मन में उठने वाले भावों को लिपिबद्ध करने का एक लघु प्रयास

बुधवार, 25 दिसंबर 2024

रहस्यमयी प्रतिमा Ch - 32 दक्ष का स्कूली लड़कों से सामना

 

“हाँ। ज्यादा है ?” - धीमे स्वर में अमित बोला।

“नहीं। ज्यादा नहीं है।” - दक्ष बोला - “बहुत ज्यादा है और भूलो मत, मैं सिर्फ एक रिपोर्टर हूँ।”

“फिर कितना दोगे ?” - अमित मायूसी भरे स्वर में बोला।

“तुम लोगों की तो अभी पढ़ने लिखने की उम्र है। फिर पैसों पर इतना ध्यान क्यों रहता है ?” - अचानक ही दक्ष ने अपना रिपोर्टर वाला रुख अपना लिया।

दक्ष के बात करने के लहजे से अमित सकपका गया। दक्ष ने भी इस बात को जल्दी ही भांप लिया।

“खबर क्या है वैसे ?” - बात बदलने की गरज से दक्ष ने पूछा।

“बहुत बड़ी है।”

“है क्या ?”

“उड़ने वाले इंसान के बारे में है।” - धमाका सा करते हुए अमित बोला।

“उड़ने वाले इंसान के बारे में !” - दक्ष का हैरत भरा स्वर बता रहा था कि धमाके का पूरा पूरा असर हुआ था।

“हाँ। अब बोलो, कितने रुपए दोगे ?”

“एक हजार।” - दक्ष बोला - “खबर क्या है ?”

“उसका नाम काल योद्धा है।” - अमित बोला - “वह एक सुपरहीरो है। लोगों की मदद करता है। अपराध और हिंसा करने वालों से नफरत करता है।”

“अच्छा!” - दक्ष ने अविश्वास भरे स्वर में कहा - “और तुमको ये सब कैसे पता ?”

अमित बताने ही वाला था कि कुछ सोचकर चुप हो गया।

दक्ष ने उसके चेहरे की तरफ ध्यान से देखा। साफ पता चल रहा था कि वह कुछ छुपाने की कोशिश कर रहा था।

दक्ष मुस्कुराया - “क्या बात है। लगता है, तुमको पैसे नहीं चाहिए।”

अमित ने एक पल के लिए अपने दोस्तों की तरफ देखा। फिर दृढ़तापूर्वक बोला - “पैसे तो चाहिए। लेकिन मेरी एक शर्त है।”

“क्या ?”

“हमारे बारे में अखबार में किसी को कुछ बताना मत।”

“ऐसा क्यों ? तुम लोगों ने कुछ गलत किया क्या ?”

दक्ष के इस सवाल पर सभी के चेहरे झुक गए।

“इट्स ओके। गलती किससे नहीं होती।”

“हमने उसे सुधार लिया है।” - सिर झुकाए हुए ही अमित बोला।

“गुड। फिर तो चिंता की कोई बात ही नहीं है।”

“पर हमारे बारे में अखबार में कुछ छपेगा तो नहीं ?”

“टेंशन मत लो। तुम लोगों का नाम बिलकुल नहीं आएगा।”

“थैंक यू।”

“अब पूरी बात बताओ मुझे।” - दक्ष बोला - “काल योद्धा के बारे में कैसे पता चला तुमको ?”

जवाब में अमित ने कल की सारी घटना सुना दी।

“क्या!” - चकित होते हुए दक्ष बोला - “और उस उड़ने वाले इंसान के कहने पर तुमने वह सोने की चेन वापस तनुजा बैग में रख दी ?”

“हाँ।”

“और अब चाहकर भी तुम लोग कोई अपराध नहीं कर पाओगे ?”

“हां। उसने…उसने कोई जादू किया था।”

“फिर, वो अचानक से गायब हो गया ?”

“हाँ।”

“ठीक है।” - दक्ष कुछ सोचते हुए बोला - “लेकिन, मुझे ये समझ नहीं आ रहा कि तुम लोगों ने तनुजा की चेन चुराई क्यों ? और काल योद्धा से मिलने के बाद भी तुम लोगों का पूरा ध्यान पैसों पर ही क्यों हो ? तुम लोग तो स्टूडेंट हो। पढ़ाई पर फोकस होना चाहिए, पैसों पर क्यों है ?”

दक्ष के सवाल सुनकर सभी चुप हो गए। किसी ने कुछ भी बोलने में तत्परता नहीं दिखाई। इसी बीच कुछ ऐसा हुआ कि दक्ष का ध्यान उन लड़कों से हटकर रेस्टोरेंट में दाखिल हो रहे दो लड़कों की तरफ गया। उन्होंने भी स्कूल ड्रेस ही पहनी हुई थी। ड्रेस कोड से साफ था कि वे भी आदर्श स्कूल के ही स्टूडेंट थे।

उनको देखते ही दक्ष तेजी से चलते हुए उनके सामने जा पहुंचा।

“कैसे हो दोस्तों ?” - उनके सामने पहुंचकर मुस्कुराते हुए दक्ष ने पूछा।

दक्ष को देखकर पहचानने में उनको एक पल भी नहीं लगा। 

रेस्टोरेंट में दाखिल होते होते अचानक ही वे पलटकर बहुत तेजी से भागे। उनको पकड़ने के लिए दक्ष भी उनके पीछे भागा। दक्ष को भागते देख पीछे से अमित चीखा - “अरे, जो न्यूज हमने दी, उसके पैसे तो देते जाओ।”

दक्ष को रुकते न देख पहले तो अमित ने उसके पीछे भागने का मन बनाया, लेकिन फिर अगले ही पल काल योद्धा के बारे में सोचकर रुक गया।

“क्या हुआ अमित ?” - भावेश बोला - “चलो, उससे पैसे लेने है हमको।”

“नहीं लेने।”

“क्या ? पर क्यों ?”

“काल योद्धा।” - अमित के मुँह से यह नाम सुनकर सभी सहम गए।

“लेकिन, हम कुछ गलत तो कर नहीं रहे। हमने उस रिपोर्टर को एक न्यूज दी और बदले में वह हमें कुछ पैसे देने को तैयार हो गया। यह न तो चोरी है, न कोई अपराध।” - भावेश जल्दी से बोला - “अब चलो भी।”

भावेश से सहमत होकर सभी रेस्टोरेंट से बाहर की तरफ भागे। जल्दी ही उन्हें दक्ष दिखा। वे उसका पीछा करने लगे।

इधर दक्ष उन दो लड़कों के पीछे भाग रहा था। दौड़ते हुए वे शहर से बाहर एकांत में आ गए थे। 

जब दोनों लड़के दौड़ते हुए थक गए, तो उनको रुक जाना पड़ा।

“हमारे पीछे क्यों पड़े हो ?” - उनमें से एक लड़का बोला - “चले जाओ यहां से!”

“तुम भागे क्यों ?” - दक्ष ने पूछा ही था कि इतने में अमित, भावेश और उनके साथ के बाकी लड़के भी वहां आ गए।

“अरे, हमारे पैसे तो दो।” - चीखते हुए भावेश बोला।

शहर से बाहर वे ऐसी जगह पर आ गए थे, जहां पेड़, पहाड़ और हरियाली थी।

“वो तो मैं दूंगा ही।” - पीछे की तरफ पलटकर भावेश की ओर देखते हुए दक्ष बोला - “पर, पहले ये बताओ कि ये दोनों लड़के कौन है ?”

“उसका कितना मिलेगा ?” - अमित थोड़ा हिचकिचाते हुए बोला। 

“तुम लोग पागल हो क्या!” - चिल्लाते हुए दक्ष अमित के पास पहुंचा और उसका गिरेबान पकड़ते हुए बोला - “हर बात के लिए पैसे मांगते हो !”

“ठीक है। बता रहा हूं। छोड़ो तो मुझे।”

दक्ष ने उसका गिरेबान छोड़ा।

“ये अंकित और गौरव है। 11th के स्टूडेंट। पर बात क्या है और आप इनके पीछे क्यों भाग रहे थे ?” - जल्दी से बताते हुए अमित ने पूछा।

दक्ष घूमकर दोनों लड़कों की तरफ देखते हुए बोला - “बताओ इसको कि मैं कैसे जानता हूं तुम दोनों को ?”

जवाब में दोनों के सिर नीचे की ओर झुक गए, जो इस बात को साबित कर रहे थे कि उन्होंने कोई तो गलत काम किया है।

“अंकित! गौरव! बोलो कुछ ?” - भावेश ने पूछा।

लेकिन वे कुछ नहीं बोले।

“इन दोनों ने तुम लोगों से भी बड़ा काम किया है।” - दक्ष बोला - “तुमने तो अपने स्कूल में ही चोरी की, लेकिन ये तो चोरी करने के लिए आधी रात के समय मेरे घर तक आ पहुंचे थे।”

हाँ, ये दोनों वही स्कूली लड़के थे, जो दक्ष के घर चोरी करने के इरादे से उस वक्त घुसे थे, जबकि दक्ष श्रद्धा से बात करने में व्यस्त होने के कारण अपने घर के मेन गेट को अंदर से बंद करना भूल गया था।

“क्या !” - दक्ष की बात सुनकर अमित और उसके पांचों दोस्त आश्चर्यचकित रह गए।

वे सभी अंकित और गौरव को घूर रहे थे, जबकि उन दोनों के सिर ऐसे झुके हुए थे, मानो वे कठघरे में खड़े बहुत बड़े अपराधी हो।



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