मेरी दुनिया है तुझमें कहीं - 4

 मेरी दुनिया है तुझमें कहीं - 4

अब तक आपने पढ़ा, सनाया का CAT क्लियर हो गया था। आगे उसे MBA करना था। लेकिन उसके पापा चाहते थे कि जल्दी से उसकी शादी हो जाए। लड़के वाले उसे देखने आने वाले होते हैं। पापा के समझाने पर आखिर वह तैयार हो जाती है। अभय भारद्वाज अपने बेटे विनीत के साथ सनाया को देखने आते हैं और गलती से अंजू को सनाया समझ लेते हैं। लेकिन जल्द ही गलतफहमी दूर हो जाती है।

अब आगे - 

“आपकी बेटी तो बड़ी सुंदर और सुशील है।” - मिसेज भारद्वाज सनाया के गाल पर प्रेम से हाथ लगाते हुए बोली।

“सुन्दर और सुशील तो लड़के होते हैं आंटी!” - चमचम का एक पीस खाने के बाद पहली बार ईशान बोला - “लड़कियां तो सुन्दरी और सुशीला होती है।”

ईशान की बात पर एक बार फिर से हॉल हँसी के शोर से चहक उठा।

“क्या बात है! हमारा ईशान बोलता भी है।” - मुस्कुराते हुए मिसेज भारद्वाज ने कहा।

“इधर उधर की बातें बहुत हो गई है। अब जिस काम के लिए आए हैं, वो कर लें ?” - अभय भारद्वाज ने मिसेज भारद्वाज की तरफ देखते हुए कहा।

“तो बेटा!” - मिस्टर भारद्वाज का इशारा समझते हुए बिना किसी भूमिका के मिसेज भारद्वाज सनाया से बोली - “तुम तो हमें पसंद आ गई हो।”

सनाया हल्के से मुस्कुराई।

इसके बाद कुछ औपचारिक बातों के बाद अभय भारद्वाज बोले - “हमें तो आपकी लड़की पसंद आ गई है। तो हमारी तरफ से तो हां है।”

“हमें भी आपका लड़का अच्छा लगा। काफी शांत भी है। हमारी तरफ से भी हां है।”

“चलिए ये तो बड़ा अच्छा है।” - अभय भारद्वाज खुश होते हुए बोले - “अब उचित होगा कि लड़का - लड़की भी आपस में बात करके एक दूसरे को पसंद कर ले।”

“जी! ये तो बिल्कुल सही बात कही आपने।” - शर्माजी बोले।

“अंजू!” - मिसेज शर्मा बोली - “विनीतजी को इसी बहाने घर भी दिखा दो।”

“जी मम्मी!” - बोलते हुए अंजू उठी और सनाया से बोली - “चलिए दी!”

सनाया हल्के से मुस्कुराते हुए उठी।

विनीत ने अंजू के कुछ बोलने का इंतजार नहीं किया। वह वैसे ही उठ खड़ा हुआ।

इस बार धीमी गति से चलते हुए अंजू सीढ़ियों तक पहुंची और बड़े ही आराम से धीरे - धीरे सीढ़ियां चढ़ने लगी।

अंजू के पीछे - पीछे सनाया और सनाया के पीछे - पीछे विनीत सीढ़ियां चढ़ने लगे।

सीढ़ियां चढ़ते हुए सनाया MBA और शादी के विचारों में कुछ ज्यादा ही खोई हुई थी। शायद इसीलिए वह अगली सीढ़ी पर ठीक से पैर रख भी नहीं पाई थी कि उसका दूसरा पैर भी स्वाभाविक रूप से उठ गया। परिणाम यह हुआ कि वह बुरी तरह से लड़खड़ा गई और उसके मुंह से चीख निकल पड़ी। उसे गिरते देख मिसेज शर्मा के मुंह से भी चीख निकल गई - “सनाया!”

अभय भारद्वाज, मिसेज भारद्वाज और शर्माजी के चेहरे पर भी बेचैनी के भाव आए। लेकिन सिर्फ एक पल के लिए।

क्योंकि कदम लड़खड़ाने से गिर रही सनाया को संभालने के लिए उसके ठीक पीछे विनीत जो मौजूद था।

सीढ़ियों से ऊपर की तरफ जाती सनाया जब लड़खड़ाई तो वह थोड़ा पीछे की तरफ घूम गई और सीधे विनीत की बाँहो में जा गिरी। विनीत ने अपने दोनों हाथों के घेरे में उसे बन्द कर गिरने से बचा लिया। डर से सनाया ने अपनी आँखें बंद कर ली।

“आर यू ओके ?” - सनाया के सिर पर हाथ रखते हुए विनीत ने पूछा, तो सनाया ने अपनी आँखें खोली।

फिर संभलते हुए विनीत से खुद को दूर करते हुए बोली - “हां। मैं ठीक हूं।”

नीचे हॉल में मौजूद सभी व्यक्ति दौड़ते हुए आए और सनाया के इर्द गिर्द जमा होकर पूछने लगे कि वह ठीक तो है!

सनाया ने सभी को आश्वस्त किया कि वह बिल्कुल ठीक है।

इसके बाद वह विनीत और अंजू के साथ ऊपर रूम की तरफ चल पड़ी।

बाकी सभी नीचे हॉल में वहीं आकर बैठ गए, जहां कि पहले बैठे हुए थे।

“ ये है हमारी सनाया दी का रूम!” एक रूम का गेट खोलकर उसमें प्रविष्ट होते हुए अंजू बोली।

“ये तो काफी अच्छा और बड़ा है।” - विनीत भी रूम में दाखिल हुआ।

रूम काफी अच्छी तरह से सजा हुआ था। सामने दीवार पर कोई गमले की पेंटिंग लगी हुई थी। 

सनाया के भीतर आते ही अंजू बोली - “अच्छा! अब आप दोनों को जो बात करनी है, कर लो। मैं चलती हूं।” 

इसके बाद वह रूम से बाहर चली गई।

अब रूम में सनाया और विनीत ही रह गए थे।

“यह पेंटिंग काफी अच्छी है। आप पेंटिंग भी करती हो!” - बात शुरू करने के लिहाज से विनीत ने यूं ही पूछ लिया।

“नहीं।” - सनाया मुस्कुराते हुए बोली बोली - “यह तो मार्केट से खरीदी हुई है और बनी ऐसी है जैसे लगता है खुद की बनाई हुई हो।”

“अच्छा!”

“जी।”

“वैसे, आपने बताया नहीं कि हॉबीज क्या क्या है ?” 

“आपने भी तो नहीं बताया।”

“एक बिजनेसमैन की भला क्या हॉबीज हो सकती है। फिर भी कह सकते हैं कि मुझे नई नई जगहों पर घूमना बहुत पसंद है।”

“वेरी गुड हॉबी!” - सनाया बोली - “मेरी तो हॉबी, सपने, लक्ष्य - सब कुछ MBA ही है।”

“MBA ?” - विनीत चकित स्वर में बोला।

“हां।” - सनाया ने कहा - “CAT क्लियर किया है अभी मैंने।”

“वाह! ये तो बड़ी अच्छी बात है। तब तो MBA करने के बाद तुम हमारी कंपनी में प्रेक्टिस शुरू कर सकती हो।”

“जी!” - चकित स्वर में सनाया बोली - “आप काफी एडवांस लगते हो। बहुत जल्दी बहुत दूर तक की सोच लेते हो।”

“तभी तो एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन हूँ।” - विनीत गर्व से बोला।

“मतलब, हर चीज को फायदे और नुकसान के नजरिए से देखते हो!”

“अब ऐसा भी नहीं है।” - विनीत थोड़ा विचलित होते हुए बोला - “वैसे, अच्छा होगा, अगर हम इधर उधर की बातें करने की बजाय वे बातें करें, जिनके लिए हम यहां आए हैं।”

सनाया ने ध्यान दिया कि कुछ देर पहले अभय भारद्वाज ने भी शर्माजी से ऐसा ही कुछ कहा था।

वैसे तो सनाया ने पहले ही तय कर लिया था कि लड़के वाले चाहे जैसे हो, लड़का उसे पसंद आए या ना आए, वह इस रिश्ते के लिए मना ही करेगी।…लेकिन, अब तो उसका निर्णय बिल्कुल ही क्लियर था।

“मतलब की बात करने के लिए दोनों पिता - पुत्र काफी उतावले रहते हैं।” - सोचते हुए सनाया बोली - “सही बात कही आपने। हमें सीधे मतलब की बात पर आना चाहिए और मेरे मतलब की जो बात है, वो ये है कि पहले मैं MBA करूंगी, उसके बाद ही शादी के बारे में कुछ सोचूंगी।”

सनाया एक ही सांस में वो कह गई, जिसे कहने के लिए वह काफी देर से हिम्मत जुटा रही थी।

विनीत व्यंग्यात्मक ढंग से हंसते हुए बोला - “MBA करने के लिए शादी स्थगित करने की भला क्या जरूरत है !... शादी के बाद भी तो MBA किया जा सकता है।”


आगे क्या हुआ ? विनीत के शादी के बाद भी MBA करने की छूट देने के बाद क्या सनाया इस रिश्ते के लिए हां कर देगी ? क्या शादी के बाद विनीत सच में सनाया को MBA करने की छूट देगा? जानने के लिए इंतजार कीजिए अगले भाग का।

मेरी दुनिया है तुझमें कहीं - 3

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