ईशा मर्डर केस - 1
वह जो देख रही थी , उस पर यकीन करना नामुमकिन था।
इससे पहले कि वह कुछ सोच पाती , समझ पाती , अचानक ही रिवॉल्वर का ट्रिगर दबा , गोली चली और एक दर्दनाक चीख से वातावरण गूँज उठा।
□ □ □
इंस्पेक्टर देवेश चौबीसा के सामने इस वक़्त शहर के एक प्रतिष्ठित बिज़नेसमैन अर्जुन सिंह बैठे थे।
" तो , दिनकर ब्रिज पर जिस लड़की की लाश पाई गई , वो आपकी भतीजी थी ? " - इंस्पेक्टर ने पूछा।
" जी हाँ। " - अर्जुन सिंह ने नम आंखों से इंस्पेक्टर की ओर देखते हुए कहा।
" किसी ने काफी करीब से उस पर फायर किया है। " - इंस्पेक्टर ने बताया - " साफ जाहिर है कि हमलावर लड़की का परिचित था।...क्या नाम बताया आपने अपनी भतीजी का ? "
" ईशा सिंह। "
" हाँ , ईशा सिंह ! " - इंस्पेक्टर चौबीसा बोले - " पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक ईशा का कत्ल कल रात 10 बजे के आसपास हुआ था। आप बता सकते हैं , आखिरी बार आपने उसे कब देखा था ? "
" शाम 6 बजे वह घर से निकली थी। "
" कुछ बताया था उसने , कहाँ जा रही है वो ? "
" हाँ। अमित नाम का कोई कॉलेज फ्रेंड है उसका , उसी के साथ कहीं जाना था उसको। "
" और वह पूरी रात घर नहीं पहुंची , बावजूद इसके आपने उसके बारे में कुछ भी पता करना जरूरी नहीं समझा। "
" उसने कहा था कि उसे लौटने में देर हो जाएगी और मैं नींद की गोली लेकर सोता हूँ , इसीलिए इस बारे में मुझे सुबह ही पता चल पाया और मैंने आपसे संपर्क किया। "
" ठीक है। अभी आप जा सकते हैं। कुछ पता चलते ही आपको इन्फॉर्म किया जायेगा। "
□ □ □
जीप एक घर के सामने रुकी।
इंस्पेक्टर चौबीसा दो हवलदारों के साथ उसमें से बाहर निकला।
डोरबेल बजने के साथ ही गेट खुला।
इंस्पेक्टर के सामने एक 19 - 20 साल का नौजवान खड़ा था।
" अमित खन्ना ? "
" जी हाँ। मैं ही हूँ। " - नौजवान बोला - " लेकिन , आप यहाँ ?..."
" तुम्हारी कॉलेज फ्रेंड ईशा सिंह का कत्ल हुआ है। "
" क्या ? " - अमित की आँखे मारे हैरत के फट पड़ी - " कब ?...कैसे ? "
" तुम तो ऐसे रिएक्ट कर रहे हो , जैसे तुम्हें कुछ पता ही नहीं है। "
" मुझे नहीं पता।...हुआ क्या है ? "
" बताया तो मिस्टर कि ईशा का कत्ल हो चुका है। किसी ने गोली मारकर उसकी हत्या कर दी है। "
" किसने ? "
" यही पता लगाने के लिए तो यहाँ आना पड़ा है। "
" आप कहना क्या चाहते हैं ? "
" अब सारी बातें यहीं गेट पर खड़े होकर ही करोगे ? "
" सॉरी , सर ! प्लीज कम इन। " - अमित गेट से हटते हुए बोला।
वे ड्राइंग रूम में पहुँचे।
सोफे पर बैठते हुए इंस्पेक्टर बोला - " ईशा का कत्ल होने से पहले उसे आखिरी बार तुम्हारे साथ देखा गया था। "
" क्या ??? " - अमित चौंका।
" ईशा कल रात तुम्हारे साथ थी। "
" हाँ। "
" क्यों थी ? "
" क्या मतलब ? "
" तुम लोग कहाँ थे कल शाम को ? "
" कल मैं बाइक से ईशा के घर पहुंचा। वहाँ से हम लोग एक रेस्टोरेंट में पहुँचे , जहाँ पहले से ही मेरा कॉलेज फ्रेंड सुरेश अपनी गर्लफ्रैंड आयशा के साथ मौजूद था। वहाँ पर हमने फ़ास्ट फ़ूड लिया और इसके बाद हम मूवी देखने जाने वाले थे। लेकिन , उसी पल मेरे मोबाइल पर एक कॉल
आया और मुझे वहाँ से जाना पड़ा। ईशा मेरे साथ ही आना चाहती थी , लेकिन जिस शख्स का कॉल आया था , उससे मिलने के लिए मुझे अकेले ही जाना था। "
" तुमने बताया नहीं , कॉल किसका आया था ? "
" वो मेरी ex girlfriend का। "
" ओह ! " - इंस्पेक्टर बोला - " इसके बाद क्या हुआ ? "
" मैंने ईशा से कहा कि मूवी देखने के लिए उसे अकेले ही जाना होगा। लेकिन , उसने कहा कि उसका मन नहीं है। तब मैंने उसे उसके घर ड्रॉप करने की बात कही। लेकिन , उसने कहा कि वो कैब कर लेगी।...इसके बाद मैं वहाँ से चला गया। "
" तो , तुम्हारे जाने के बाद ईशा कैब करके अपने घर चली गई और सुरेश - आयशा मूवी देखने चले गए ? "
" तय तो यही हुआ था। लेकिन , निश्चित तौर पर मैं अभी कुछ नहीं कह सकता। "
" ठीक है। तो तुम वो कहो , जो निश्चित तौर पर कह सकते हो। "
" जी ? "
" तुम अपनी ex girlfriend से मिलने गए थे। क्या नाम है तुम्हारी ex girlfriend का और उससे उसी पल मिलना इतना जरूरी क्यो हो गया था ? "
" पायल नाम है उसका। " - अमित ने बताया - " हम दो साल तक रिलेशनशिप में रहे थे और पिछले एक साल से मैं ईशा के साथ रिलेशनशिप में था। कल रात अचानक से उसका कॉल आया और उसने कहा कि वह मुझसे मिलना चाहती है। मैंने बताया कि इस वक़्त यह मुमकिन नहीं है , हम कल मिल सकते हैं। लेकिन , उसने कहा कि यह बहुत जरूरी है और ईशा के बारे में कोई इन्फॉर्मेशन देने वाली थी वह मुझे।...मैं करीब आधे घंटे बाद उसके घर पहुंचा। कॉलबेल के बजते ही गेट खुला।
" हेलो , अमित। " - मुझे देखते ही वह बोली।
" क्या बात है ? " - मैंने बेसब्री से पूछा।
" अरे , अभी तो आये हो। " - पायल लापरवाही से बोली - " बैठो , थोड़ा इधर - उधर की बातें करो। "
" ठीक है , तो यही बता दो कि इतने लंबे टाइम बाद आज अचानक मेरी याद कैसे आ गई तुमको ? "
" याद उनकी आती है , जिन्हें कभी भुलाया गया हो। " - पायल व्यंग्यात्मक लहजे में बोली - " तुम भूल रहे हो। छोड़कर मुझे तुम गए थे। "
" ये सब बातें अब बेकार है। मुझे बताओ कि यहाँ क्यो बुलाया है तुमने ? "
" ईशा एक साथ दो लड़कों को ' डेट ' कर रही है। "
" ये तुम क्या बोल रही हो ? " - मैं गुस्से से चीखा - " होश में तो हो ? "
" मैं जो बोल रही हूँ , बहुत सोच - समझकर बोल रही हूँ। " - पायल ने अपने मोबाइल से एक इमेज दिखाते हुए कहा - " ईशा के तुम अकेले बॉयफ्रेंड नहीं हो , उसका एक और बॉयफ्रेंड है। यकीन ना हो तो ये देखो। "
मैंने 3 - 4 इमेज देखी , जिनमें ईशा किसी अजनबी लड़के के साथ थी। एक भी फोटो आपत्तिजनक नहीं थी , लेकिन वे सारी फोटो जिस अजनबी लड़के के साथ क्लिक की हुई थी , उससे मैं वाकिफ नहीं था।...मैं ईशा के सारे फ्रेंड्स को जानता हूँ। उन फोटोज में उसका कोई भी फ्रेंड होता , तो मुझे आश्चर्य नहीं होता। लेकिन , वह तो कोई अजनबी था।
" अभिनव नाम है लड़के का। शारदा नगर में रहता है। चाहो तो जाकर पता कर सकते हो। "
" अब कुछ पता नहीं करना मुझे। " - उदासी भरे स्वर में मैं बोला।
" मैं अब भी तुम्हारे इंतज़ार में हूँ। जब कभी तुम्हें लगे कि हम पहले की तरह साथ हो सकते हैं…"
" मैं अब चलता हूँ। " - कहते हुए मैं वहाँ से निकल गया।
एक बार मे जाकर मैंने खूब शराब पी।
इसके बाद करीब 12 बजे घर आकर सो गया।
" तो , तुम्हें नहीं पता कि उस रेस्टोरेंट से तुम्हारे निकल जाने के बाद वे तीनों कहाँ गये ? "
" नहीं। "
" और अब , जबकि तुम्हें पता चल चुका है कि तुम्हारी गर्लफ्रैंड का कत्ल हो चुका है , तब तुम कैसा फील कर रहे हो ? "
" उसने मुझे धोखा दिया था और इसीलिये अब इस बात से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उसके साथ क्या हुआ। " - अमित लापरवाही से बोला।
" ठीक है यंग मैन ! " - इंस्पेक्टर उठते हुए बोला - " उम्मीद है , हम दोबारा मिलेंगे। "
इंस्पेक्टर हवलदारों के साथ वहाँ से रुखसत हुआ।
□ □ □
जीप एक मकान के सामने रुकी।
इंस्पेक्टर देवेश चौबीसा दो हवलदारों के साथ जीप से बाहर निकला।
आगे बढ़कर उसने कॉलबेल बजायी।
कुछ पलों की प्रतीक्षा के बाद गेट खुला।
इंस्पेक्टर के सामने 20 साल का एक नौजवान खड़ा था।
सामने पुलिस वालों को देखते ही वह बुरी तरह से चौंक उठा।
" सुरेश तुम्हारा ही नाम है ? " - इंस्पेक्टर चौबीसा ने पूछा।
" ज…जी ! क्या बात है सर ? "
" तुम्हारी कॉलेज फ्रेंड ईशा सिंह का कत्ल हो चुका है। "
" क्या ? " - सुरेश को मानो यकीन नहीं हो रहा था - " कब ?...कैसे ? "
" सब यहीं गेट पर ही बताना पड़ेगा ? "
" सॉरी सर ! " - सुरेश बोला - " अंदर आइये। "
वे ड्राइंग रूम में पहुंचे।
" कल रात 10 बजे के करीब दिनकर ब्रिज पर किसी ने गोली मारकर ईशा का मर्डर कर दिया। "
" यह कैसे हो सकता है। वह तो 7 बजे ही घर के लिए निकल चुकी थी। 10 बजे तक तो उसे घर पर होना चाहिये था ! "
" लेकिन वह घर नहीं पहुँची और अब तुम बताओगे कि ऐसा क्यों हुआ ? "
" मुझे नहीं पता। "
" कल रात 7 बजे ईशा घर के लिए निकल चुकी थी , यह तुम्हें पता है ? "
" हाँ। "
" कहाँ थे उस वक़्त तुम ? "
" स्वीट रेस्टोरेंट में। "
" साथ में और कौन था ? "
" आयशा , अमित और ईशा। "
" क्यों थे ? "
" क्या ? "
" तुम लोग उस रेस्टोरेंट में क्यों थे ? "
" बस यूं ही। "
" बेवजह ? "
" हाँ , आप ऐसा कह सकते हैं। "
" बेवजह इस दुनिया में कभी कुछ नहीं होता। "
" पर हम लोग तो वहाँ बेवजह ही थे। "
" ठीक है।...तुम सब वहाँ किस समय पहुँचे थे ? "
" मैं और आयशा 6 बजे पहुंचे थे वहाँ। हमने कॉफी पीते हुए अमित और ईशा का इंतजार किया।...वे दोनों करीब 6.30 बजे रेस्टोरेंट में पहुँचे। "
" आगे बोलो। "
" करीब 7 बजे अमित के मोबाइल पर एक कॉल आया और उसे अचानक ही जाना पड़ा।...हम सब मूवी देखने जाने वाले थे। लेकिन अमित के लिए वो कॉल मूवी देखने से ज्यादा जरूरी हो गया था और पता नहीं क्यों , ईशा ने भी अपना इरादा बदल दिया। अमित अपनी बाइक से निकला और ईशा ने एक टैक्सी की। हम लोग मूवी देखने के लिए बाइक से निकले। "
" ईशा ने कौनसी कैब की थी ? "
" इनोवा। "
" कलर ? "
" ब्लैक। "
" नंबर ? "
" नहीं पता। "
" तो कल रात तुम और आयशा मूवी देखने गये थे ?
" हाँ। "
" प्रूफ दिखा सकते हो ? "
" हाँ। " - कहते हुए सुरेश ने अपने मोबाइल में से एक मेल दिखाया।
चंद्रलोक टॉकीज के चार टिकट की ऑनलाइन बुकिंग का मेल था वो।
" ठीक है मिस्टर सुरेश ! " - उठते हुए इंस्पेक्टर बोला - " जरूरत पड़ी तो फिर मुलाकात होगी। सहयोग के लिए धन्यवाद। "
" माय प्लेज़र ! "
□ □ □
" क्या लगता है सर ? " - कांस्टेबल यश ने पहली बार मुँह खोला।
" किस बारे में ? "
" ईशा के कातिल के बारे में सर ! "
" क्या कह सकते हैं। " - जीप में बैठते हुए इंस्पेक्टर ने कहा - " अभी तो सिर्फ शुरुआत है। "
जीप स्टार्ट हुई।
कुछ ही समय बाद जीप एक रेस्टोरेंट के सामने रुकी।
रेस्टोरेंट के बाहर लगे फ्लैक्स पर बड़े - बड़े अक्षरों में लिखा था - " स्वीट रेस्टोरेंट "
इंस्पेक्टर चौबीसा जीप से बाहर निकला।
वह कांस्टेबल यश और कार्तिक के साथ रेस्टोरेंट में प्रविष्ट हुआ।
" यहाँ का ऑनर कौन है ? " - देवेश चौबीसा ने एक वेटर से पूछा।
वेटर ने एक काउंटर की ओर संकेत किया।
इंस्पेक्टर काउंटर पर पहुंचा।
उसके सामने करीब 35 वर्ष का एक मजबूत कद काठी वाला आदमी था।
" तो तुम इस रेस्टोरेंट के ऑनर हो ? " - इंस्पेक्टर बोला।
" जी। " - अजीब नजरों से इंस्पेक्टर की ओर देखते हुए वह बोला - " कहिये क्या मदद कर सकता हूँ आपकी ? "
इंस्पेक्टर ने संक्षेप में पूरी बात बताई।
रेस्टोरेंट के ऑनर ने रेस्टोरेंट के सभी कर्मचारियों को इस मामले से अवगत कराया।
अशोक नाम के एक वेटर ने बताया - " हाँ। वे चार लोग थे। दो लड़के और दो लड़कियां। "
" हमे उस लड़की के बारे में जानना है , जो यहाँ से अकेली कैब करके गई थी। "
" वह तो चाँद भाई की टैक्सी में गई थी। " - एकाएक ही एक दूसरे कर्मचारी के मुँह से निकला।
" तुम्हें कैसे पता ? " - इंस्पेक्टर देवेश चौबीसा ने पूछा।
" यह यहाँ का रसोइया उस्मान है सर ! " - रेस्टोरेंट के ऑनर अखिलेश ने बताया - " रसोई से बाहर सड़क का नजारा आसानी से देखा जा सकता है। "
" जी हाँ। " - उस्मान बोला - " उससे बस यूं ही हाय - हेलो हुई थी। फिर एक लड़की उसकी टैक्सी में बैठी थी। चाँद भाई बड़े मिलनसार है। उन्होने खुद ही मेरा ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था। "
" उस कैब का नम्बर याद है तुम्हें ? "
" नम्बर तो नहीं पता। " - उस्मान बोला - " लेकिन जैसा कि मैंने बताया , उसे मैं पर्सनली जानता हूँ। इसीलिये उसका मोबाइल नम्बर जरूर है मेरे पास। "
" ग्रेट ! लगे हाथ उसका पता ठिकाना भी बता दो , अगर पता हो तो। "
" वह जवाहर नगर , वार्ड नंबर 7 में रहता है। " - बताते हुए उसने मोबाइल नम्बर देते हुए पूछा - " मामला क्या है सर ? "
" खास कुछ नहीं। बस थोड़ी पूछताछ करनी है। " - कहने के बाद इंस्पेक्टर वहाँ रुका नहीं।
जल्द ही जीप सड़क पर दौड़ रही थी।
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जीप एक घर के सामने रुकी।
घर बहुत ही साधारण था। गनीमत थी कि पक्का था।
इंस्पेक्टर ने दरवाजे पर दस्तक दी।
4 - 5 बार खटखटाने के बाद गेट खुला।
गेट पर करीब 30 वर्षीय एक युवक प्रकट हुआ।
पुलिस को देखकर वह थोड़ा चौंका।
" चाँद तुम ही हो ? " - ज्यादा चौंकने का अवसर न देते हुए इंस्पेक्टर ने पूछा।
" जी हाँ। "
" कल शाम 7 बजे स्वीट रेस्टोरेंट से एक लड़की तुम्हारी टैक्सी में बैठी थी। "
" हाँ। " - वह कुछ सोचते हुए बोला - " बात क्या है इंस्पेक्टर साहब ? "
" तुमने उसे कहाँ ड्रॉप किया था ? "
" निहारिका मॉल में। "
इंस्पेक्टर चौंका - " सच कह रहे हो ? "
" बिल्कुल सच। मैं झूठ क्यों बोलूँगा। " - चाँद ने विस्मय से इंस्पेक्टर की ओर देखते हुए कहा - " पर हुआ क्या है ? "
" उस लड़की का कत्ल , जो तुम्हारी टैक्सी में स्वीट रेस्टोरेंट से अपने घर जाने के लिए बैठी थी , लेकिन पहुँच खुदा के घर गई। "
" क्या ? " - कत्ल की बात सुनते ही चाँद का मानो , खून सूख गया।
फिर खुद को संयमित करते हुए वह बोला - " लेकिन यह कैसे हुआ ? वह तो अपने बॉयफ्रेंड के साथ उस मॉल में मूवी देखने गई थी। फिर ऐसी भीड़ वाली जगह पर कोई किसी का कत्ल कैसे कर सकता है ? "
" कत्ल उसका किसी मॉल में नहीं , दिनकर ब्रिज पर हुआ था। " - इंस्पेक्टर बोला - " और ये तुम क्या बोल रहे हो मूवी देखने वह अपने बॉयफ्रेंड के साथ निहारिका मॉल में गई थी ? "
" हाँ। "
" और तुमको ये सब कैसे पता ? "
" टैक्सी में बैठते ही लड़की ने किसी को कॉल किया था। बात करने के लहजे से साफ पता चल रहा था कि फोन के दूसरी तरफ उसका बॉयफ्रेंड ही हो सकता था। "
" फोन पर लड़की ने क्या बोला था ? "
" वह काफी उदास सी लग रही थी और उसने मूवी देखने के लिए अपने बॉयफ्रेंड को निहारिका मॉल में बुलाया था। "
" ठीक है। "
इंस्पेक्टर ने उस्मान से विदा ली।
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निहारिका मॉल !
7 मंजिला इमारत में बना हुआ शहर का सबसे प्रसिद्ध मॉल !
देवेश चौबीसा ने मॉल में प्रविष्ट होने के साथ ही अपना परिचय दिया और कंट्रोल रूम में CCTV फुटेज देखने में व्यस्त हो गया।
जल्द ही उसे कल रात के फुटेज में ईशा दिखाई दी।
वह अकेली ही मॉल में प्रविष्ट हुई थी।
कुछ ही देर बाद उसके साथ एक लड़का भी था।
इंस्पेक्टर ने लड़के की फोटो का प्रिंट निकलवाया।
करीब 8 बजे वे दोनों मॉल से बाहर निकलते हुए दिखाई दिए।
इंस्पेक्टर ने CCTV फुटेज 3 - 4 बार देखे।
इसके बाद वहां से रुखसत हुआ।
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