं। " - चांद ने विस्मय से दृष्टि की ओर देखते हुए कहा - "पर हुआ क्या है?"
"वो लड़की का कायल, जो टैक्सी में स्वीट रेस्टोरेंट से अपने घर जाने के लिए घर पहुंची थी, लेकिन खुदा के घर चली गई।"
" क्या ? " - कालिख की रिपोर्ट ही चाँद का मानो, बात ख़ून सूख गयी।
फिर खुद को संयमित करते हुए उसने बोला - "लेकिन ऐसा कैसे हुआ? उसने तो अपने दोस्त के साथ उस मॉल में मूवी देखी थी। फिर ऐसी भीड़ वाली जगह पर कोई किसी का मज़ा कैसे ले सकता है?"
"उसके किसी मॉल में नहीं, दिनकर ब्रिज पर हुआ था।"
" हाँ। "
"और तुम्हें ये सब कैसे पता?"
"स्कूल में ही लड़की ने किसी को कॉल किया था। बात करने के लिए दोस्त से साफ पता चल रहा था कि फोन के दूसरी तरफ उसका दोस्त ही हो सकता है।"
"फोन पर लड़की ने क्या बोला था?"
"वह काफी उदास सी लग रही थी और उसने मूवी देखने के लिए अपने दोस्त को निहारिका मॉल में बुलाया था।"
" ठीक है। "
इंस्पेक्टर ने उस्मान से विदा ली।
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निहारिका मॉल !
7 आर्किटेक्चरल बिल्डिंग में बना शहर का सबसे मशहूर मॉल!
देवेश चौबीसा ने मॉल में प्रविष्ट होने के साथ ही अपना परिचय दिया और कंट्रोल रूम में सीसीटीवी कैमरे देखने की व्यवस्था हो गई।
जल्द ही उसे कल रात के फोटोग्राफर में ईशा दिखाई दी।
वह अकेले ही मॉल में प्रविष्ट हुई थी।
कुछ ही देर बाद उसका एक लड़का भी था।
इंस्पेक्टर ने लड़के की फोटो का प्रिंट निकाला।
रात 8 बजे के करीब वे दोनों मॉल से बाहर की ओर दिखे।
इंस्पेक्टर ने सीसीटीवी कैमरे को 3-4 बार देखा।
इसके बाद वहां से रुख बदल गया।
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