मन में उठने वाले भावों को लिपिबद्ध करने का एक लघु प्रयास

मंगलवार, 25 जनवरी 2022

चलो आज फिर कुछ करते हैं

चलो आज फिर कुछ करते है

मरी उम्मीदों को जिन्दा करके

नाकामियों के अँधेरो से 

कामयाबी के उजालों की ओर बढ़ते हैं

चलो आज फिर कुछ करते हैं।

सोया पुरुषार्थ जगाकर ,

अलसाये भाग्य को आँखें दिखाकर ,

मंजिल की ओर बढ़ते हैं ,

चलो आज फिर कुछ करते हैं।

राह रोक खड़ी चट्टानों को तोड़कर ,

कर्मों के वेग को उचित दिशा में मोड़कर ,

लहूलुहान हुए पैरों से ,

शूलों के मार्ग पर चलते हैं ,

चलो आज फिर कुछ करते हैं।

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