रह पाता,
अगर मैं अकेला,रह जाता,
हमेशा के लिये।
पर,आसान नहीं है,
पर,आसान नहीं है,
ऐसा करना।
क्योंकि,जरूरत होती है इंसान को,सदा ही दूसरे इंसान की।
सोचता हूं क्या होता,अगर मैं आने ही न देता,किसी को जीवन में अपने।
पर संभव ही न था ऐसा हो पाना,क्योंकि,अकेले जीने की व्यथा को,
क्योंकि,जरूरत होती है इंसान को,सदा ही दूसरे इंसान की।
सोचता हूं क्या होता,अगर मैं आने ही न देता,किसी को जीवन में अपने।
पर संभव ही न था ऐसा हो पाना,क्योंकि,अकेले जीने की व्यथा को,
महसूस किया है मैंने,
करीब से,इतना करीब से,कि,यह व्यथा भी बनकर रह गयी है,एक अनुभूति जानी-पहचानी सी।