रहस्यमयी प्रतिमा Ch - 36 रॉकी हुआ ब्लैकमेल

 

कुछ ही समय बाद वे सभी गुफा के बाहर खड़े थे।

रॉकी और उसके साथी समझ नहीं पा रहे थे कि स्टोनमैन उनको वहां पर क्यों लाया था। जानना तो वे चाहते थे, लेकिन पूछने का साहस कोई भी नहीं कर पा रहा था।

स्टोनमैन ने गुफा के सामने दरवाजे की तरह लगाकर रखा हुआ वह पत्थर हटाया। उसको ऐसा करते देख रॉकी और उसके साथियों को स्टोनमैन की ताकत का अंदाजा हो गया था। इतने विशाल पत्थर को एक अकेला इंसान कभी हिला भी नहीं सकता, फिर उठाकर कहीं और रखना तो असंभव था। अब ये बात तो साफ थी कि स्टोनमैन कोई साधारण इंसान नहीं था।

पत्थर हटाकर स्टोनमैन उन सबके साथ गुफा में प्रविष्ट हुआ।

“अब मेरी बात बहुत ध्यान से सुनो, समझो और ठीक वैसा ही करो जैसा मैं कहता हूं।” - अचानक ही लम्बी खामोशी तोड़ते हुए स्टोनमैन अपनी भारी भरकम आवाज में बोला।

कोई कुछ नहीं बोला।

सब सावधानी की मुद्रा में वो सुनने के लिए तैयार खड़े थे, जो स्टोनमैन आगे बोलने वाला था।

“ सबसे पहली बात तो ये समझ लो कि मै भी तुम लोगों की तरह एक आम इंसान हूँ।” - गंभीर स्वर में स्टोनमैन बोला - “जो चीज मुझे तुम लोगों से अलग करती है, वो है मेरा ये शरीर, जो कि पत्थर का बना हुआ है। इसे अलग कर दो तो मैं भी तुम लोगों की तरह एक साधारण इंसान ही हूँ।”

स्टोनमैन की बात से सहमत तो कोई भी नहीं था। लेकिन, असहमति व्यक्त करने का साहस भी किसी में नहीं था।

इसीलिए बिना कुछ बोले ही सबने हां की मुद्रा में सिर हिलाया।

“तुम्हारा शरीर पत्थर का क्यों बना हुआ है ?” - रॉकी ने अपनी जिज्ञासा व्यक्त की।

“ये जानने की तुम्हे कोई जरूरत नहीं है!” - स्टोनमैन थोड़ा गुस्से में बोला। 

लेकिन उसके बोलने की आवाज इतनी तेज थी कि एक बार तो गुफा भी काँप उठी। ऐसे लगा जैसे कोई हल्का सा भूकम्प आया हो।

उस आवाज को सुनकर सभी के दिल दहल गए।

रॉकी भी सहमकर चुप हो गया।

“अपने इस पत्थर के बने भारी भरकम शरीर की वजह से मैं उस कार्य को नहीं कर पा रहा हूं, जिसे करने के लिए मुझे तुम लोगों की दुनिया में आना पड़ा है।” - स्टोनमैन बोला।

उसके अन्तिम शब्दों ने रॉकी और उसके साथियों की रूह तक में धमाका सा कर दिया।

“ह.. हमारी दुनिया ?” - आतंकित स्वर में बोला रॉकी - “हमारी दुनिया में आना पड़ा - इससे तुम्हारा क्या मतलब है ? कहां से आए हो तुम ?”

“इससे तुमको कोई मतलब नहीं होना चाहिए।”

रॉकी फिर से सहमकर चुप हो गया।

“तुमको मेरा एक काम करना है।” - स्टोनमैन फिर बोला।

“क्या काम ?” - रॉकी ने अधीर होकर पूछा।

“बताता हूँ। लेकिन पहले ये जान लो कि जो भी मैं बोलने जा रहा हूं, उसके बारे में तुम्हे और तुम्हारे इन साथियों के अतिरिक्त किसी को कुछ भी पता नहीं चलना चाहिए।”

रॉकी ने सहमति में सिर हिलाया।

“मैं एक प्रतिमा की तलाश में हूँ।”

“कौनसी प्रतिमा ?”

“मैं नहीं जानता।”

“क्या मतलब ?”

“मैं नहीं जानता कि वह प्रतिमा कैसी दिखती है।”

“फिर तुम उसे तलाश कैसे करोगे ?”

“मैं नहीं करूंगा। तुम करोगे।”

“कैसे ?”

“जो कोई भी उस प्रतिमा का स्पर्श करेगा, उसे उस प्रतिमा में से लाल, हरे और नीले रंग की मिश्रित रोशनी निकलती हुई दिखेगी। यही उसकी पहचान है।” - कहते हुए स्टोनमैन बोला - “जितना जल्दी हो सके, उस प्रतिमा को ढूंढो और लाकर मुझे दो।”

“अगर मैं ऐसा ना करूं तो ?”

“तुम इनकार नहीं कर सकते। क्योंकि यही वो एकमात्र उपाय है, जिससे कि तुम अपने इन दोस्तों” - स्टोनमैन ने रॉकी के तीनों साथियों की तरफ संकेत करते हुए कहा - “को मरने से बचा सकते हो। अगर तुमने मुझे वो प्रतिमा ढूंढकर नहीं दी तो अपने इन साथियों का खेल तुम खत्म समझो।”

“रॉकी!” - रॉकी के साथियों में से एक, अक्षय बोला - “इसको दे दो वो प्रतिमा, नहीं तो ये हमारे साथ साथ तुमको भी जिन्दा नहीं छोड़ेगा।”

“दे दो से क्या मतलब है तुम्हारा ?” - अक्षय की तरफ पलटते हुए स्टोनमैन बोला - “क्या इसने ढूंढ ली है वो प्रतिमा ?”

“नहीं, ढूंढी नहीं है। वो जल्दी ढूंढ लेगा।” - रॉकी का दूसरा साथी एकलव्य बोला।

“ठीक है। अब जाओ और ढूंढो उसे।” - आदेशात्मक स्वर में स्टोनमैन रॉकी से बोला।

“मैं जाता हूं प्रतिमा की तलाश में। लेकिन इनको कुछ मत करना।” - बोलते हुए रॉकी गुफा से बाहर जाने लगा।

“रॉकी! रुको।” - रॉकी के तीसरे साथी रुद्र ने आवाज लगाते हुए कहा - “ये प्रतिमा ढूंढने में तुमको, पता नहीं कितने दिन लग जाएंगे। कम से कम रोज हमारे लिए खाना तो ले आना।”

रॉकी ने आग्नेय नेत्रों से रुद्र की तरफ देखा - “यहां जिन्दगी दांव पर लगी है और तुझे खाने की पड़ी है!”

“तुम्हारा साथी ठीक कह रहा है।” - स्टोनमैन बोला - “यहां इनके खाने के लिए कुछ मिल नहीं पाएगा। तुम खाना लेकर आ जाना।”

रॉकी कुछ नहीं बोला।

वह चुपचाप गुफा से बाहर निकल गया।

तेज कदमों से चलता हुआ सबसे पहले वह अपनी कार तक पहुंचा।

कार की ड्राइविंग सीट पर बैठकर उसने कार स्टार्ट करने की कोशिश की। पहले ही प्रयास में कार स्टार्ट हो गई।

“शुक्र है, एक्सीडेंट होने के बाद भी कार में कोई नुक्स नहीं आया और यह चालू हालत में है।” - रॉकी खुद से ही बोला - “अब सबसे पहले तो इस कार को यहां से थोड़ा दूर किसी ऐसी जगह छिपाकर रखना पड़ेगा, जहां किसी नज़र इस पर न पड़े।”

रॉकी ने कार शहर की तरफ जाने वाले रास्ते पर डाल दी और कुछ ही दूर सड़क के किनारे पर कुछ झाड़ियों के पीछे ऐसे छिपा दी, जिससे कि वह किसी को भी दिखाई ना दे।

“अब ठीक है।” - बोलते हुए रॉकी म्यूजियम की तरफ चल पड़ा।


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