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रविवार, 25 अगस्त 2024

ईशा मर्डर केस ( भाग - 6 )

  


" उस रेस्टोरेंट में तुम लोग कितनी देर तक रुके थे ? " - " इंस्पेक्टर चौबीसा ने पूछा।

" करीब 2 घंटे तक। "

चौबीसा चौंका - " मतलब , 10 बजे तक ? " 

" हाँ।...नहीं।….मेरे विचार से 9.30 बजे से कुछ ऊपर का टाइम हुआ होगा। "

" तुमने ईशा को उसके घर तक ड्रॉप करने के बारे में नही सोचा ? "

" कैसे सोचता ?...मुझे खुद टैक्सी करके जाना पड़ा। मेरे पास कोई निजी साधन तो था नहीं। "

" ईशा ने कुछ बताया था , कहाँ जा रही है वो ? "

" नहीं। लेकिन मैंने देखा था , वो पैदल ही जाने के मूड में दिख रही थी। "

" किस तरफ गई थी ? " 

" दिनकर ब्रिज की ओर। "

" वहाँ से दिनकर ब्रिज की दूरी तकरीबन कितनी रही होगी ? "

" पैदल चलने वाले इंसान को करीब 15 मिनट तो लग ही जायेंगे वहाँ से। "

" ठीक है। तो अब आगे क्या प्रोग्राम है ? " - इंस्पेक्टर ने पूछा।

" प्रोग्राम ? " 

" होटल में कितने दिन और रुकोगे ? "

" मैं अपने मम्मी - पापा से मिलना चाहता हूँ। पर हिम्मत नहीं हो रही। "

" वो तो जुटानी  ही पड़ेगी और बेहतर होगा कि यह काम तुम जल्द ही कर लो। "

" जल्द ही , क्यों ? "

" क्योंकि खुद को दुनिया की नजरों में मरा हुआ साबित करके न केवल अपनी फैमिली को , बल्कि पुलिस को भी तुमने धोखा दिया है। अब जल्द ही हकीकत सबके सामने लेकर आओ। "

" जी सर ! "

" अभी तुम जा सकते हो। लेकिन अगली बार तुमसे होटल में नहीं , तुम्हारे घर पर मिलना चाहूँगा तुमसे। "

बिना कुछ बोले रवि वहाँ से चला गया। 


□  □  □


शाम के 6 बज चुके थे।

सुबह 8 बजे से ही इंस्पेक्टर चौबीसा ईशा मर्डर केस की इन्वेस्टिगेशन कर रहे थे।

कई लोगों से मिलने के बाद , कइयों से पूछताछ करने के बाद अब वह काफी थक चुके थे। 

लेकिन कुछ और लोगों से मिलना अभी बाकी था।

महज 15 मिनट की हल्की - सी झपकी और एक कप कॉफी लेने के बाद इंस्पेक्टर ने खुद को दोबारा तरोताजा महसूस किया और घर के बाहर लॉन में आकर केस की बारीकियों पर विचार करने लगा।

" ईशा का कातिल कौन हो सकता है ?...क्या उसके अंकल ने प्रोपर्टी हथियाने के लिए उसका कत्ल किया ?... या अमित ने ही ईशा को मार डाला , सिर्फ इसलिए क्योंकि वह अमित के अलावा किसी और से भी प्यार करती थी ? "

इंस्पेक्टर चौबीसा किसी नतीजे पर नहीं पहुँच पा रहा था।

जल्द ही वह बाइक लेकर बाहर निकला।

करीब 2 घंटे बाद पुलिस स्टेशन में इंस्पेक्टर चौबीसा ईशा मर्डर केस से जुड़े सभी महत्वपूर्ण लोगों के साथ मौजूद था।

अर्जुनसिंह , रवि , अमित , पायल , सुरेश , आयशा , चाँद भाई - ये सभी वहाँ उपस्थित थे।

ये सभी पुलिस स्टेशन के एक कॉन्फ्रेंस रूम में एकत्र हुए थे।

" आप लोगों को यह जानकर खुशी होगी कि ईशा के कातिल का पता चल चुका है। "

" कौन है वो ? " - अर्जुनसिंह ने पूछा। 

" बस थोड़ा सा सब्र रखिये। " - कहते हुए इंस्पेक्टर चौबीसा ने बताना शुरू किया - " कातिल के रूप में जिन लोगों पर मुझे संदेह था , वे थे - अर्जुनसिंह , अमित , चाँद और रवि। इन चारों में से कोई एक कातिल होना चाहिए था। जैसे - जैसे मैं मामले की गहराई में उतरता गया , मुझे कुछ नई और चौंकाने वाली जानकारियां हासिल हुई। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली जानकारी तो ये थी कि ईशा का अभिनव नाम का जो बॉयफ्रेंड था , उसका अस्तित्व ही नहीं है। अभिनव के बारे में पता करने के लिए मैं शारदा नगर गया , तो मुझे पता चला कि इस नाम का कोई शख्स वहाँ रहता ही नहीं है। तब मेरा ध्यान उस मोबाइल की ओर गया , जो पायल से लिया गया था। मैं जल्द ही सायबर ब्रांच पहुंचा और ईशा के साथ अभिनव नाम के उस शख्स की फोटो और जिस मोबाइल नंबर से वो फोटो send की गई थी , उस नम्बर के बारे में पता किया।...फोटो एडिट की हुई थी। "

" क्या मतलब ? " - अर्जुनसिंह ने पूछा।

" मतलब , दो अलग - अलग इमेज को जोड़कर फेक फोटोज बनाई गई थी। " 

" ऐसा किसने और क्यों किया ? "

" यह पता करने का एक ही तरीका था। उस मोबाईल नम्बर का पता करना , जिसके माध्यम से वह फोटो पायल के मोबाइल में भेजी गई।...सायबर ब्रांच वालों को यह पता करने में ज्यादा समय नहीं लगा। वह नम्बर पायल के नाम से ही दर्ज था। "

" यह झूठ है ! " - पायल चीखी - " वो नम्बर मेरा नहीं था। मेरे मोबाइल पर किसी ने वे फोटोज send की थी। "

" तुम सही कह रही हो , वो मोबाइल नंबर तुम्हारा नहीं था। लेकिन , उस नम्बर की सिम खरीदने के लिए तुम्हारे डॉक्यूमेंट यूज़ किये गए थे और इसीलिए वह नम्बर तुम्हारे नाम पर दर्ज था। "

" मेरी समझ में ये नहीं आ रहा है कि जिस किसी ने भी यह सब किया , उसे तो अपना काम हो जाने के बाद सिमकार्ड को तोड़ कर फेंक देना चाहिए था और उसने ऐसा किया भी होगा। " - एकाएक अमित बोला - " फिर आपको कैसे पता चला कि उस सिमकार्ड को यूज़ कौन कर रहा था ? "

" बुद्धिमत्तापूर्ण सवाल ! " - चौबीसा बोला - " लेकिन थोड़ा सा और दिमाग पर जोर दिया होता , तो तुमको ये सवाल पूछने की जरूरत नहीं पड़ती। "

" मतलब ? " 

" हमने ये पता किया कि पिछले एक हफ्ते के दौरान उस नम्बर वाली सिम को किसने और कहाँ से खरीदा। "

" लेकिन यह पता करना तो काफी मुश्किल काम है ? " 

" हमारे आपके लिए मिस्टर अमित ! …. साइबर ब्रांच वालों के लिए नहीं। "

" किसने खरीदी थी वो सिम ? " - पायल ने पूछा।

" सुरेश ने। " - इंस्पेक्टर चौबीसा ने कहा।

सभी बुरी तरह से चौंक उठे।

किसी को यकीन नहीं हो रहा था।

" लेकिन सुरेश ऐसा क्यों करेगा ? " - अमित ने पूछा।

" बताओ सुरेश ! " - इंस्पेक्टर ने सुरेश की ओर देखते हुए कहा।

" मैंने किसी का खून नहीं किया। " - सुरेश चीखा।

अचानक से इंस्पेक्टर ने रिवॉल्वर निकालकर सुरेश की कनपटी पर तान दी और ट्रिगर पर अपनी अँगुली का दबाव बढ़ाने लगा।

" नहीं। रुको। बताता हूँ। " - सुरेश चीखा - " अपनी गलत आदतों की वजह से मुझ पर बहुत सारा कर्ज हो गया था। जुआ और ड्रग्स - मेरी इन दो बुरी आदतों की वजह से ऐसा हुआ था। तब ईशा ने मेरी मदद की।...यह करीब दो महीने पहले की बात है। कर्ज से मुक्त होने के बाद मैंने अपनी दोनों ही बुरी आदतें छोड़ दी थी। लेकिन ईशा के दिये हुए 5 लाख रुपये मैं चुका नहीं पा रहा था और ईशा मुझे अपने अंकल को सब कुछ बताने की धमकी दे रही थी। अगर ऐसा हो जाता , तो बात मेरे घर तक पहुँच सकती थी , जो कि मैं नहीं चाहता था और 5 लाख रुपये चुकाने की क्षमता भी मुझमें नहीं थी।...इस मुसीबत से निकलने के लिए मैंने एक योजना बनाई। किसी तरीके से पायल के डॉक्यूमेंट हासिल करके उसके नाम का सिम कार्ड खरीद लिया और उसे वे एडिट किये हुए फोटोज और मैसेज भेजे। कल रात जब अमित पायल से मिलने गया तो मैंने आयशा को उसके घर ड्रॉप किया और ईशा के पीछे लग गया। दिनकर ब्रिज पर उसे अकेला पाकर मैंने रिवॉल्वर से शूट कर दिया। मुझे लगा कि मेरी प्रॉब्लम खत्म हो गई। "

अपनी बात खत्म करते हुए सुरेश फूट - फूटकर रोने लगा।

" केवल पाँच लाख रुपये जैसी छोटी रकम के लिए तुमने मेरी भतीजी को मार डाला ! " - अर्जुनसिंह चीखा।

सुरेश का बयान रिकॉर्ड हो चुका था , जो कि अदालत में काम आने वाला था। 


  • समाप्त


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