हर तरफ छाया है अंधकार,
व्याकुल है हम,
परेशान है हम,
दिखती नही रोशनी कहीं।
करते हैं प्रयास,
छटपटाते है हाथ-पैर,
पर है हालत जस की तस।
अंधकार जाता नहीं,
प्रकाश आता नहीं।
अंधकार होता अगर बाहर ही,
तो कर देते दूर इसे किसी तरह,
पर है यह तो हमारे ही भीतर।
न इसे दूर कर पा रहे हैं,
न मिटा पा रहे हैं।
साधन नहीं है इसे दूर करने का,
पास हमारे।
तब हो कैसे सिद्धि लक्ष्य की,
जानना होगा, समझना होगा।
0 Comments