रह पाता,
अगर मैं अकेला,रह जाता,
हमेशा के लिये।
पर,आसान नहीं है,
पर,आसान नहीं है,
ऐसा करना।
क्योंकि,जरूरत होती है इंसान को,सदा ही दूसरे इंसान की।
सोचता हूं क्या होता,अगर मैं आने ही न देता,किसी को जीवन में अपने।
पर संभव ही न था ऐसा हो पाना,क्योंकि,अकेले जीने की व्यथा को,
क्योंकि,जरूरत होती है इंसान को,सदा ही दूसरे इंसान की।
सोचता हूं क्या होता,अगर मैं आने ही न देता,किसी को जीवन में अपने।
पर संभव ही न था ऐसा हो पाना,क्योंकि,अकेले जीने की व्यथा को,
महसूस किया है मैंने,
करीब से,इतना करीब से,कि,यह व्यथा भी बनकर रह गयी है,एक अनुभूति जानी-पहचानी सी।
इंसान दूसरे को दर्द भी देता है पर फिर भी ज़रूरी होता है किसी का साथ ..।। मुश्किल है अकेले रहना ...
जवाब देंहटाएंअकेलेपन का अहसास लिए ...
निमंत्रण
जवाब देंहटाएंविशेष : 'सोमवार' १९ मार्च २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीया 'पुष्पा' मेहरा और आदरणीया 'विभारानी' श्रीवास्तव जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।
अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
निमंत्रण
जवाब देंहटाएंविशेष : 'सोमवार' १६ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ प्रतिष्ठित साहित्यकार आदरणीया देवी नागरानी जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।