आते हैं कांटे राह में,
आने दो,
चुभते हैं शूल पैरों में,
चुभने दो
सहकर भी कष्ट सारे तुम,
रुको नहीं, चलते रहो।
छिपता है सूरज,
छिपने दो
ढलता है दिन,
ढलने दो
ग्यान का दिप जलाकर,
मन में तुम
रुको नहीं, चलते रहो।
थकता है मन,
थकने मत दो
टूटता है भरोसा,
टूटने मत दो
लेकर आशा की किरण,
मन में तुम
रुको नहीं, चलते रहो।
आने दो,
चुभते हैं शूल पैरों में,
चुभने दो
सहकर भी कष्ट सारे तुम,
रुको नहीं, चलते रहो।
छिपता है सूरज,
छिपने दो
ढलता है दिन,
ढलने दो
ग्यान का दिप जलाकर,
मन में तुम
रुको नहीं, चलते रहो।
थकता है मन,
थकने मत दो
टूटता है भरोसा,
टूटने मत दो
लेकर आशा की किरण,
मन में तुम
रुको नहीं, चलते रहो।
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