एक बुरा इंसान

 मैं साबित अक्सर बुरा ही हुआ हूँ

एक बार नहीं कई बार हुआ हूँ

मिलता है जब भी कोई अनजाना अजनबी

कहता है बस यही ,

तुम एक अच्छे इंसान हो

और बदल जाते हैं शब्द उसके ,

महज चार ही दिनों में ,

सुनने को मिलता है मुझको ,

अच्छा इंसान समझते थे तुमको हम ,

पर निकले तुम भी बुरे।

और बात हैरत की ये ,

चीख चीखकर सालों से ,

दिला रहा हूँ यकीं सबको ,

मैं बुरा इंसान हूँ ,

हाँ मैं एक बुरा इंसान हूँ।

पर करता नहीं कोई यकीं ,

वजह है बस इतनी सी ,

फैला है भ्रम लोगों में

कि ,

कहते है बुरा खुद को ,

अक्सर अच्छे इंसान ही ,

बुरा इंसान नहीं कहता बुरा

खुद को कभी।

कैसे समझाएं अब सबको ,

अपवाद हूँ मैं ,

ऐसा एक बुरा इंसान ,

जो न केवल बुरा है ,

बल्कि स्वीकार भी करता है ,

खुद के बुरे होने को।


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