पेज

बुधवार, 13 नवंबर 2024

रहस्यमयी प्रतिमा Ch - 15 विधायक का इंटरव्यू लेने में स्नेहा हुई सफल

 

तभी कहीं से उसे नल से पानी गिरने की आवाज सुनाई दी। 

ध्यान देने पर उसे समझ आया कि आवाज बाथरूम से आ रही है। 

“ ओह! तो वह उधर है। “ - खुद से ही बोलते हुए वह सोफा चेयर पर आराम से बैठ गया। 

कुछ ही समय बाद स्नेहा वहाँ आई। उसके हाथों में एक नैपकीन था, जिससे वह अपना मुँह व हाथ पोंछ रही थी। 

“ नहा ही लेती। “ - दक्ष उसकी ओर देखते हुए बोला। 

“ क्या ? “

“ हालत तो तुम्हारी नहाने जैसी ही हो रही है। “

“ हो तो रही है। पर, अभी इतना टाइम नहीं है। मैं तो बॉस को इस इंटरव्यू के बारे में बताने के लिए बहुत उत्सुक हूँ। “

उसने नैपकीन को सूखने के लिए कपड़ा स्टैंड पर डाला और वहीं रखी एक दूसरी सोफा चेयर पर बैठकर उसने रिलेक्स भरी लंबी साँस ली। 

“ मजा आ गया आज तो। “ - खुशी से चहकते हुए स्नेहा बोली - “ जिस एडवेंचर के लिए मैंने रिपोर्टिंग के फील्ड को करियर के रूप में चुना था, उसका असली अनुभव तो आज हुआ मुझे। “

“ ये तो कुछ भी नहीं था। क्राइम रिपोर्टिंग में इससे भी कई गुना ज्यादा एडवेंचर है। “ - कॉफी का कप स्नेहा की ओर बढ़ाते हुए दक्ष बोला - “ बस जज्बा होना चाहिए कुछ बड़ा करने का। “

“ सही कहा। “

“ वैसे कोई परेशानी तो नहीं हुई इंटरव्यू लेने में ? “ - मेज पर से कॉफी का दूसरा कप उठाकर सिप करते हुए दक्ष ने पूछा। 

“ ज्यादा तो कोई परेशानी नहीं आई। बस कुछ सवालों के जवाब टालने की कोशिश कर रहे थे विधायकजी। “ स्नेहा बोली - “ लेकिन मैंने उन्हें उनकी जान बचाने की दुहाई देकर जवाब देने के लिए मना लिया। “

“ बढ़िया। “ - खुश होते हुए दक्ष बोला - “ मतलब, हम कह सकते है कि विधायक जी का इंटरव्यू लेने का जो टास्क हमें मिला था, उसको हमने सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। “

“ हाँ। बिल्कुल। “ - स्नेहा बोली - “ लेकिन एक बात मुझे समझ नहीं आ रही। “ 

“ क्या ? “

“ म्युजियम में अगर हम विधायक जी का इंटरव्यू नहीं ले पाते तो उनके घर जाकर या और किसी जगह उनसे मिलकर भी ले सकते थे ना ? “

“ बिल्कुल ले सकते थे। “

“ फिर तुमने इतना बड़ा रिस्क क्यों लिया ? अगर पकड़े जाते तो… “

“ पकड़े गए क्या ? “

“ नहीं। लेकिन अगर पकड़े जाते तो… “

“ तो जो होता, देखा जाता। “ - दक्ष लापरवाही से बोला - “ वैसे भी, ये विधायक कोई बहुत अच्छा आदमी है नहीं। इसीलिए मुझे तो बिल्कुल भी नहीं लगता कि यह आसानी से अपना इंटरव्यू देता। “

“ हाँ। ये बात तो मैंने भी नोट की। “ - कुछ सोचते हुए स्नेहा बोली। 

इसके बाद विधायक जी के इंटरव्यू पर विस्तार से चर्चा करने के बाद वे दोनों डेली न्यूज़ एजेंसी के ऑफिस की ओर रवाना हुए। 


•••••


“ क्या! “ - चकित स्वर में बोला प्रकाश आहूजा - “ वो इंटरव्यू देने के लिए तैयार हो गया! “

दक्ष और स्नेहा डेली न्यूज एजेंसी में बॉस के पर्सनल केबिन में उसके सामने विजिटर्स चेयर पर बैठे थे। 

“ आपको खुशी नहीं हुई सर ? “ - स्नेहा बोली।

“ अरे, नहीं नहीं। ऐसी कोई बात नहीं। मैं तो बहुत खुश हूँ। “ - अपने चेहरे पर से आश्चर्य के भाव छिपाते हुए बोला आहूजा - “ मैं तो बस यही सोच रहा था कि वहाँ इतनी भीड़ में और भी कई रिपोर्टर रहे होंगे। फिर भी उन्होंने हमें इंटरव्यू देने के लिए अपना कीमती समय दिया! “

“ किस्मत अच्छी थी सर हमारी। “ - दक्ष बोला। 

“ हो सकता है। “ - एकाएक ही आहूजा के चेहरे पर कठोरता पूर्ण भाव आए - “ लेकिन तुम लोगों ने कोई बहुत बड़ा तीर भी नहीं मार लिया। “

दक्ष और स्नेहा दोनों चुप रहे। 

“ तुम लोगों को म्युजियम के उद्घाटन की न्यूज़ भी कवर करनी चाहिए थी। “ - आहूजा नाराजगी भरे स्वर में बोला। 

“ हमने की सर! “ - स्नेहा बोली। 

“ सच में! “ - आहूजा बोला - “ रिपोर्ट दिखाओ मुझे। “

स्नेहा ने रिपोर्ट दिखाई। 

आहूजा के चेहरे पर पराजय के भाव प्रकट हुए। 

“ तुम लोगों ने पत्थर के आदमी की न्यूज़ कवर की ? “ - आहूजा ने पूछा। 

“ पत्थर का आदमी ? “ - दोनों के ही मुँह से निकला। 

“ मतलब नहीं की! “ - आहूजा तनिक अप्रसन्न भाव से बोला - “ करनी चाहिए थी। “

“ सर! आप क्या बोल रहे है ? मेरी समझ में तो कुछ भी नहीं आ रहा है। “ - स्नेहा बोली। 

“ समझ में आता। अगर तुममें से एक ही विधायक बंसल का इंटरव्यू लेता और दूसरा म्युजियम में उपस्थित रहता। “

दक्ष और स्नेहा ने सवालिया नजरों से आहूजा की तरफ देखा। 

“ अब ऐसे मूर्खों की तरह मेरी तरफ देखना बंद करो और जाकर म्युजियम में जो घटना हुई, उसकी डिटेल निकालो। “ - आहूजा कठोर स्वर में बोला - “ विधायक के इंटरव्यू से ज्यादा महत्व उस घटना का है। उस पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करो, ताकि कल के एडीशन में हम उसे छाप सके। “

बॉस का संकेत समझकर दक्ष और स्नेहा बाहर आये। 

“ मैं कसम खाकर कह सकती हूँ कि भगवान भी आ जाए ना, तो इस खडूस को संतुष्ट नहीं कर सकता। “ - काफी देर से अपने गुस्से को दबाये बैठी स्नेहा बोली - “ इस आदमी को हमारी मेहनत बिल्कुल नहीं दिखती। “

“ इग्नोर करो। “ - दक्ष लापरवाही से बोला। 

“ उसकी बातों से तो ऐसा लग रहा था जैसे कि उसे पूरा विश्वास था कि हम विधायक जी का इंटरव्यू ले ही नहीं पाएंगे! “

“ हाँ। क्योंकि बॉस विधायक जी की फितरत को जानते है। उन्हें पहले से ही पता था कि विधायक बंसल हमारे जैसे छोटे पत्रकारों को अपने पास भी नहीं फटकने देगा। “

“ और तुमको भी ये बात पता थी! “ - आश्चर्य के साथ स्नेहा बोली। 

दक्ष मुस्कुराया। 

“ और इसीलिए तुमने इतना बड़ा रिस्क लिया! क्योंकि तुम जानते थे कि विधायक जी को इंटरव्यू देने के लिए राजी करने का बस वही एक रास्ता था! “

“ देर से ही सही, आखिर तुम समझ ही गई कि विधायक को शूट करने का नाटक करने की मुख्य वजह क्या थी! “

“ उफ! मैं भूल कैसे गई। “ - स्नेहा बोली - “ मैं तुम्हें कॉलेज टाइम से ही जानती हूँ। जो कार्य हाथ में लेते हो, उसे पूरा करके ही रहते हो। चाहे फिर उसके लिए कितना ही बड़ा रिस्क क्यों न लेना पड़े। “

“ क्या कर सकते है। आदत से मजबूर जो ठहरा। “

“ लेकिन ये पत्थर के आदमी की क्या बात है ? “ - स्नेहा बोली - “ क्या घटित हुआ होगा म्युजियम में ? और तुमने तो कहा था कि विधायक को शूट करने का नाटक करने के बाद तुम गए थे म्युजियम में ? “

“ हाँ। गया तो था। “ - दक्ष बोला - “ लेकिन उस समय तो सब ठीक ही चल रहा था। ऐसी तो कोई घटना घटित नहीं हुई थी, जो कि जिक्र के काबिल हो। “

“ तो ? “ 

“ मेरे वहाँ से आ जाने के बाद कुछ हुआ हो सकता है। “

“ क्या हुआ होगा ? “ 

“ अब ये तो म्युजियम जाकर ही पता लगेगा। “



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें