चलो आज फिर कुछ करते हैं

चलो आज फिर कुछ करते है

मरी उम्मीदों को जिन्दा करके

नाकामियों के अँधेरो से 

कामयाबी के उजालों की ओर बढ़ते हैं

चलो आज फिर कुछ करते हैं।

सोया पुरुषार्थ जगाकर ,

अलसाये भाग्य को आँखें दिखाकर ,

मंजिल की ओर बढ़ते हैं ,

चलो आज फिर कुछ करते हैं।

राह रोक खड़ी चट्टानों को तोड़कर ,

कर्मों के वेग को उचित दिशा में मोड़कर ,

लहूलुहान हुए पैरों से ,

शूलों के मार्ग पर चलते हैं ,

चलो आज फिर कुछ करते हैं।

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