क्यों

                                    FOR HINDI POEMS http://kavyasushma.blogspot.com


क्यों थक गए तुम,
चलते चलते।
क्यों रुक गए तुम,
मंज़िल तक पहुंचने से पहले।
हुए नहीं अभी,
कांटो से भी रूबरू
और,
फूलो को  देखकर ही बहकने लगे।
जाना है अभी तो,
बहुत आगे,
चलना है अभी तो,
मीलो दूर,
आया नहीं अभी तो,
पहला पड़ाव भी,
और,
अभी से तुम थकने लगे।
मिलेंगे राही  और भी,
आएँगी बहारे और भी,
पर,
रुकना नहीं है तुम्हे कहीं,
चलना है अभी तो,
मीलो दूर।
मंज़िल तक पहुंचना है,
आज नहीं तो कल सही।

                                      FOR HINDI POEMS http://kavyasushma.blogspot.com

9 टिप्‍पणियां:

  1. जी विजय जी बहुत सुंदर प्रेरक रचना।
    जी कृपया आप ब्लॉग फॉलोवर बटन लगाइये।

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'गुरुवार' १८ जनवरी २०१८ को लिंक की गई है। आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  3. लाजवाब प्रस्तुति ! बहुत खूब आदरणीय ।

    जवाब देंहटाएं
  4. जीवन पथ को प्रेरणा की संजीवनी से आपूरित करती सजीव रचना!!!

    जवाब देंहटाएं