अति आत्मविश्वास

अति आत्मविश्वास !


टूटा है

हमेशा टूटा है।


अति आत्मविश्वास !

हारा है

हमेशा हारा है।


नहीं होता बर्दाश्त हमसे

इसका टूटना

इसका हारना।


स्वीकार नहीं कर पाते हम

उस सच्चाई को

दिखती है जो हमें ,

ठीक अपने सामने।


होती है प्रत्यक्ष जो

हाथ पर रखे आँवले की तरह !


और ,


यही अस्वीकृति !

यही बर्दाश्त के बाहर की बात !

हो जाती है परिणत

घमंड में।


टूट जाते हैं खुद

तोड़ देते हैं औरों को भी।


पर टूटने नहीं देते

इस घमंड को ,

इस अति आत्मविश्वास को !


फिर हो जाये चाहे तबाह जिंदगियां ,

औरों की भी ,

खुद की भी !


पर ,


नहीं टूटने देते ,

इस अति आत्मविश्वास को ,

नहीं टूटने देते !

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5 Comments

  1. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद।

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  2. पर टूट ही जाता है अंततः

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    1. जी हाँ।असत्य को टूटना ही होता है हमेशा ।

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