पेज

गुरुवार, 7 नवंबर 2024

रहस्यमयी प्रतिमा ( भाग - 10 ) - दक्ष ने बनाई विधायक बंसल को शूट करने की प्लानिंग


 “ क्या ? “ - चकित स्वर में रॉकी ने पूछा - “ ये चैरिटी का क्या चक्कर है ? “

“ अरे, कुछ खास नहीं। “ - विशाल बोला - “ अपने कॉलेज के पास में ही एक अनाथ आश्रम है। होली, दिवाली जैसे त्योहारों पर वर्षा अपनी फ्रेंड्स के साथ मिलकर अनाथ आश्रम के बच्चों के लिए चैरिटी इकठ्ठा करती है, जिससे कि वे भी इन त्योहारों को खुशी खुशी मना सके। “

“ अच्छा! “

“ अब बताओ भी उड़ने वाले इंसान के बारे में कुछ। “ 

“ हाँ। ठीक है। “ - रॉकी ने बताना शुरू किया - “ उड़ने वाला इंसान तो बाद में आता है। सारी कहानी शुरू होती है, बैंक डकैती से। हकीकत में हुआ यह था कि कल रात पहले से ही बनाई हुई योजना के अनुसार पाँच लुटेरों ने यूनियन बैंक को लूटने की कोशिश की। रात के अंधेरे में वे रस्सियों के सहारे उस इमारत में दाखिल हुए, जिसकी निचली मंजिल पर यूनियन बैंक की शाखा चलती है। लेकिन, वे जैसे ही रस्सियों की सहायता से टेरिस पर पहुँचे, पता नहीं कहाँ से उड़ता हुआ वह इंसान आया और दो लुटेरों को अपने दोनों हाथों से उठाकर उसने आकाश से नीचे फेंक दिया। टेरिस पर खड़े बाकी तीनों लुटेरे इस खौफनाक मंजर को देख उस पर रिवॉल्वर से फायर करने लगे। उड़ने वाले इंसान को गोली तो लगी थी, लेकिन उसे कुछ हुआ नहीं आ। इस बात ने उन लुटेरों को बुरी तरह से डरा दिया। फिर वे तीनों डर के मारे टेरिस से सीढ़ियों के सहारे उस इमारत के निचले हिस्से में पहुँचे। उनको लगा कि वह उड़ने वाला इंसान, इंसान नहीं बल्कि कोई प्रेत था। वे इतना ज्यादा डर गये कि खुद को बचाने के लिए उन्होंने पुलिस को फोन कर दिया। बाद में पुलिस वहाँ पहुँची और उनको गिरफ्तार करके थाने ले गई। जिन दो लोगों को आकाश से नीचे फेंका गया था, उनको चोटें तो बहुत आई, लेकिन उनकी साँसें अभी चल रही थी। इसीलिए उन्हें हॉस्पिटल में इलाज के लिए ले जाया गया। उनके बयान से इतना तो क्लीयर हो गया कि उड़ने वाला इंसान कोई प्रेत नहीं बल्कि एक साधारण इंसान ही था। “

“ ओह, तो ये था पूरा मामला! “ - चकित स्वर में विशाल बोला - “ इसका मतलब, वह जो कोई भी था, उसे ये पता चल चुका था कि वे लुटेरे बैंक लूटने आये थे और बैंक को लुटने से बचाने के लिए ही उसने उन लुटेरों का मुकाबला किया था। “

“ लगता तो ऐसा ही है। “ - रॉकी बोला - “ लेकिन सच चाहे जो भी हो, उड़ने वाला इंसान मिस्ट्री बना हुआ है और पापा ने बोला है कि वे उसकी सच्चाई पता करके रहेंगे। “


शास्त्री रोड़ पर ‘ प्रताप म्युजियम ‘ की ओपनिंग पर शहर के विधायक जगमोहन बंसल ने रिबन काटकर म्युजियम का उद्घाटन किया।

रिबन कटते ही तालियों की गड़गड़ाहट से वहाँ का वातावरण गूँज उठा। साथ ही कई कैमरों की फ्लैश लाइट रिबन काटते विधायक के चेहरे पर पड़ी और साथ ही क्लिक की आवाज भी हुई, जो इस बात का संकेत थी कि वहाँ कई सारे मीडिया पर्सन भी मौजूद थे, जो कि इस अवसर को न्यूज़ का रूप देकर अखबार और टीवी के माध्यम से इसे आम जनता तक पहुंचाना चाहते थे। 

शहर में पहली बार कोई म्युजियम खुलने जा रहा था और साथ ही शहर के विधायक भी वहाँ मौजूद थे, तो लोगों की भारी भीड़ थी।

वहाँ उपस्थित मीडिया पर्सन में दक्ष और स्नेहा भी शामिल थे। म्युजियम के उद्घाटन की न्यूज़ तो उनको कवर करनी ही थी। लेकिन साथ ही इससे भी बड़ी चुनौती उनके लिए थी, विधायक महोदय का इंटरव्यू लेना। भीड़ बहुत ज्यादा होने की वजह से वे विधायक बंसल तक पहुँच नहीं पा रहे थे। 

भीड़ के शोरगुल के बीच उनको आपस में बात करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा था। 

“ स्नेहा! “ - अचानक ही दक्ष तेज आवाज में बोला - “ चलो, बाहर निकलते है यहाँ से। “

“ क्या ? “ - विस्मय भरे स्वर में बोली स्नेहा - “ ये तुम क्या बोल रहे हो! अभी तो हमने इंटरव्यू भी नहीं लिया। “

“ इतनी भीड़ देखकर मेरा तो मूड ऑफ हो रहा है। “

“ तुमको अपने मूड की पड़ी है! “ - चिल्लाते हुए स्नेहा बोली - “ अगर इंटरव्यू लिए बिना ही हम लौट गए, तो बॉस का जो मूड होगा, उसके बारे में भी सोच लो थोड़ा। “

“ अरे, इंटरव्यू लिए बिना जाने की बात कौन कर रहा है ! “ - स्नेहा का हाथ पकड़कर उसे भीड़ की विपरीत दिशा में खींचते हुए दक्ष बोला - “ मैं तो बस कुछ देर के लिए इस भीड़ भाड़ वाले माहौल से दूर जाने की बात कर रहा हूँ। हम वापस आयेंगे ना। “

म्युजियम शहर से थोड़ा दूर, ऐसे इलाके में बनाया गया था, जिसका ज्यादातर हिस्सा वन क्षेत्र के पास पड़ता था। इसीलिए वहाँ पेड़ काफी थे। म्युजियम के ठीक सामने पेड़ों के एक झुरमुट के पास पहुंचकर दक्ष बोला - “ ये तो हमारे मुश्किल काम हो गया। अच्छा होता अगर हम इनके बंगले पर चलकर ही इनका इंटरव्यू ले पाते। “

“ बोल तो तुम सही रहे हो। “ - स्नेहा बोली - “ लेकिन अब जब यहाँ आए ही है तो इंटरव्यू तो लेकर ही जायेंगे। “

“ सहमत हूँ तुम्हारी बात से। लेकिन इसके लिए हमें विधायक जी से अकेले में मिलना होगा और इसकी कोई संभावना लग नहीं रही है। “

“ फिर ? “

“ कोई तिकड़म लगानी पड़ेगी। “ - बोलते हुए दक्ष कुछ सोचने में व्यस्त हो गया। 

“ तुम सोचते ही रह जाओगे और उधर विधायक जी निकल भी जायेंगे। “

“ मिल गया आईडिया! “ - बोलते हुए दक्ष ने अपनी पॉकेट में से अपनी रिवॉल्वर निकाली और स्नेहा को दिखाते हुए बोला - “ ये आयेगी अब काम। “

“ क्या! “ - स्नेहा चकित स्वर में बोली - “ तुम विधायक जी को गन प्वाइंट पर रखकर उनका इंटरव्यू लोगे ? “

दक्ष जोर से हँसा - “ किसी को गन प्वाइंट पर रखकर उसका इंटरव्यू लिया जाता है क्या! “

“ तो ? “

“ मैं विधायक जी को शूट करूँगा। “ - रहस्यमयी तरीके से मुस्कुराते हुए बोला दक्ष। 

“ फिर उनकी लाश का इंटरव्यू लोगे! “ - मजाकिया लहजे में हँसते हुए स्नेहा बोली - “ गजब के टैलेंटेड हो तुम! क्या दिमाग पाया है! “

स्नेहा की बात सुनकर हँसी तो दक्ष को भी आ रही थी। लेकिन, वो हँसा नहीं। उसके लिए ये वक्त था भी नहीं हँसने का। 

“ मैं कोई मजाक नहीं कर रहा। “ - दक्ष गंभीर स्वर में बोला - “ मैं सच में विधायक को शूट करने जा रहा हूँ। “

दक्ष का सीरियस चेहरा देखकर स्नेहा थोड़ा घबराते हुए बोली - “ य…ये तुम क्या बोल रहे हो दक्ष! हम यहाँ विधायक जी का इंटरव्यू लेने आए है और हम कोई टेररिस्ट है क्या, जो ये सब करेंगे! “

“ हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है। “

“ क्या बक रहे हो दक्ष! “ - इस बार स्नेहा आवेशित स्वर में बोली - “ तुम पागल तो नहीं हो गए हो! या तुमने विधायक जी की अपोजिशन पार्टी से उनको मारने के लिए पैसा तो नहीं खा लिया ? “




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें